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पठानकोट पर मोदी सरकार से चिदंबरम के सवाल, NCTC गठन की सलाह भी

नयी दिल्ली :वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदम्बरम ने पठानकोट आतंकवादी हमले के आलोक में राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केंद्र (एनसीटीसी) के गठन की आज जोरदार वकालत की और इस घटना से निबटने के आतंकवाद निरोधक प्रणाली के तौर-तरीकों पर निराशा प्रकट की. ध्यान रहे कि चिदंबरम देश के गृहमंत्री रहे हैं औरउनके समय में नेशनल इनवेस्टीगेशन […]

नयी दिल्ली :वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदम्बरम ने पठानकोट आतंकवादी हमले के आलोक में राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केंद्र (एनसीटीसी) के गठन की आज जोरदार वकालत की और इस घटना से निबटने के आतंकवाद निरोधक प्रणाली के तौर-तरीकों पर निराशा प्रकट की. ध्यान रहे कि चिदंबरम देश के गृहमंत्री रहे हैं औरउनके समय में नेशनल इनवेस्टीगेशन एजेंसी (एनआइए) का गठन हुआ था. चिदंबरम कोआंतरिक सुरक्षा के मोर्चे पर व्यापक सुधार करने वाला नेता माना जाता है. ऐसे में उनका यहनया सुझाव अहम है.
हमले में शहीद हुए जाबांज सैनिकों को सलाम करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री चिदम्बरम ने ट्वीट किया, ‘‘सरकार की आतंकवाद निरोधक प्रणाली स्थिति से जिस तरह निबटी, उससे निराशा हुई है.’ उन्होंने लिखा, ‘‘इससे साफ पता चला कि विदेश विभाग, रक्षाबल और आतंरिक सुरक्षा एक दूसरे के संपर्क में नहीं रहे हैं.’ उन्होंने एक अन्य ट्वीट में लिखा, ‘‘पठानकोट हमले पर प्रतिक्रिया देख मेरी निराशा मायूसी में बदल गयी. यह बिल्कुल अस्वीकार्य था. ‘एकल कमान और नियंत्रण’ का कोई संकेत नहीं’ चिदंबरम जब गृहमंत्री थे तब उनका प्रिय विषय एनसीटीसी था जिसका तब भाजपा ने विरोध किया था.
एनसीटीसी पर फिर जोर देते हुए कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘विचलित और संशय से भरे राष्ट्र को पुन: यकीन दिलाने का सर्वश्रेष्ठ संदेश औेर हमारे दुश्मनों के लिए सबसे प्रखर चेतावनी कि हम आतंकवाद को गंभीर खतरे के रूप में लेते हैं, यह होगा कि राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केंद्र के लिए अधिसूचना जारी की जाए. ‘ पठानकोट हमले के बाद कांग्रेस प्रवक्ताओं ने कहा था कि यदि भाजपा ने एनसीटीसी का विरोध नहीं किया होता था और यह प्रणाली अस्तित्व में होती तो चीजें भिन्न हो सकती थीं.
पठानकोट प्रकरण के तत्काल बाद सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडल की समिति (सीसीएस) की बैठक नहीं बुलाने पर सरकार को निशाना बनाते हुए पूर्व गृहमंत्री चिदम्बरम ने कहा, ‘‘ सुरक्षाबलों की आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ छिड़ जाने के तत्काल बाद क्या सीसीएस की बैठक बुलायी गयी? कोई आधिकारिक बयान नहीं है लेकिन गृह मंत्री दो जनवरी के बाद किसी बैठक में शामिल नहीं हुए.’ एक अखबार में लिखे चिदम्बमरम के आलेख से ट्वीट उठाते हुए पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर कहा गया है, ‘‘लोगों की सुरक्षा किन्हीं व्यक्तियों पर नहीं छोड़ी जा सकती. आतंकवादी हमले पर जवाब संस्थागत जवाब होना चाहिए. ‘ हमले के बाद से कांग्रेस सेना के बजाय एनएसजी को तैनात किये जाने को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को बार बार निशाना बना रही है और उसका आरोप है कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अपने लिए पूरा श्रेय चाहते थे.

पठानकोट में एकल कमान और नियंत्रण का कोई संकेत नहीं मिलने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘रक्षा सेक्टर कोर सेवानिवृत्त जवानों को फिर तैनात करता है. गरुड़ वायुसेना परिसंपत्तियों की रक्षा के लिए वायुसेना की रक्षा शाखा है. ‘ उन्होंने कहा, ‘‘एनएसजी लक्ष्य विशिष्ट आतंकवाद निरोधक बल है, न कि रणभूमि इकाई. फिर भी, इन इकाइयों को पहले जवाबकर्ता केरूप में बुलाया गया. युद्ध के लिए तैयार आतंकवाद निरोधक बल, जो सेना का विशेष बल है, समीप में था, लेकिन उसे तैनात नहीं किया गया. ‘ चिदम्बरम ने यह भी पूछा, ‘‘क्या गृहमंत्री रोजाना राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, गृहसचिव, विशेष सचिव (आईएस) ओर आईबी और रॉ के प्रमुखों से मिलते हैं.

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