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भूमि आवंटन के विरोध पर शिवसेना ने की AIMIM की खिंचाई कहा, मस्जिद ढहा कर दिखाएं

मुम्बई : महाराष्ट्र के इतिहास पुरुषों और मशहूर हस्तियों के स्मारक के निर्माण के लिए भूमि आवंटित करने के राज्य सरकार के निर्णय का विरोध करने पर एआइएमआइएम पर निशाना साधते हुए शिवसेना ने आज कहा कि इस तरह की बात महाराष्ट्र की मिट्टी से बेईमानी है. एआइएमआइएम ने इस पहल को सार्वजनिक धन की […]

मुम्बई : महाराष्ट्र के इतिहास पुरुषों और मशहूर हस्तियों के स्मारक के निर्माण के लिए भूमि आवंटित करने के राज्य सरकार के निर्णय का विरोध करने पर एआइएमआइएम पर निशाना साधते हुए शिवसेना ने आज कहा कि इस तरह की बात महाराष्ट्र की मिट्टी से बेईमानी है.

एआइएमआइएम ने इस पहल को सार्वजनिक धन की बर्बादी करार दिया है. पार्टी ने दिवंगत भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे समेत अन्य हस्तियों के लिए सरकारी जमीन देने का विरोध किया है. शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में आरोप लगाया गया है कि एआइएमआइएम के एक विधायक इम्तियाज जलील ने ऐसी बेतुकी मांग रखी है कि सरकारी जमीनों पर नेताओं के स्मारक नहीं बनाए जाएं, स्मारक की बजाए ऐसे स्थानों पर नेताओं के नाम पर अस्पताल बनाए जाएं और सरकारी जगहों पर जनता के पैसे से स्मारक न बनाया जाए. साथ ही धमकी दी कि यदि सरकार ने इन मांगों को नहीं माना तब वह न्यायालय में जायेंगे.
शिवसेना ने कहा, आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लमीन के विधायक की यह बात महाराष्ट्र की मिट्टी के साथ बेईमानी है. महाराष्ट्र में रहकर शिवाजी महाराज और शिवसेना प्रमुख के स्मारकों का विरोध करना कृतघ्नता की पराकाष्ठा है. इस वक्तव्य के कारण संबंधित विधायक के खिलाफ भावना भडकाने और साम्प्रदायिक तनाव का निर्माण करने के संबंध में मामला दर्ज कर उस पार्टी की मान्यता रद्द की जानी चाहिए.
शिवसेना के मुखपत्र के संपादकीय के अनुसार, सरकारी पैसे के अपव्यय की चिंता इन महाशय को कब से होने लगी? यदि हज यात्रा का उदाहरण लें, तो हज जाने के लिए जो सरकारी अनुदान दिया जाता है, वह भी पैसे का अपव्यय ही है. संपादकीय में कहा गया है, हम भी कहते हैं कि सरकारी पैसे का दुरुपयोग टाला जाए और इन पैसे का उपयोग अस्पतालों और स्कूलों के निर्माण में किया जाए ताकि मुस्लिम युवकों को स्वावलंबी बनाया जाए.
शिवसेना ने कहा कि हैदराबाद स्थित पार्टी ने शिवाजी महाराज, शिवसेना प्रमुख और गोपीनाथ मुंडे के स्मारकों के संबंध में टिप्पणी की लेकिन महाराष्ट्र सरकार द्वारा समुद्र के किनारे 14 एकड सरकारी जमीन पर बनने वाले बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर स्मारक के बारे में बोलना राजनीतिक हित को ध्यान में रखते हुए भूल गयी.
मुखपत्र में कहा गया है, इसे ढोंग नहीं तो और क्या कहें ? जो भी अंबेडकर की विचारधारा का अनुसरण करते हैं, उन्हें ऐसी राजनीति को खारिज करना चाहिए.

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