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प्रधानमंत्री के जारी सिंहस्थ घोषणापत्र में धर्म के नाम पर होने वाली हिंसा के विरोध की अपील

निनोरा /मध्यप्रदेश: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सिंहस्थ 2016 का घोषणापत्र जारी किया, जिसमें धर्म को ‘जोडने वाली शक्ति’ बताते हुए विश्व भर के सभी धर्मों, पंथों, संप्रदायों और विश्वास पद्धतियों के प्रमुखों से अपील की गयी है कि वे मजहब के नाम पर की जा रही हर तरह की हिंसा का विरोध करें. मोदी […]

निनोरा /मध्यप्रदेश: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सिंहस्थ 2016 का घोषणापत्र जारी किया, जिसमें धर्म को ‘जोडने वाली शक्ति’ बताते हुए विश्व भर के सभी धर्मों, पंथों, संप्रदायों और विश्वास पद्धतियों के प्रमुखों से अपील की गयी है कि वे मजहब के नाम पर की जा रही हर तरह की हिंसा का विरोध करें. मोदी ने उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ मेले की पृष्ठभूमि में प्रदेश सरकार के आयोजित ‘अंतरराष्ट्रीय विचार महाकुंभ’ के समापन समारोह में इस घोषणापत्र को जारी किया जिसे ‘सिंहस्थ 2016 के सार्वभौम संदेश’ के शीर्षक से तैयार किया गया है. इस मौके पर श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना भी मौजूद थे.

यह 51 सूत्रीय घोषणापत्र कहता है, ‘धर्म जोडने वाली शक्ति है. अत: धर्म के नाम पर की जा रही सभी प्रकार की हिंसा का विरोध विश्व भर के समस्त धमोंर्, पंथों, संप्रदायों और विश्वास पद्धतियों के प्रमुखों द्वारा किया जाना चाहिये.’ घोषणापत्र में सम्पूर्ण मानव जाति को एक परिवार बताते हुए कहा गया है कि सहयोग और अंतर्निर्भरता के विभिन्न रूपों को अधिकतम प्रोत्साहन दिया जाना चाहिये. घोषणापत्र में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि पारिस्थितिकी की रक्षा के लिये अत्यधिक उपभोक्तावाद पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है. इसके साथ ही, विश्व में व्याप्त भीषण जल संकट के निदान के लिये जल संवर्धन की तकनीकों और प्रणालियों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये.

विज्ञान और अध्यात्म को परस्पर पूरक बताते हुए घोषणापत्र में कहा गया है कि प्रकृति के भौतिक रहस्यों को जानने के लिये विज्ञान और आंतरिक रहस्यों को जानने के लिये अध्यात्म की आवश्यकता है. घोषणापत्र में धार्मिक और आध्यात्मिक विषयों के साथ जीवन मूल्यों के शिक्षण, कृषि, वानिकी, पारंपरिक चिकित्सा, जैव विविधता संरक्षण, संसाधन प्रबंधन, स्वच्छता, नदियों के संरक्षण, स्त्री को पुरष के समान स्थान देने, गो वंश के संरक्षण, कुटीर उद्योगों और शिल्पियों के मुद्दों को भी छुआ गया है. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि विचार मंथन के कार्यक्रमों के आधार पर तैयार इस घोषणापत्र को संयुक्त राष्ट्र, दुनिया के अलग-अलग मुल्कों और भारतीय राज्यों को भेजा जायेगा.
विज्ञान और अध्यात्म को परस्पर पूरक बताते हुए घोषणापत्र में कहा गया है कि प्रकृति के भौतिक रहस्यों को जानने के लिये विज्ञान और आंतरिक रहस्यों को जानने के लिये अध्यात्म की आवश्यकता है. घोषणापत्र में धार्मिक और आध्यात्मिक विषयों के साथ जीवन मूल्यों के शिक्षण, कृषि, वानिकी, पारंपरिक चिकित्सा, जैव विविधता संरक्षण, संसाधन प्रबंधन, स्वच्छता, नदियों के संरक्षण, स्त्री को पुरष के समान स्थान देने, गो वंश के संरक्षण, कुटीर उद्योगों और शिल्पियों के मुद्दों को भी छुआ गया है. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि विचार मंथन के कार्यक्रमों के आधार पर तैयार इस घोषणापत्र को संयुक्त राष्ट्र, दुनिया के अलग-अलग मुल्कों और भारतीय राज्यों को भेजा जायेगा.

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