नयी दिल्ली : सरकार जल्दी ही योजना आयोग को रिप्लेस करने वाली संस्था का स्वरूप पेश कर सकती है. खबर है कि सरकार नवंबर में शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र से पहले उस नयी आधिकारिक संस्था का ढांचा पेश कर सकती है.
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार सरकार इस बात से पूरी तरह वाकिफ है कि शीतकालीन सत्र में सांसद निश्चित तौर पर आयोग की जगह पर वैकल्पिक संस्था के गठन की स्थिति के बारे में सवाल करेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से इसकी घोषणा की थी.
योजना आयोग में विशेषज्ञों की बैठक में नयी संस्था के संबंध में चर्चा हुई और सरकार को कई सुझाव दिये गये. हालांकि, प्रधानमंत्री ने अभी तक इस पर अंतिम राय नहीं बनायी है.
कामकाज में निरंतरता बरकरार रखने के लिए सरकार ने सालाना योजना व्यय तय करने की जिम्मेदारी आयोग से हटाकर वित्त मंत्रालय को सौंप दी है.
हाल में वित्त मंत्रालय ने सभी मंत्रालयों और विभागों से 2015-16 के लिए अपनी योजना सीधे उसे भेजने के लिए कहा है. पहले यह होता था कि केंद्रीय मंत्रालय और राज्य अपने सालाना योजना व्यय का प्रस्ताव आयोग के पास भेजते थे. मंत्रालय और राज्यों के बजट प्रस्तावों का आकलन करने के बाद आयोग और वित्त मंत्रालय संयुक्त रूप से योजना व्यय की मात्रा तय करते थे.
वित्त मंत्रालय के साथ केंद्रीय मंत्रालयों और राज्यों के योजना व्यय पर वार्ता के अलावा आयोग बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं समेत विभिन्न मंत्रालयों के मंत्रिमंडल प्रस्तावों का भी आकलन करता रहा है.आयोग पर पंचवर्षीय योजनाओं का मसौदा तैयार करने की भी जिम्मेदारी है जिसे प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली देश की सर्वोच्च निर्णय संस्था राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) मंजूरी देती है.
परिषद में मंत्रिमंडल के सदस्य और मुख्यमंत्री शामिल होते हैं. उपलब्ध सूचना के मुताबिक गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली संसदीय मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक सोमवार को होगी जिसमें शीतकालीन सत्र की समयसारणी तय होगी. हालांकि सूत्रों ने बताया कि शीतकालीन सत्र 24 नवंबर से शुरू होने की संभावना है.