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मैला ढोने की प्रथा समाप्त करने संबंधी विधेयक को संसद की मंजूरी

नयी दिल्लीः देश में हाथ से मैला उठाने की प्रथा समाप्त करने के उद्देश्य से लाये गये एक महत्वपूर्ण विधेयक को संसद ने आज अपनी मंजूरी दे दी.हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास विधेयक 2013 राज्यसभा में आज पारित हुआ. लोकसभा इसे कल पारित कर चुकी है. विधेयक […]

नयी दिल्लीः देश में हाथ से मैला उठाने की प्रथा समाप्त करने के उद्देश्य से लाये गये एक महत्वपूर्ण विधेयक को संसद ने आज अपनी मंजूरी दे दी.हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास विधेयक 2013 राज्यसभा में आज पारित हुआ. लोकसभा इसे कल पारित कर चुकी है. विधेयक पर उच्च सदन में हुई संक्षिप्त चर्चा का उत्तर देते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री कुमारी शैलजा ने अफसोस जताया कि आजादी के इतने दशक बाद भी यह अमानवीय प्रथा जारी है.

उन्होंने कहा कि अपना काम खुद करने के संबंध में महात्मा गांधी के संदेश का अनुसरण किया जाता तो यह नौबत ही नहीं आती. उन्होंने कहा कि गांवों में कई बार लोगोंे को इस काम के लिए बाध्य किया जाता है.उन्होंने कहा कि इस प्रथा को समाप्त करने के उद्देश्य से 1993 में भी एक विधेयक लाया गया था लेकिन वह बहुत प्रभावी नहीं हो सका.

मंत्री ने कहा कि विधेयक में तय समय सीमा के अंदर सर्वेक्षण कराए जाने की बात की गयी है. इसके साथ ही विधेयक में ऐसे कामगारों और प्राधिकार को भी परिभाषित किया गया है. उन्होंने कहा कि लोगों को ऐसे काम करने के लिए बाध्य करने वालों को दंडित किए जाने पर भी जोर दिया गया है.

मंत्री के जवाब के बाद सदन ने ध्वनिमत से विधेयक को पारित कर दिया. इसके पहले कई विपक्षी सदस्यों द्वारा लाए गए संशोधनों को सदन ने ध्वनिमत से नकार दिया. चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के थावर चंद गहलोत ने विधेयक के प्रावधानों का सख्ती से पालन किए जाने की जरुरत पर बल दिया वहीं माकपा की टी एन सीमा ने इसे ऐतिहासिक विधेयक बताते हुए कहा कि इससे सामाजिक भेदभाव समाप्त होगा.

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