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लोकपाल के नये नियमों के तहत अघोषित संपतियों को अब भ्रष्टाचार से अर्जित माना जाएगा

नयी दिल्ली : केंद्र सरकार ने कहा है कि लोकपाल के नये नियमों के तहत सरकारी अधिकारियों द्वारा संपत्तियों का पूरा ब्यौरा नहीं देने पर उन संपत्तियों को भ्रष्ट तरीकों से अर्जित माना जाएगा जिनका ब्यौरा नहीं दिया गया है.इसके अलावा केंद्र ने कहा है कि सरकारी कर्मचारियों द्वारा दी गयी इस तरह की जानकारी […]

नयी दिल्ली : केंद्र सरकार ने कहा है कि लोकपाल के नये नियमों के तहत सरकारी अधिकारियों द्वारा संपत्तियों का पूरा ब्यौरा नहीं देने पर उन संपत्तियों को भ्रष्ट तरीकों से अर्जित माना जाएगा जिनका ब्यौरा नहीं दिया गया है.इसके अलावा केंद्र ने कहा है कि सरकारी कर्मचारियों द्वारा दी गयी इस तरह की जानकारी सार्वजनिक की जाएंगी.

कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग, डीओपीटी ने लोकपाल अधिनियम के सिलसिले में फ्रिक्वेंटली आस्कड क्वेश्चन का मसौदा जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि कर्मचारियों को इस साल बढाई गयी तारीख 15 अक्तूबर तक दो रिटर्न दाखिल करने होंगे. पहला एक अगस्त, 2014 के हिसाब से संपत्ति का और दूसरा 31 मार्च, 2015 के अनुसार संपत्ति तथा जवाबदेहियों का ब्यौरा होगा.
डीओपीटी ने कहा है कि अगर कोई सरकारी सेवक जानबूझकर या अनुचित कारणों से अपनी संपत्ति का ब्यौरा नहीं देता या भ्रामक जानकारी देता है और पाया जाता है कि उसके पास ऐसी संपत्ति है. जिसकी जानकारी नहीं दी गयी या जिसके बारे में भ्रामक जानकारी दी गयी. तो इस तरह की संपत्तियों को तब तक सरकारी सेवक का माना जाएगा और भ्रष्ट तरीकों से अर्जित समझा जाएगा, जब तक यह बात गलत साबित नहीं हो जाती.
डीओपीटी ने कहा कि किसी सरकारी सेवक के जीवनसाथी, जो किसी निजी कंपनी में कार्यरत हों, की संपत्तियों और जवाबदेहियों को भी रिटर्न में बताना होगा.कानून के अनुसार अगर पति और पत्नी दोनों सरकारी कर्मचारी हैं तो उन्हें अलग अलग रिटर्न दाखिल करने होंगे.
लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 पिछले साल एक जनवरी से प्रभाव में है.डीओपीटी ने कहा, हलांकि लोकपाल की संस्था ने अभी काम शुरु नहीं किया है, चूंकि अधिनियम में अन्य चीजों के साथ कुछ संशोधनों की जरुरत है, ताकि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष नहीं होने पर लोकपाल की संस्था के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति से जुडे कुछ मुद्दों का समाधान कर लिया जाए.

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