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जानें! देवयानी खोबरागड़े का पूरा सच, किन-किन बातों पर एतराज

-मुकुन्द हरि- आइएफएस अधिकारी और अमेरिका में भारतीय उप महावाणिज्य दूत रह चुकी देवयानी खोबरागड़े के मामले ने एक बार फिर से तूल पकड़ लिया है. इस बार देवयानी विदेश मंत्रालय द्वारा अपने पद से हटाये जाने और अगले आदेश तक पदस्थापन के इंतजार में रखे जाने की वजह से चर्चा में हैं. गौरतलब है […]

-मुकुन्द हरि-
आइएफएस अधिकारी और अमेरिका में भारतीय उप महावाणिज्य दूत रह चुकी देवयानी खोबरागड़े के मामले ने एक बार फिर से तूल पकड़ लिया है. इस बार देवयानी विदेश मंत्रालय द्वारा अपने पद से हटाये जाने और अगले आदेश तक पदस्थापन के इंतजार में रखे जाने की वजह से चर्चा में हैं.
गौरतलब है कि पिछले साल देवयानी को वीजा धोखाधड़ी और घरेलू नौकरानी का आर्थिक शोषण करने के आरोप में दिनांक 12 दिसम्बर 2013 को सार्वजनिक रूप से हथकड़ी लगाते हुये न्यूयार्क पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद भारत में देवयानी को जबरदस्त मीडिया कवरेज मिला था और तत्कालीन मनमोहन सरकार ने भी अमेरिका के इस कदम का सख्ती से विरोध किया था. भारत सरकार ने तो सख्ती बरतते हुए नयी दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास के सामने से सारे बैरिकेड हटा लेने के निर्देश भी दे दिए थे. इसके अलावा भारत ने अमेरिकी दूतावास के लिए भेजे जाने वाले खाने, शराब आदि सब चीज़ों के क्लियरेंस रोक लिए थे और साथ ही सरकार ने सारे डिप्लोमैटिक स्टाफ के एयरपोर्ट पास भी वापस ले लिये थे. अमेरिकी कॉन्स्युलेट्स में कार्यरत भारतीय स्टाफ को दिये जाने वाले वेतन का विवरण भी मांगा गया था.
इस मामले में भारत के कड़े ऐतराज के बाद अमेरिका के रुख में नरमी आई थी. अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा था कि वो देवयानी मामले में गिरफ्तारी की प्रक्रिया की समीक्षा करेगा. इस पूरे प्रकरण में उनके वकील डेनियल एन अर्शहाक ने कहा था कि अपने राजनयिक दर्जे के कारण खोबरागड़े को मुकदमे से छूट मिली हुई है. यह पूरा प्रकरण अभियोजन फैसले में बेहद गंभीर भूल को दर्शाता है और यह अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल की शर्मनाक असफलता है.
बाद में देवयानी की गिरफ्तारी और बदसलूकी मामले पर तनाव बढ़ने के बाद अमेरिका ने खेद जताया. अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिव शंकर मेनन को फोन कर देवयानी मामले पर खेद प्रकट किया था.
लेकिन अब सवाल उठता है कि इस घटना के एक साल बाद ऐसा क्या हुआ कि देवयानी खोबरागड़े के समर्थन में खड़ा विदेश मंत्रालय और केंद्र सरकार सत्ता बदलते ही देवयानी के खिलाफ इतना कठोर कदम उठा रहा है !
दरअसल, केंद्र सरकार और विदेश मंत्रालय के इस कदम के पीछे कई बड़े कारण हैं और जानकारों के मुताबिक भारत-अमेरिका के बीच रिश्तों में पड़ी खटास को दूर करके आगे बढ़ने की एक कोशिश के तौर भी देखा जा रहा है. ऐसी सम्भावना भी हो सकती है कि देवयानी को अमेरिकी दबाव की वजह से उनके पद से हटाया गया हो.
आइये पहले आपको देवयानी खोबरागड़े के बारे में कुछ जानकारी देते हैं और उसके बाद आपको देवयानी से जुड़े विवादों के बारे में बताते हैं, ताकि आप ये जान सकें कि विदेश मंत्रालय का देवयानी के विरुद्ध निर्णय किन कारणों की वजह से लिया गया हो सकता है.
देवयानी खोबरागड़े का परिचय :
देवयानी खोबरागड़े का जन्म 1974 में तारापुर, महाराष्ट्र में एक प्रतिष्ठित दलित परिवार में हुआ था. उनके पिता उत्तम खोबरागड़े महाराष्ट्र कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं. उनकी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के माउंट कारमेल स्कूल में हुई. बाद में उन्होने सेठ जीएस मेडिकल कॉलेज और केईएम अस्पताल मुंबई से एमबीबीएस किया. देवयानी के चाचा डॉ॰ अजय एम गोंडाने भी 1985 बैच के एक आइएफएस अधिकारी हैं. विदेश सेवा में आने से पहले देवयानी का सपना एक डॉक्टर बनने का था. उनकी छवि हमेशा महिला अधिकारों और लिंग समानता जैसे गंभीर मसलों की वकालत करने वाली महिला के तौर पर जाहिर हुई है. वे 1999 बैच की आइएफएस अधिकारी हैं.
देवयानी की एक प्रोफेसर से शादी हुई है, जिनसे तीन और छह वर्ष की दो बेटियां हैं. वे अंग्रेजी, हिंदी, जर्मन और मराठी भाषाएं जानती हैं. साल 2012 में वे चेवेनिंग रोल्स रॉयस साइंस एंड इनोवेशन लीडरशिप प्रोग्राम के लिए चुनी गई और इस कोर्स को पूरा किया. वे अंग्रेजी, हिंदी, जर्मन और मराठी भाषाएं जानती हैं. वे काफी समय से दलित उत्पीड़न और लिंग भेद के खिलाफ लड़ती आई हैं. वे सोशल नेटवर्किंग साईट पर बहुत ही ज्यादा सक्रिय भी हैं.
