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मोदी सरकार में कम हुई है किसानों की आत्महत्या, पढिए क्या कहते हैं आंकड़े

नयी दिल्ली : विपक्षी दलों की किसानों की कर्ज माफी की मांग को केंद्र सरकार ने खारिज करते हुए कहा कि राज्य सरकार इस बारे में अपने स्तर से फैसला ले सकते हैं. केंद्र सरकार किसानों की समस्या से वाकिफ है और इसे दूर करने के प्रयास किये जा रहे हैं. उत्तर प्रदेश सरकार अगर […]

नयी दिल्ली : विपक्षी दलों की किसानों की कर्ज माफी की मांग को केंद्र सरकार ने खारिज करते हुए कहा कि राज्य सरकार इस बारे में अपने स्तर से फैसला ले सकते हैं. केंद्र सरकार किसानों की समस्या से वाकिफ है और इसे दूर करने के प्रयास किये जा रहे हैं. उत्तर प्रदेश सरकार अगर अपने खजाने से किसानों के कर्ज काे माफ करती है तो यह अच्छी बात है.

तमिलनाडु समेत कई राज्य किसान कल्याण योजनाओं, लघु सिंचाई परियोजनाओं के लिए आवंटित राशि खर्च नहीं कर पा रहे हैं. लोकसभा में उत्तर प्रदेश में भाजपा के किसानों की कर्ज माफी के वादे पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस ने सूखे और प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसानों को हुए नुकसान के लिए केंद्र सरकार के कर्ज माफ करने की मांग की. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह ने इसके जबाव में कहा कि देश के विभिन्न क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदा की स्थिति रही है और राज्यों को राज्य आपदा कोष में पैसा दिया जाता है.

यूपीए सरकार ने पांच साल में राज्य आपदा कोष को 24 हजार करोड़ रुपये दिया था और मोदी सरकार ने इसे बढ़ा कर 47 हजार करोड़ रुपये कर दिया. तमिलनाडु को राज्य आपदा कोष से यूपीए सरकार के पांच साल में 1082 करोड़ रुपये दिया गया, जबकि मौजूदा सरकार ने इसे 3000 करोड़ रुपये कर दिया है. राष्ट्रीय आपदा कोष से भी राज्यों को मदद दी जाती है. वर्ष 2010-11 से 2013-14 के दौरान राज्यों को राष्ट्रीय आपदा कोष से 12 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया गया, जबकि मांग 92 हजार करोड़ रुपये की थी. वहीं मोदी सरकार ने 2014-15 में इस कोष से राज्यों को 9 हजार करोड़ रुपये और 2015-16 में 15 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया.

केंद्र सरकार द्वारा किसानों के हित में उठाये गये कदमों की जानकारी देते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि पहले किसानों को कर्ज पर 9 फीसदी ब्याज देना पड़ता था और जब अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार ने ब्याज दरों में 2 फीसदी की कमी की. इसमें से किसानों को ब्याज सिर्फ 4 फीसदी देना होता है. कई राज्य अपने खजाने से ब्याज का भार उठाते हैं. अगर राज्य चाहें तो इसे कम कर सकते हैं.

मोदी सरकार में कम हुई है किसानों की आत्महत्या

यूपीए सरकार ने 2008 में कर्ज माफी की घोषणा की थी. वर्ष 2005 में कृषि एवं कृषि कार्य से जुड़े लोगों के आत्महत्या के 15 फीसदी मामले सामने आये, जो 2008 में 13 फीसदी हो गये. लेकिन 2009 में यह बढ़कर 13.7 फीसदी हो गयी और मौजूदा समय में यह दर 9.4 फीसदी है. शून्यकाल में कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किसानों की कर्जमाफी करने की मांग करते हुए कहा कि यूपीए सरकार ने किसानों का 71 हजार करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया था और इससे 3.5 करोड़ किसानों को फायदा हुआ था. आज सभी राज्यों में किसानों की हालत बेहद खराब है और सरकार कोई पहल नहीं कर रही है. मंत्री के जबाव से असंतुष्ट कांग्रेस ने सदन से वाकआउट कर दिया.

Prabhat Khabar Digital Desk
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