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गुजरात : रूपाणी सरकार ने थांगद दलित हत्याकांड की SIT जांच के आदेश दिये

गांधीनगर : गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने थांगद में दलितों पर हुई गोलीबारी मामले की एसआइटी जांच कराने का फैसला लिया है. गुजरात सरकार ने यह फैसला चार साल पुराने मामले में लिया है. चार साल पूर्व सुरेंद्रनगर जिले के थांगद में तीन दलितों की गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी. आज […]

गांधीनगर : गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने थांगद में दलितों पर हुई गोलीबारी मामले की एसआइटी जांच कराने का फैसला लिया है. गुजरात सरकार ने यह फैसला चार साल पुराने मामले में लिया है. चार साल पूर्व सुरेंद्रनगर जिले के थांगद में तीन दलितों की गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी. आज गुजरात में विजय रूपाणी के नेतृत्व वाली नयी भाजपा सरकार ने इस संबंध में निर्णय लिया और एक सरकारी विज्ञप्ति जारी कर इसकी सूचना मीडिया को दी गयी. प्रेस बयान में कहा गया कि दलित नेताओं के कुछ प्रतिनिधिमंडल के इस संबंध में आग्रह के आधार पर यह निर्णय लिया गया है.

विजय रूपाणी सरकार ने यह निर्णय भाजपा के गुजरात के अहम दलित नेता व कैबिनेट मंत्री आत्माराम परमार व अन्य के अाग्रह पर लिया. साथ ही सरकार ने यह भी निर्णय लिया कि राज्य में एक विशेष अदालत का भी गठन किया जायेगा और विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किये जायेंगे, ताकि इस मामले में जल्द फैसला हो सके और सजा तय की जा सके.
विज्ञप्ति में राज्य के गृह मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा के हवाले से कहा गया, ‘‘मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कैबिनेट मंत्री आत्माराम परमार, पूर्व मंत्री रमन लाल वोरा और राज्यसभा सदस्य शंभूप्रसाद टुंडिया सहित दलित नेताओं के आग्रह पर यह निर्णय किया.’ सरकार ने विशेष अदालत का गठन करने और मामले में तेजी लाने के लिए विशेष लोक अभियोजक की नियुक्ति करने का भी निर्णय किया है.
विजय रूपाणी सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि उस हमले में मारे गये लोगों के निकटम परिजनों को दो-दो लाख रुपये अतिरिक्त मुआवजा दिया जायेगा, जो पूर्व की राशि से अलग होगा. मालूम हो कि थांगद पुलिस फायरिंग में दलितों के मारे जाने का मामला उना में दलितों के साथ हुए दुर्व्यवहार के बाद आया. उना कांड के बाद दलितों के अहमदाबाद से उना तक हुए प्रदर्शन के दौरान ही दलित नेताओं ने टानागढ़ का मामला उठाया था. थांगद कांड के पीड़ितों के परिजन गांधीनगर में न्यायिक जांच की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर भी बैठे थे.
एसआइटी में कौन-कौन
थांगद हिंसा की जांच के लिए बनायी गयी विशेष जांच टीम में राजकोट के पुलिस कमिश्नर अनुपम सिंह गहलोत, सूरत सिटी डीसीपी जोन – 2 परीक्षित राठौड़ एवं पोरबंदर के एसपी तरुण कुमार दुग्गल शामिल किये गये हैं.
क्या है मामला
थांगद राजकोट से 65 किलोमीटर दूर है. 22-23 सितंबर, 2012 को तीन दलित युवकों पंकज सुमरा, प्रकाश परमार और मेहुल राठौड़ की पुलिस गोलीबारी में मौत हो गयी थी. पुलिस ने दलितों व पिछड़ी जाति के दो समूहों में हुई भिड़ंत को नियंत्रित करने के लिए ओपेन फायरिंग शुरू कर दी थी. थांगद सुरेंद्रनगर जिले में स्थित है.
दलितों के आक्रोश को काबू में करने की कोशिश
गुजरात में अगले साल के उत्तरार्द्ध में विधानसभा चुनाव होना है. दलितों की राज्य में आबादी लगभग आठ प्रतिशत है. पटेल आंदोलन के बाद राज्य में दलित आंदोलन शुरू हुआ और ये सारे आंदोलन भाजपा के शासन में हुए हैं. जाहिर है ये सब भाजपा विरोधी ताकतों को ही मजबूत करेंगे. इन कारणों से कांग्रेस जहां वहां पुनर्जीवन की आस देख रही है, वहीं आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल वहां खुद के लिए संभवना तलाश रहे हैं. इसलिए आम आदमी पार्टी हाल में राज्य में अधिक सक्रिय हुई है. आप में कुछ दलित व पटेल नेताओं के जाने की भी संभावना है. ऐसे में नरेंद्र मोदी-अमित शाह की जोड़ी के लिए भी यह अहम है कि राष्ट्रीय स्तर पर अपने करिश्मे या तिलिस्म को बनाये रखने के लिए वे अगले चुनाव में अपने घर यानी गुजरात में भाजपा के किले को ध्वस्त होने से बचायें. रूपाणी को मोदी-शाह ने मुख्यमंत्री भी इसलिए बनाया है.
Prabhat Khabar Digital Desk
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