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आप विधायकों ने योगेंद्र यादव, शांति व प्रशांत भूषण को पार्टी से निकालने की मांग तेज की

नयी दिल्ली: पार्टी नेतृत्व के बीच बढती सार्वजनिक बहस के साथ आप विधायकों के एक वर्ग ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए शांति भूषण ,उनके बेटे प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को पार्टी से निकालने की मांग तेज कर दी है.पार्टी का अनुशासन तोडने वालों के खिलाफ अनुकरणीय कार्रवाई करने की मांग करते हुए आम […]

नयी दिल्ली: पार्टी नेतृत्व के बीच बढती सार्वजनिक बहस के साथ आप विधायकों के एक वर्ग ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए शांति भूषण ,उनके बेटे प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को पार्टी से निकालने की मांग तेज कर दी है.पार्टी का अनुशासन तोडने वालों के खिलाफ अनुकरणीय कार्रवाई करने की मांग करते हुए आम आदमी पार्टी के विधायक कपिल मिश्र ने तीनों नेताओं को पार्टी से निकालने की मांग को लेकर विधायकों के बीच एक हस्ताक्षर अभियान शुरु किया.करावल नगर के विधायक मिश्र ने दावा किया कि पार्टी के 55 से अधिक विधायक अब तक याचिका पर हस्ताक्षर कर चुके हैं.

मिश्र ने कहा, ‘‘अरविंद (केजरीवाल) जी के वापस आने के बाद मैं पार्टी के विधायकों के समर्थन से उन्हें यह याचिका दूंगा. मैंने सभी विधायकों से बात की है और वे याचिका पर हस्ताक्षर करने को लेकर सहमत हो गए हैं.’’ जरीवाल प्राकृतिक उपचार के लिए बेंगलुरु गए हुए हैं.आप विधायक नरेश यादव (महरौली), आदर्श शास्त्री (द्वारका), प्रवीण कुमार (जंगपुरा), सुरिंदर सिंह (दिल्ली कैंट) और पूर्व मंत्री गिरीश सोनी (मादीपुर) समेत अन्य याचिका पर हस्ताक्षर करने के लिए आज मिले.

हालांकि कुछ विधायक हैं जिन्होंने अब भी पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किया है. इनमें बिजवासन के विधायक देवेंद्र सेहरावत और तिमारपुर के विधायक पंकज पुष्कर शामिल हैं.सेहरावत ने कहा, ‘‘एक ही अपराध के लिए किसी को दो बार क्यों सजा दी जाए. उन्हें पहले ही (पार्टी की) राजनीतिक मामलों की समिति से निकाला जा चुका है और यह स्वभाविक न्याय के नियम के खिलाफ है.’’ सेहरावत ने कहा कि पार्टी ने याचिका पर हस्ताक्षर के लिए किसी तरह का व्हिप या आदेश नहीं जारी किया है.

उन्होंने कहा, ‘‘मैं पार्टी का एक अनुशासित सदस्य हूं. पार्टी जो भी कहेगी, मैं करुंगा. लेकिन यह आप विधायकों द्वारा लिया गया एक अनौपचारिक फैसला है. इस पर पार्टी की तरफ से कोई फरमान जारी नहीं किया है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं नहीं चाहता कि पार्टी टूटे और तोडने वाली ताकतों के बजाए एकजुट करने वाली ताकतें होनी चाहिए.’’ कई प्रयासों के बावजूद पुष्कर से संपर्क नहीं किया जा सका. उन्हें यादव और भूषण का करीबी समझा जाता है.

इस बीच सूत्रों ने कहा कि केजरीवाल गुट इस महीने के आखिर में होने वाली पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक से पहले तीनों नेताओं पर तेज आक्रमण शुरु करने के लिए जमीन तैयार कर रहा है.इससे पहले कल आप के शीर्ष नेतृत्व ने तीनों नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा था कि उन्होंने हाल के दिल्ली विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार सुनिश्चित करने का काम किया और उसकी छवि खराब की.

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