13.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

भारत को कई आंतरिक और बाह्य चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है : प्रणब

नयी दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने चेताया कि दुनिया के देशों में ‘न्यायोचित स्थान” प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ते हुए भारत को आंतरिक और बाह्य दोनों मोर्चो पर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के शिक्षकों एवं 56वें कोर्स के सदस्यों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा […]

नयी दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने चेताया कि दुनिया के देशों में ‘न्यायोचित स्थान” प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ते हुए भारत को आंतरिक और बाह्य दोनों मोर्चो पर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के शिक्षकों एवं 56वें कोर्स के सदस्यों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि नये ‘ आर्थिक सत्ता केंद्र’ के रुप में एशिया के उदय ने विश्व वित्तीय शक्ति के गुरुत्वाकर्षण केंद्र को पश्चिम से पूर्व की ओर स्थानांतरित कर दिया है.

उन्होंने कहा, ‘‘ आतंकवादियों के खिलाफ वैश्विक लड़ाई और देशों के खतरे ऐसे अन्य आयाम है जिससे निपटने में विश्व समुदाय को और अधिक समय और उर्जा लगेगी. ” प्रणब ने कहा, ‘‘ दुनिया के देशों में ‘न्यायोचित स्थान” प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ते हुए भारत को आंतरिक और बाह्य दोनों मोर्चो पर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. ”

भारत जैसे बहुदलीय लोकतांत्रिक प्रणाली वाले देशों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न विभागों को इन अंगों की शक्तियों और सीमाओं को समझना चाहिए. राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘देश के सभी अंगों को चाहे राजनीतिक नेतृत्व हो, लोक सेवा नेतृत्व हो या सशस्त्र बल हों… उन्हें इस प्रकार से रणनीति बनाने की जरुरत है कि हमारी प्रतिरक्षा क्षमताएं बढ़े और हमारी ताकत प्रभावी ढंग से प्रदर्शित हो. ” उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों की भूमिका सैन्य मामलों में क्रांति और वैश्वीकरण के साथ पारंपरिक सैन्य मामलों से आगे बढ़ी है.

उन्होंने कहा, ‘‘ यह स्पष्ट है कि जटिल रक्षा और सुरक्षा माहौल में भविष्य के संघर्षो के लिए अधिक समन्वित एवं बहु एजेंसी वाले पहल की जरुरत होगी. ” अपने संबोधन में प्रणब मुखर्जी ने आज के वैश्विक माहौल में बदलती स्थितियों के मद्देनजर उत्पन्न कई तरह की चुनौतियों का जिक्र किया. उन्होंने कहा, ‘‘ हाल के समय में कई घटनाएं आश्चर्यजनक गति से घटित हुई हैं जो यहां तक की एक दशक पहले देखने को नहीं मिलती थी. प्रत्येक देश अपने राष्ट्रीय हितों और उद्देश्यों के अनुरुप काम कर रहा है. ”

प्रणब मुखर्जी ने कहा, ‘‘ संबंध लगातार बदल रहे हैं और जब तक कोई देश इन बदलवों को नहीं समझता है और अपने आप को उसके अनुरुप नहीं ढालता है, उसकी अपनी सुरक्षा गंभीर खतरे में पड़ जाती है.” उन्होंने कहा कि अब सुरक्षा केवल क्षेत्रीय प्रभुसत्ता के संरक्षण तक ही सीमित नहीं रह गई है. सुरक्षा के बारे में समझ में बदलाव आया है.

राष्ट्रपति ने प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण को लेकर विभिन्न देशों में होने वाले सतत प्रतिस्पर्धा के बारे में बात कर रहे थे. उन्होंने कहा कि सुरक्षा के दायरे में अब आर्थिक, उर्जा, खाद्य, स्वास्थ्य, पर्यावरण के साथ राष्ट्र के कुशलक्षेम से जुड़े आयाम भी जुड़ गए हैं. प्रणब मुखर्जी ने कहा कि विभिन्न अंगों के बीच संबंधों को मजबूत बनाने के लिए सतत प्रयास करने की जरुरत है और इन्हें सीलबंद खंडों के रुप में विभाजित नहीं किया लाना चाहिए.

इस बारे में समन्वित प्रयास अच्छे प्रतिफल की प्राप्त के लिए एकमात्र विकल्प है. राष्ट्रपति ने अपने संबोधन के दौरान अर्थशास्त्र के रचयिता चाणक्य और आधुनिक भारत के निर्माता के रुप में पंडित जवाहर लाल नेहरु के योगदान का जिक्र किया.

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel