नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आज एक अहम फैसले में जाति, धर्म ,समुदाय के आधार पर वोट मांगने को गलत ठहराया है. सात जजों के बेंच ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि चुनाव पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष प्रक्रिया है इसे अनुकरण किया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इंसान और ईश्वर का संबंध पूरी तरह से व्यक्तिगत विषय है.राज्य को इस तरह की किसी भी गतिविधि में हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए.
Hindutva Case: SC further added that relationship between man&God is individual choice; state is forbidden to interfere in such an activity
Hindutva Case: SC further added that relationship between man&God is individual choice; state is forbidden to interfere in such an activity
— ANI (@ANI) January 2, 2017
जनप्रतिनिधि कानून में ‘भ्रष्ट तरीके’ को परिभाषित करने वाली धारा 123 (3) में इस्तेमाल शब्द ‘उसका धर्म’ के संदर्भ में प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर और तीन अन्य न्यायाधीशों ने तीन के मुकाबले चार के बहुमत से फैसला सुनाते हुए कहा कि इसका यह अभिप्राय मतदाताओं, उम्मीदवारों और उनके एजेंटों आदि समेत सभी के धर्म और जाति से है. हालांकि तीन न्यायाधीशों- यू यू ललित, ए के गोयल और डी वाई चंद्रचूड का अल्पमत यह था कि ‘उसका’ धर्म का अभिप्राय सिर्फ उम्मीदवार के धर्म से है.
न्यायाधीशों के बीच बहुमत यह था कि ऐसे मुद्दों को देखते समय ‘धर्मनिरपेक्षता’ का ख्याल रखा जाना चाहिए. बहुमत में शामिल चार न्यायाधीशों में एम बी लोकुर, एस ए बोबडे और एल एन राव शामिल थे.