नयी दिल्ली: मुजफ्फरनगर के दंगों के बाद इस तरह की हिंसा से निपटने में मौजूदा कानूनों की खामियां उजागर होने की बात कहते हुए अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री के. रहमान खान ने आज संसद के शीतकालीन सत्र में सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम विधेयक लाने की वकालत की.जब रहमान से पूछा गया कि क्या संप्रग संसद के अगले सत्र में सांप्रदायिक और लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक को पेश करेगी तो उन्होंने पीटीआई से कहा कि वह इसके पक्ष में हैं लेकिन फैसला सरकार को लेना है.
उन्होंने कहा कि इस विधेयक की तर्ज पर कानून होता तो मुजफ्फरनगर दंगों के लिए जवाबदेही तय होती और उन पीड़ितों की मदद होती जो अब भी पुनर्वास के लिए इंतजार कर रहे हैं.मुजफ्फरनगर और आसपास के क्षेत्रों में पिछले महीने सांप्रदायिक संघषों में 62 लोगों की मौत हो गयी थी और 40,000 से अधिक लोग विस्थापित हो गये.
खान ने भाजपा के इस दावे को खारिज कर दिया कि कांग्रेस नीत सरकार चुनाव पर नजर रखते हुए विधेयक ला रही है. उन्होंने कहा कि इस बारे में लंबे समय से परामर्श चल रहा है. भाजपा ने विधेयक को ‘बहुसंख्यक विरोधी’ करार दिया है वहीं कुछ क्षेत्रीय दलों को लगता है कि यह अनेक मामलों में केंद्र को अधिकार प्रदान करके संघीय सिद्धांतों का उल्लंघन करता है.