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घुसपैठ को दरकिनार कर संयुक्त अभ्यास करेगी भारत-चीन की सेना

नयी दिल्ली: पिछले कुछ सालों से कभी लद्दाख तो कभी अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर चीनी सैनिकों की घुसपैठ के मामले को देश भर में विभिन्न स्तरों पर उठाया गया है. हाल ही में चीन के राष्ट्रपति के भारत दौरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मुद्दे पर अपनी चिंता उनके सामने जाहिर की […]

नयी दिल्ली: पिछले कुछ सालों से कभी लद्दाख तो कभी अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर चीनी सैनिकों की घुसपैठ के मामले को देश भर में विभिन्न स्तरों पर उठाया गया है. हाल ही में चीन के राष्ट्रपति के भारत दौरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मुद्दे पर अपनी चिंता उनके सामने जाहिर की थी.

लगता है इसी विश्वास को बढ़ाने की गरज से भारत और चीन आपस में स्वस्थ सैनिक संबंध स्थापित करने के इरादे से 16 नवंबर को ‘हैंड-इन-हैंड’ यानि हाथों में हाथ नामक संयुक्त सैन्य अभ्यास करेंगे.दोनों देश संयुक्त सैन्य अभ्यास की श्रृंखला में अगला हैंड-इन-हैंड संयुक्त अभ्यास पुणे के औंध शिविर में करेंगे. चीन और भारत के बीच यह चौथा संयुक्त सैन्य अभ्यास होगा.
रक्षा मंत्रालय के अनुसार इस संयुक्त अभ्यास का उद्देश्य विद्रोह और आतंकवाद का मुकाबला करना और इस तरह से दोनों देशों के बीच स्वस्थ सैनिक संबंध स्थापित करना है. मंत्रालय के मुताबिक इस प्रकार के अभ्यास से दोनों सेनाओं की बुनियादी कुशलता बढेगी. इस अभ्यास की योजना कंपनी स्तर पर बनायी गयी है और संबद्ध बटालियन हेडक्वार्टर इस अभ्यास का नियंत्रण करेंगे. ये प्रशिक्षण और युद्धाभ्यास औंध सैनिक शिविर में तथा सैनिक इंजीनियरिंग कॉलेज और दीघी फायरिंग रेंज में किए जाएंगे. इसकी देख-रेख दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारियों का एक संयुक्त निदेशन पैनल करेगा.
भारत में इससे पहले चीन के साथ ऐसा संयुक्त सैन्य अभ्यास 2008 में बेलगाम में हुआ था और इसके पहले 2007 तथा 2013 के संयुक्त अभ्यास चीन में हुए थे. पुणे में होने जा इस संयुक्त अभ्यास में भारतीय वायुसेना के हेलिकाप्टर भी शामिल होंगे. इसमें कई प्रकार के युद्धाभ्यास करने की योजना बनायी गयी है.

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