सुप्रीम कोर्ट ने आज एक अहम मामले में एम्स के डायरेक्टर को यह निर्देश दिया है कि वे डाॅक्टर्स की एक टीम गठित करें, जो इस बात की जांच करेगी कि एक 20 वर्षीय बीटेक की छात्रा के 29 सप्ताह के गर्भ को सुरक्षित तौर पर गिराया जा सकता है या नहीं.
एम्स के डाॅक्टर्स की टीम करेगी जांच
गौरतलब है कि 20 साल की एक अविवाहित छात्रा ने कोर्ट का रुख किया है और उनसे यह मांग की है कि उसे अपने 29 सप्ताह के गर्भ को गिराने की इजाजत दी जाये. एम्स द्वारा गठित डाॅक्टरों की टीम जांच के बाद अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेगी.
क्या कहता है कानून
गर्भपात को लेकर देश में Medical Termination of Pregnancy Act, 1971 लागू है जिसके अनुसार 20 सप्ताह तक के गर्भ के गर्भपात की इजाजत कानून देता था. लेकिन 2021 में इसे संशोधन हुआ और अब 24 तक के गर्भ के गर्भपात की इजाजत कानून देता है. लेकिन इसके लिए यह आवश्यक है कि गर्भपात से महिला को कोई नुकसान ना पहुंचे. साथ ही कानून में यह प्रावधान भी है कि यह बताया जाये कि आखिर क्यों 24 सप्ताह के गर्भ के गर्भपात की जरूरत हो गयी.अविवाहित लड़कियों और भ्रूण के सामान्य ना होने की स्थिति में भी कोर्ट गर्भपात की इजाजत देता है. वहीं कुछ विशेष मामलों में 24 हफ्ते के बाद भी गर्भपात कराने की अनुमति ली जा सकती है.