अमेरिका में विवाद :
देवयानी 1999 में भारतीय विदेश सेवा (आइएफएस) हेतु चयनित हुई. उन्होने अमेरिका के संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) के भारतीय दूतावास में जाने से पहले पाकिस्तान, इटली और जर्मनी में भारतीय मिशनों के अंतर्गत राजनीतिक विभागों को संभाला. वे वर्तमान में अमेरिका स्थित न्यूयॉर्क में नियुक्त भारतीय उप महावाणिज्य दूत हैं. नौकरानी से विवाद के बाद अमेरिकी बदसलूकी का शिकार हुई देवयानी का तबादला न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में कर दिया गया. ऐसा इसलिए किया गया है ताकि देवयानी को पूरी तरह से राजनयिक सुरक्षा मिल सके और अमेरिकी कानूनों के मुताबिक उन्हें और ज्यादा परेशान न किया जा सके.
देवयानी को वीजा धोखाधड़ी और घरेलू नौकरानी का आर्थिक शोषण करने के आरोप में दिनांक 12 दिसम्बर 2013 को सार्वजनिक रूप से हथकड़ी लगाते हुये न्यूयार्क पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया. बाद में उन्होंने न्यायालय में कहा कि वह दोषी नहीं हैं. इसके बाद उन्हें ढाई लाख डॉलर के बॉन्ड पर रिहा किया गया था.
विवादित आदर्श सोसायटी में फ्लैट :
देवयानी खोबरागाड़े का आदर्श हाउसिंग सोसायटी में भी एक फ्लैट का मालिकाना हक़ होने की बात सामने आई थी. एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, इसके लिए देवयानी ने अपने सदस्यता आवेदन में भी सही तथ्यों को छुपाते हुए गलत जानकारी दी थी.
देवयानी की नियुक्ति पर वरीयता को लेकर सुप्रीम कोर्ट का ऐतराज :
देवयानी खोबरागड़े की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी कड़ा ऐतराज जताया था. कोर्ट ने कहा था कि साल 1999 में देवयानी को उनकी मर्जी के मुताबिक पसंदीदा जगह पर नियुक्ति दी गयी थी जबकि मेरिट लिस्ट में उनसे अधिक अंक लाने वाले उम्मीदवार को देवयानी के मुकाबले कम वरीयता दी गयी. कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में स्पष्ट रूप से देवयानी को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों को मनमाने ढंग से बदला गया है.
देवयानी के मुकाबले उनसे ऊपर रहने वाले उनके ही बैचमेट रहे महावीर सी. सिंघवी की तरफ से दायर इस मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट ने यह माना था कि देवयानी को जर्मनी में नियुक्त करने में महावीर सिंघवी की जगह वरीयता दी गयी थी और देवयानी को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों को मनमाने तरीके से तोड़ा-मरोड़ा गया था.
बेटियों के दोहरे पासपोर्ट बनवाने की दोषी :
मार्च 2014 में अंग्रेजी अखबार इन्डियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक देवयानी ने अपनी बेटियों के लिए भारत और अमेरिका, दोनों देशों का पासपोर्ट बनवा रखा था, जो भारत के संविधान के अनुसार गैर-कानूनी है. इस मामले में देवयानी से पूछ-ताछ भी की गयी थी. इस बात को लेकर देवयानी ने मीडिया में भी गैर-जिम्मेदाराना बयान दिए थे, जिसे सरकार ने सही नहीं माना. इसके अलावा सूत्रों के मुताबिक, विदेश मंत्रालय ने देवयानी खोबरागड़े की बेटियों के दोहरे पासपोर्ट को गंभीर मामला बताया है.
क्या कहना है देवयानी का !
सरकार के देवयानी के खिलाफ उठाये गए कदम पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए आज देवयानी खोबरागड़े ने एनडीटीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि वो इस मुद्दे पर अपना इस्तीफ़ा नहीं देंगी, इसका सवाल ही नहीं उठता. देवयानी ने ये भी कहा कि उन्होंने अपनी नौकरी के दरमियान सेवा नियमों का किसी भी तरह से उल्लंघन नहीं किया है.
हालांकि, इसी टीवी चैनल पर पिछले हफ्ते अपने एक अन्य इंटरव्यू में देवयानी ने अपने बच्चों के अमेरिकी पासपोर्ट होने के सवाल पर कहा था कि उनके बच्चे अमेरिका में जन्मे हैं, इसलिए वे जन्म से अमेरिकी नागरिक हैं. उनके इस बयान ने विदेश मंत्रालय में खलबली मचा दी थी.
ऐसे में, फिलहाल यही लगता है कि देवयानी की जो मुश्किलें पहले थोड़ी कम होती नजर आ रही थीं, वो दरअसल अब बहुत ज्यादा बढ़ चुकी हैं और इन बिन्दुओं पर गौर करें तो ऐसा लगता है कि भविष्य में देवयानी की परेशानी और बढती हुयी नजर आ सकती है.

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