!!अंजनी कुमार सिंह!!
वाराणसी : डीजल रेल कारखाना (डीएलडब्लू) ने ऐसी तकनीक विकसित की है, जिससे लोकोपायलट यानी इंजन ड्राइवर की गलती से होनेवाली दुर्घटनाओं पर रोक लगेगी. ड्राइवर को जरा-सी भी झपकी आयी, तो तत्काल अलार्म बज जायेगा और इसकी जानकारी कंट्रोल रूम सहित सर्वर से जुड़े जोनल मुख्यालय तक पहुंच जायेगी. ड्राइवर नशा करके गाड़ी में चढ़ता है, तो भी इस प्रणाली से उसे तुरंत पकड़ा जायेगा. इंजनों में अब वीडियो एवं वॉयस रिकार्डिंग सिस्टम (एलसीवीआर) लगा होगा, जिससे केंद्रीय कंट्रोल रूम से नजर रखी जायेगी.
इस तरह की है तकनीक
रिमोट मॉनिटरिंग एंड मैनेजमेंट ऑफ लोकोमोटिव एंड ट्रेंस (रेमलॉट) एक तरह का नेटवर्क है, जो क्षेत्र में चल रहे लोको को जीएसएम नेटवर्क कम्युनिकेशन और जीपीएस के जरिये केंद्रीकृत सर्वर से जोड़ता है. रेमलॉट सिस्टम लोकोमोटिव के लोकेशन और इसके स्वास्थ्य के बारे में रीयल टाइम डाटा मुहैया कराता है. इस डाटा को रेलवे बोर्ड, जोनल रेलवे और डीएलडब्लू के अधिकृत अधिकारी इंटरनेट से जुड़े पोर्टल पर लाॅगइन कर देख सकते हैं. रेमलॉट में मुख्यत: लोकोमोटिव ट्रेन मैनेजमेंट सिस्टम (एलटीएमएस) और लोकोमोटिव रिमोट मॉनिटरिंग सिस्टम (एलआरएमएस) होता है. एलटीएमएस रेलवे के लिए एक केंद्रीकृत सर्वर है. इस सिस्टम के जरिये लोकाेमोटिव की स्थिति के बारे में किसी जगह से पता लगाया जा सकता है. ऑनलाइन लोकोमोटिव के बारे में पता होने से इसके रख-रखाव और ब्रेक डाउन की स्थिति में नया लोकोमोटिव मुहैया कराने में कम समय लगता है. इस प्रणाली से समय रहते दुर्घटनओं से बचा जा सकता है.
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ऐसे करेगा काम
लोकोकैब वीडियो और वाइस रिकार्डिंग सिस्टम में वीडियो कैमरा, माइक्रोफोन और डिजिटल वीडियो जुड़े होंगे. इसमें छेड़छाड़ नामुमकिन है. दुघर्टना की हालात में यह सहायता पहुंचाने में कारगर साबित होगा.
मानवीय चूक को कम करने की कोशिश
यह तकनीक रेल दुर्घटनाओं की जांच में सहायक होने के साथ ही दुर्घटनाओं को रोकने में भी कारगर होगी. इसे हवाई जहाज का ब्लैक बॉक्स भी कहा जा सकता है.
भारतीय रेल को दुर्घटना मुक्त बनाने और मानवीय चूक की गुंजाइश को तकनीकों के सहारे न्यूनतम करने की कोशिश हो रही है. यह नयी तकनीक लोकोपायलट की वजह से होनेवाली चूकों को कम करने में बेहद कारगर साबित होगा.
मनोज सिन्हा, रेल राज्य मंत्री