बेलूर (कोलकाता) : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक संक्षिप्त आध्यात्मिक अवकाश लेते हुए आज पश्चिम बंगाल के दो प्रसिद्ध स्थलों…बेलूरमठ और दक्षिणेश्वर काली मंदिर की यात्रा की, जहां उन्होंने प्रार्थना की और ध्यान किया.
बेलूरमठ से उनका भावनात्मक संबंध है क्योंकि वह तीन बार वहां सन्यासी बनने की कोशिश कर चुके हैं. रामकृष्ण मिशन के मुख्यालय बेलूरमठ में आज सुबह पहुंचने बाद प्रधानमंत्री अपनी कार से नंगे पांव उतरे और परिसर में मंदिरों में एक घंटे प्रार्थना की. उनके साथ मठवासी भी थे.
स्वामी विवेकानंद ने जहां अपने जीवन के आखिरी दिन बिताए थे, वहां पहुंचने पर मोदी भावुक नजर आ रहे थे. वह 19 वीं सदी के दार्शनिक संत की पादुका के पास करीब 15 मिनटों तक ध्यान लगाने के लिए बैठे. हालांकि, आगंतुकों को कमरे की झलक इसकी खिड़की से ही दिखाई जाती है पर इसके दरवाजे प्रधानमंत्री के लिए खोले गए थे.
उन्होंने सन्यासियों के साथ आसानी से घुलते मिलते हुए कहा कि वह खुद को ‘घर का लड़का’ मानते हैं. मठ के सहायक सचिव स्वामी सुबीरनंद ने प्रधानमंत्री के हवाले से बताया, घर का लड़का अगर घर आया है तो उसका स्वागत किया जाता है क्या? जैसा कि मोदी ने कोलकाता के एक अस्पताल में स्वामी आत्मस्थानंद से कल शाम मिलने जाने पर कहा था.
मोदी वैदिक शांति मंत्रोच्चार के बीच सन्यासियों के साथ तस्वीरें खिंचवाने के लिए भी खडे हुए. उन्हें मठ अधिकारियों ने धोती, शॉल और पुस्तकें उपहार में दी. साथ ही उन्हें पायेश (खीर) और फल से बना प्रसाद भी दिया गया. दक्षिणेश्वर काली मंदिर कोलकाता में स्थित है जहां श्री रामकृष्ण परमहंस रहते थे और देवी काली की पूजा करते थे. मोदी ने देवी को पुष्पांजलि अर्पित की और आरती की.
मंदिर के न्यासी और सचिव कुशल चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने प्रार्थना कर देश के विकास के लिए शक्ति मांगी. उन्हें अशोक स्तंभ की प्रतिकृति, स्वामी विवेकानंद की मूर्ति और देवी की प्रतिमा वाला एक लॉकेट उपहार में दिया गया. चौधरी ने बताया कि प्रधानमंत्री ने मंदिर अधिकारियों से मंदिर ढांचे के जीर्णोद्धार के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय के संपर्क में रहने को कहा.
भाजपा सांसद एवं केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो, पार्टी अध्यक्ष राहुल सिन्हा और राज्यपाल केएन त्रिपाठी भी प्रधानमंत्री के साथ इस यात्रा पर थे. कोलकाता के पास दक्षिणेश्वर में गंगा (हुगली) के पूर्वी तट पर स्थित यह मंदिर रामकृष्ण से अपने जुडाव को लेकर प्रसिद्ध है जिनके रहस्यवाद और शिक्षाओं का 19 वीं सदी के बंगाल में काफी प्रभाव था.
मोदी जब बालक थे तब वह स्वामी विवेकानंद के आर्दर्शों से काफी प्रभावित हुए थे और उन्होंने सन्यासी बनने का फैसला किया था. उस समय वह पहली बार बेलूरुमठ पहुंचे थे. मठ के सहायक सचिव स्वामी सुबीरनंद ने पीटीआई भाषा को बताया कि लेकिन हमारे तत्कालीन अध्यक्ष ने उन्हें उनकी शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी थी. वह इसमें शामिल होने की न्यूनतम आयु से भी कम के थे. बाद में मोदी अल्मोडा में राम कृष्ण मिशन केंद्र गए जहां उनके अनुरोध को एक बार फिर खारिज कर दिया गया.
सुबीरनंद ने बताया, इसके बाद मोदी दो साल के लिए हिमालय चले गए और उसके बाद अपने गांव लौटे और हमारे राजकोट स्थित सेंटर में आना शुरु कर दिया जहां उन्हें स्वामी आत्मास्थानंद का पवित्र साथ मिला जो इस समय आरकेएम के अध्यक्ष हैं. मोदी उनसे आध्यात्मिक निर्देश लेते रहते हैं.
मोदी द्वारा फिर से तपस्वी बनने की इच्छा जताए जाने के बाद स्वामी ने उन्हें हतोत्साहित किया और बताया कि वक्त ने उनके लिए कुछ और तय कर रखा है. सहायक सचिव सुबीरनंद ने याद करते हुए बताया, जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए वर्ष 2013 में बेलूरमठ आए तो उन्होंने स्वामी से कहा, आपने मुझे भगा दिया था उस समय, इसलिए आज मैं मुख्यमंत्री हूं.
कल शाम मोदी स्वामी आत्मास्थानंद से मिलने गए थे. वह कोलकाता के एक अस्पताल में स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं. जब दोनों राजकोट में थे तो मोदी आध्यात्मिक मार्गदर्शन के लिए अक्सर उनके पास जाते थे.