नयी दिल्ली : कांग्रेस ने संसद की कार्यवाही ठप करने का ठीकरा एनडीए सरकार के सिर फोड़ा है. वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना ‘धृतराष्ट्र’ से करते हुए कहा कि धर्मांतरण जैसे विवादित मुद्दों पर सरकार के मुखिया का ‘मूक समर्थन’ था जिसकी वजह से दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित हुई.
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष आजाद ने सरकार के इस आरोप को खारिज कर दिया कि विपक्ष ने संसद को ठीक से नहीं चलने दिया. उन्होंने कहा कि सांसद कई दिनों तक एक साथ मांग करते रहे कि प्रधानमंत्री आकर सदन में बयान दें लेकिन ऐसा नहीं किया गया.
उन्होंने कहा कि जब भी भ्रम की स्थिति हो और जब हिंदू, मुस्लिम, सिख या ईसाई असुरक्षित महसूस करें तो यह प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी होती है कि वह देश को एकजुट रखे और लोगों के धार्मिक अधिकारों एवं आकांक्षाओं की रक्षा करे. इंडियन वीमेंस प्रेस कोर में यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए आजाद ने कहा, यह बडी छोटी बात है. उन्हें संसद के दौरान एक दिन में 10 बार ऐसा करना चाहिए.
आप परिवार के मुखिया हैं. आजाद ने कहा, यदि बच्चे लड रहे हों और परिवार का मुखिया धृतराष्ट्र बन जाए. वह बिल्कुल धृतराष्ट्र की तरह हो गए और सब कुछ होने दिया. इसका मतलब है कि कहीं न कहीं मूक समर्थन है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सबसे पुरानी पार्टी है और अपनी जिम्मेदारियां समझती है.
कांग्रेस नेता ने कहा, पर जहां तक संसद की बात है, जो कुछ भी हुआ…….मैं इसके लिए पूरी तरह सरकार को जिम्मेदार मानता हूं. आजाद ने मोदी पर आरोप लगाया कि संसद सत्र के दौरान धर्मांतरण पर पैदा हुए विवाद पर वह चुप्पी साधे हुए थे. उन्होंने कहा, धर्मांतरण का मुद्दा बडे पैमाने पर शुरु हुआ. जब मैं सदन में बैठता हूं तो मैं जानता हूं कि धर्मांतरण का यह मुद्दा सिर्फ देश तक सीमित नहीं है. अमेरिका जैसे देश को बयान जारी कर कहना पडा कि वह इस मामले पर पैनी नजर रख रहा है.