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सरकार के लिए प्रतिष्ठा का सवाल नहीं है भूमि अधिग्रहण अध्यादेश : जेटली

वाराणसी : भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को फिर से जारी करने की तैयारी कर रही सरकार ने आज फिर जोर दे कर कहा कि वह इसे प्रतिष्ठा का सवाल नहीं बना रही है और वह इस पर मतभेद दूर करने के लिए विपक्षी दलों के साथ विचार विमर्श को तैयार है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने […]

वाराणसी : भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को फिर से जारी करने की तैयारी कर रही सरकार ने आज फिर जोर दे कर कहा कि वह इसे प्रतिष्ठा का सवाल नहीं बना रही है और वह इस पर मतभेद दूर करने के लिए विपक्षी दलों के साथ विचार विमर्श को तैयार है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज यहां संवाददाताओं से बातचीत में विवादास्पद भूमि अध्यादेश को लेकर पूछे एक सवालों के जवाब में कहा, यह हमारे लिए प्रतिष्ठा का सवाल नहीं है. हम देश, खास कर गावों के विकास के लिए ही 2013 के कानून में बदलाव करना चाहते हैं.
जेटली ने कहा कि हम मूल विधेयक में नौ संशोधन लेकर आए हैं. अभी भी हम इस विधेयक का विरोध करने वाले विपक्षी दलों के साथ बातचीत को तैयार हैं. यदि उनके पास कुछ ऐसे सुझाव हैं जो देश के लिए फायदेमंद हैं, उन पर बातचीत के लिए हम तैयार हैं. विपक्ष को अपना अडियल रुख छोडना चाहिए. यह देश के लिए अच्छा होगा.
जेटली यह बयान ऐसे समय आया है जबकि एक दिन पहले सरकार ने कल राज्यसभा के सत्रावसान और इस अध्यादेश को फिर जारी करने का निर्णय किया. भूमि अधिग्रहण अधिनियम संशोधन विधेयक राज्य सभा में अटका हुआ है. अध्यादेश की मियाद 5 अप्रैल को समाप्त हो रही है.
भूमि कानून, 2013 में संशोधन को उचित ठहराते हुए जेटली ने कहा कि यह कानून विकास के रास्ते में अडचन है. यह महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाओं मसलन प्रधानमंत्री ग्राम सडक योजना, सिंचाई योजना, ग्रामीण विद्युतीकरण, सभी के लिए घर तथा हवाई अड्डों व समुद्री रास्तों के लिए जमीन अधिग्रहण की इजाजत नहीं देता.
कांग्रेस पर हमला बोलते हुए वित्त मंत्री ने आरोप लगाया कि उसका मुख्य उद्देश्य राजग की नीतियों को रोकना है और उसे देश के विकास की कोई चिंता नहीं है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विपक्ष इस मुद्दे पर देश को गुमराह कर रहा है.
जाट आरक्षण पर वित्त मंत्री ने कहा कि इस मुद्दे पर जाट नेताओं की इसी सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक में विचार विमर्श हुआ. उच्चतम न्यायालय ने हाल में जाट आरक्षण को रद्द कर दिया है. जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री ने उन्हें आश्वस्त किया है कि गहन विचार-विमर्श के बाद इस मुद्दे पर कानून के तहत उचित रास्ता ढूंढा जाएगा.
गंगा नदी की सफाई पर जेटली ने कहा कि राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण की प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में इससे संबंधित मुद्दों व जल के प्रवाह को कायम रखने पर विचार-विमर्श हुआ. उन्होंने कहा कि गंगा नदी की सेहत सुधारना सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है.
वित्त मंत्री ने कहा कि गंगा नदी की सफाई का काम तीन से चार माह में शुरु हो जाएगा. शुरुआत में इस पर 4,000 करोड रुपये खर्च किए जाएंगे. आगामी पांच बरसों में इस पर कुल 20,000 करोड रुपये खर्च होंगे.
उन्होंने कहा कि मनरेगा की बैठक में वाराणसी घाटों की तस्वीर सुधारने पर विचार-विमर्श हुआ. इसमें यह तथ्य सामने आया कि गंगा में सबसे अधिक औद्योगिक और घरेलू कचरा कानपुर से वाराणसी के बीच डाला जाता है. बिहार के लिए गाद भी एक समस्या है.
Prabhat Khabar Digital Desk
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