नयीदिल्ली : पुलिस ने आज दावा किया कि जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) के नौ फरवरी के विवादास्पद कार्यक्रम का मूल वीडियो फुटेज सीबीआइ की फोरेंसिक प्रयोगशाला की जांच में असली पाया गया है. इस कार्यक्रम के सिलसिले में जेएनयूएसयू अध्यक्ष कन्हैया कुमार एवं दो अन्य पर राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था. पुलिस ने बताया कि एक हिंदी खबरिया चैनल को मिले इस कार्यक्रम का मूल वीडियो को कैमरा, मेमोरी कार्ड, क्लीप वाली सीडी, वायर एवं अन्य उपकरण के साथ यहां सीबीआइ प्रयोगशाला को परीक्षण के लिए भेजा गया था.
एक पुलिस सूत्र ने कहा, सीबीआइ प्रयोगशाला ने आठ जून को दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा को एक रिपोर्ट भेजी और बताया कि मूल फुटेज असली था. विशेष पुलिस आयुक्त (विशेष शाखा) अरविंद दीप ने रिपोर्ट मिलने की पुष्टि की है लेकिन उन्होंने उसका ब्योरा नहीं दिया.
इससे पहले दिल्ली पुलिस ने इस कार्यक्रम के चार वीडियो क्लिप गांधीनगर की केंद्रीय अपराध विज्ञान प्रयोगशाला को भेजे थे. जिसने मई में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि वे असली हैं. हालांकि दिल्ली सरकार के आदेश पर जांच के लिए हैदराबाद की ट्रूथ लैब में भेजी गयी इस विवादास्पद कार्यक्रम की सात वीडियो क्लिपिंग में दो क्लिप के साथ छेड़छाड़ की बात सामने आयी थी. जबकि अन्य क्लिप असली पाये गये थे.
पुलिस ने हालांंकि कहा कि उसे एक खबरिया चैनल से सीडी में मिले असली वीडियो फुटेज के आधार पर इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की गयी न कि टीवी चैनलों पर प्रसारित क्लिपिंग के आधार पर. प्राथमिकी में पुलिस ने दावा किया था कि वीडियो में जेएनयू छात्र उमर खालिद की अगुवाई में विद्यार्थियों का एक समूह भारत विरोधी नारे लगाते हुए नजर आ रहा है. इस समूह के 21 विद्यार्थियों के नाम इस मामले के कुछ दिन बाद दायर अंतरिम रिपोर्ट में जिक्र कियेगये थे.
कन्हैया, उमर खालिद और अनीरबान भट्टाचार्य फरवरी में गिरफ्तार कियेगये थे और बाद में उन्हें जमानत मिली थी. दिल्ली पुलिस की आतंकवाद निरोधक इकाई विशेष शाखा अब इस मामले की जांच कर रही है.