इंदौर : कोयला खदान आवंटन के मामले में केंद्र द्वारा राज्यों के अधिकारों पर अतिक्रमण के आरोप को केंद्रीय इस्पात और खान मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आज सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में राज्यों के अधिकारों में बढ़ोतरी की गयी है. तोमर ने इंदौर प्रेस क्लब के आयोजित ‘भाषाई […]
इंदौर : कोयला खदान आवंटन के मामले में केंद्र द्वारा राज्यों के अधिकारों पर अतिक्रमण के आरोप को केंद्रीय इस्पात और खान मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आज सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में राज्यों के अधिकारों में बढ़ोतरी की गयी है.
तोमर ने इंदौर प्रेस क्लब के आयोजित ‘भाषाई पत्रकारिता महोत्सव’ के तहत ‘मध्यप्रदेश विजन 2025’ विषय पर आयोजित परिसंवाद में कहा, कोयला खदानें राज्यों की संपत्ति हैं. हमने इस सिलसिले राज्यों के अधिकारों पर किसी भी तरह अतिक्रमण नहीं किया है, बल्कि उनके अधिकारों में बढ़ोतरी की है.
इस परिसंवाद में कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने खनन क्षेत्र में केंद्र की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा था, यह तय करने की कानूनी शक्ति केंद्र सरकार के पास है कि किसी कोल ब्लॉक से निकाले जाने वाले खनिज का उपयोग कहां होगा. आखिर यह बात तय करने वाला केंद्र कौन होता है. कोल ब्लॉक से निकलने वाली खनिज संपदा पर राज्य का हक होना चाहिये.
इस्पात और खान मंत्री ने दिग्विजय के कथन को गलत ठहराते हुए कहा, सरकार ने सुनिश्चित किया है कि कोयला खदानों की नीलामी के जरिये मिलने वाला पैसा उन्हीं राज्यों को प्रदान किया जायेगा, जिन सूबों में ये खदानें स्थित हैं.
उन्होंने कहा, ह्यदेश में ऐसा पहली बार हुआ, जब उद्योगपतियों को कोयला खदानें किसी खास व्यक्ति के कहने पर नहीं, बल्कि नीलामी के जरिये हासिल हुईं. इस नीलामी के जरिये दो लाख करोड़ रपये से अधिक रकम सरकारी खजाने में जमा हुई.तोमर ने कहा, हमने खान और खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम में संशोधन कर यह सुनिश्चित कर दिया है कि खदानों का आवंटन नीलामी के जरिये किया जायेगा, ताकि इस सिलसिले में भ्रष्टाचार की कोई गुंजाइश न रहे. इसके अलावा, उन्होंने बेरोजगारी को मौजूदा वक्त की सबसे बड़ी चुनौती करार देते हुए कहा कि कौशल विकास और औद्योगिकीकरण को नियोजित तरीके से बढ़ावा देकर इस चुनौती पर विजय हासिल की जा सकती है.
उन्होंने जोर देकर कहा कि मध्यप्रदेश के विकास को रफ्तार देने के लिये खेती को घाटे के धंधे से फायदे के धंधे में तब्दील करना होगा. इसके साथ ही, वर्ष 2025 तक सूबे की बिजली उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर 25,000 मेगावॉट पर पहुंचाये जाने की जरुरत है, ताकि बढ़ती उर्जा जरुरतें पूरी की जा सकें.