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पढिए पीटीआई को दिए इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्या कहा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए गए इंटरव्यू में भूमि विधेयक ,एफडीआई, किसानों की समस्या से लेकर अल्पसंख्यकों के संस्थानों पर हमले तक के तमाम मुद्दों पर अपनी बात रखी. प्रधानमंत्री ने रोजगार की संभावना वाले क्षेत्र में एफडीआई को खोले जाने का संकेत दिया. उन्होंने भूमि विधेयक पर कहा कि गांव, […]

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए गए इंटरव्यू में भूमि विधेयक ,एफडीआई, किसानों की समस्या से लेकर अल्पसंख्यकों के संस्थानों पर हमले तक के तमाम मुद्दों पर अपनी बात रखी. प्रधानमंत्री ने रोजगार की संभावना वाले क्षेत्र में एफडीआई को खोले जाने का संकेत दिया. उन्होंने भूमि विधेयक पर कहा कि गांव, गरीब और किसान के हित में दिए गए सुझावों पर अमल करने के लिए सरकार तैयार है.

रोजगार के संभावना वाले क्षेत्र के लिए खोला जाएगा एफडीआई

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कुछ नये क्षेत्रों को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए खोले जाने का संकेत देते हुये आज कहा कि ऐसे क्षेत्र जिनमें रोजगार की अधिक संभावना है और जिनके लिए स्थानीय स्तर पर मजबूत प्रतिभा उपलब्ध है, उनमें विदेशी निवेश आकर्षित करने पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा. मोदी ने कहा कि पिछले एक साल के दौरान जो उपाय किये गये हैं उससे निवेश स्थल के तौर पर भारत के प्रति आकर्षण और निवेशकों के विश्वास बढा है.

भूमि अधिग्रहण विधेयक और जीएसटी

प्रधानमंत्री ने विश्वास जताया कि वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) और भूमि अधिग्रहण विधेयक जैसे सुधारवादी विधेयकों का पारित होना अब थोडे समय की ही बात है. भूमि अधिग्रहण विधेयक पर उन्होंने कहा कि सरकार इसको लेकर ऐसे किसी भी सुझाव को स्वीकार करने को तैयार है जिससे गांव, गरीब, किसान के लिए फायदा होता हो सरकार इस विधेयक को जल्द पारित कराना चाहती थी लेकिन अब इसे संसद की संयुक्त समिति को भेज दिया गया है.

प्रधानमंत्री ने कहा, वर्षों पुराने भूमि अधिग्रहण कानून को संशोधित करने से पहले पिछली सरकार ने संसद में उसपर 120 मिनट भी चर्चा नहीं की. और यह मानकर कि विधेयक किसानों के लिए अच्छा है, हमने भी उस समय उसका समर्थन किया. उन्होंने कहा, बाद में कई राज्यों से शिकायतें मिलीं. किसी को इतना भी अहंकारी नहीं होना चाहिए कि गलतियों को सुधारने से बचे. इसलिए हम गलतियों को ठीक करने के लिए विधेयक लाए, वह भी राज्यों की मांग के चलते हमारे द्वारा प्रस्तावित संशोधनों को अगर कोई राजनीतिक चश्मे के बिना देखेगा तो वह उसे पूरे नंबर देगा.

यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार इस विधेयक पर सुझावों को समाहित करने के लिए तैयार है, प्रधानमंत्री ने कहा, गांव, गरीब, किसान…अगर सुझाव इन वंचित वर्गो के पक्ष में और राष्ट्रहित में हैं, हम उन सुझावों को स्वीकार करेंगे .मोदी ने कहा कि भूमि अधिग्रहण और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) वाले विधेयक देश के लिए फायदेमंद हैं और जल्द ही ये पारित हो जायेंगे.

प्रधानमंत्री कार्यालय पूरी तरह से संवैधानिक व्यवस्था का हिस्सा हैं और उसके बाहर नहीं है

राहुल गांधी के सूटबूट की सरकार के व्यंग्य पर मोदी ने कहा कि कांग्रेस लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार को एक साल बाद भी पचा नहीं पा रही है. प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर प्रहार जारी रखते हुए कहा, जनता ने उन्हें उनकी भूल चूक के पापों के लिए दंडित किया है. हमने सोचा था कि वे इससे सबक सीखेंगे लेकिन ऐसा लग नहीं रहा है उन्होंने ‘ कान इज द अपोजिट आफ प्रो’ मुहावरे का उपयोग करते हुए कहा कि अगर ऐसा है तो कांग्रेस प्रगति की विपरीतार्थक है.

प्रधानमंत्री कार्यालय में शक्तियों के केंद्रीयकृत हो जाने के आरोपों पर मोदी ने कहा कि मंत्रियों को बढी हुई शक्तियां दी गई हैं जिसके परिणाम स्वरुप पहले जिन फैसलों को लेने के लिए प्रधानमंत्री और कैबिनेट के पास आने की जरुरत पडती थी, अब मंत्री खुद वे निर्णय कर सकते हैं.उन्होंने कहा कि मंत्रालयों की वित्तीय शक्तियों को तिगुना कर दिया गया है और राज्यों की शक्तियों को बढाया गया है.

उन्होंने कहा, हमने सरकार के कामकाज के नियमों में कोई परिवर्तन नहीं किया है और फैसले उन्हीं द्वारा लिये जाते हैं, जो इसके लिए अधिकृत हैं. विपक्ष द्वारा कारपोरेट समर्थक बताए जा रहे भूमि अधिग्रहण विधेयक पर मोदी ने कहा कि वह राजनीतिक कीचड उछालने के खेल में नहीं पडना चाहते, भूमि का विषय केंद्र सरकार का नहीं है. भूमि से संबंधित सभी अधिकार राज्यों के पास है.

कृषि संकट और किसानों की आत्महत्या

कृषि संकट और किसानों की आत्महत्याओं के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि ये आत्महत्याएं कई वर्षो से चिंता का विषय बनी हुई हैं और राजनीतिक अंक बटोरने का इरादा समस्या का समाधान नहीं कर पायेगा.

उन्होंने कहा, मैं अपने किसानों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि यह सरकार उनके कल्याण के लिए जो भी जरुरी है, उसे करने में कोई कोर कसर नहीं छोडेगी. प्रधानमंत्री ने बताया कि उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से किसानों की संतुष्टि और सुरक्षा के लिए सुझाव मांगे हैं.

अल्पसंख्यक समुदाय और उनके संस्थानों पर हमला

अल्पसंख्यक समुदाय और उनके संस्थानों पर हमलों के बारे में किये गए एक सवाल के जवाब में मोदी ने कहा कि देश में किसी व्यक्ति या संस्थान के खिलाफ किसी भी आपराधिक कृत्य की निंदा की जानी चाहिए.

उन्होंने कहा, हमलावरों को कानून के तहत कड़ा दंड मिलना चाहिए. मैंने ऐसा पहले भी कहा है और पुन: दोहराता हूं कि किसी भी समुदाय के खिलाफ किसी तरह का भेदभाव या हिंसा बर्दाश्त नहीं की जायेगी. गैर सरकारी संगठनों के खिलाफ केंद्र की कार्रवाई, जिसकी व्यापक आलोचना हुई है, के बारे में पूछे जाने पर मोदी ने कहा कि ऐसे कदम केवल पूर्ववर्ती सरकार द्वारा पारित कानून को अमल में लाने के मकसद के उठाये गए हैं. उन्होंने कहा, कानून के विपरीत कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है. कोई देशभक्त नागरिक इस पर आपत्ति नहीं कर सकता है. अक्सर विदेश यात्राओं पर जाने को लेकर विपक्षी की ओर से की जा रही आलोचनाओं को खारिज करते हुए मोदी ने कहा कि 17 साल तक किसी भारतीय प्रधानमंत्री का नेपाल नहीं जाना कोई अच्छी स्थिति नहीं थी.उन्होंने कहा, सिर्फ इसलिए कि हम एक बडा देश हैं, हम अहंकारी नहीं हो सकते और यह नहीं सोच सकते कि हम दूसरों को नजरअंदाज कर सकते हैं.

हम एक अलग युग में रह रहे हैं. आतंकवाद वैश्विक हो गया है और कई दूर दराज के देशों से आ सकता है. प्रधानमंत्री ने कहा, अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलनों और डब्ल्यूटीओ जैसे संगठनों द्वारा लिये जाने वाले निर्णय हम पर बाध्यकारी होते हैं और अगर हम ऐसे सम्मेलनों में उपस्थित नहीं हों, हमें वहां लिये जाने वाले फैसलों से नुकसान पहुंच सकता है. मोदी ने कहा कि जब से उन्होंने प्रधानमंत्री का पद संभाला है, विपक्ष के मेरे मित्र मेरी विदेश यात्राओं के बारे में बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं लेकिन के सभी सर्वेक्षण दर्शाते हैं कि हमारी विदेशी नीति को काफी उंचा आंका गया है.

जनधन योजना , स्वच्छ भारत अभियान

प्रधानमंत्री के रुप में आज दूसरे वर्ष में प्रवेश करने वाले मोदी ने उनकी सरकार द्वारा शुरु किए गए स्वच्छ भारत अभियान, स्कूलों के शौचालय, जनधन योजना, गरीबों के लिए बीमा और पेंशन योजना के बारे में अपनी बातें रखी.

उन्होंने कहा कि उनकी सरकार आने वाले दिनों में महिलाओं, किसानों, शहरी गरीबों और बेरोजगारों पर ध्यान केंद्रित करेगी. उन्होंने कहा, हमने जो कुछ भी शुरु किया है, उसे आगे बढाने और गांव तथा नगर पालिका क्षेत्रों तक ले जाने की आवश्यकता है. मोदी ने कहा कि जब उन्होंने पदभार संभाला उस समय लोक सेवा का मनोबल गिरा हुआ था और वे निर्णय करने से डरते थे.

उन्होंने कहा कि कैबिनेट व्यवस्था भी बाहरी संविधानेत्तर शक्तियों और भीतर से मंत्रियों के समूहों द्वारा संचालित होने के कारण बिगड गयी थी. उन्होंने कहा कि उस निराशा के वातावरण को बदलना एक बहुत बडी चुनौती थी.प्रधानमंत्री ने कहा कि इस स्थिति को दुरुस्त करने और विश्वास एवं उम्मीद पुन: बहाल करने में उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पडा.

यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने अब दिल्ली को समझ लिया, मोदी ने कहा कि जब उन्होंने पदभार संभाला था, मैंने पाया कि दिल्ली में सत्ता के गलियारे विभिन्न प्रकार के दलालों से भरे पडे हैं. उन्होंने कहा, सत्ता के गलियारों को साफ करना महत्वपूर्ण था, ताकि खुद सरकारी मशीनरी में सुधार आ जाए. सुधार और साफ करने की प्रक्रिया में कुछ समय लगा लेकिन इसका स्वच्छ और निष्पक्ष शासन के रुप में दीर्धकालिक लाभ मिलेगा. मोदी ने कहा, दिल्ली में एक बात मैं नहीं समझ सका कि वही पार्टी जो एक राज्य सरकार के रुप में भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन चाहती है, वही अचानक दिल्ली में बैठकर उसका विरोध करती है.

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