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प्रशांत भूषण के खिलाफ मामला दर्ज करायेंगे सीबीआई प्रमुख

नयी दिल्ली: सीबीआई ने निदेशक रंजीत सिन्हा ने मासं निर्यातक से अपने संबंधों से इनकार करते हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ मिथ्या साक्ष्य का मामला दर्ज कराने की बात कही. उन्होंने साफ किया कि उनके और विवादास्पद मांस निर्यातक मोइन कुरैशी के बीच कोई बातचीत नहीं हुई थी जैसा कि आरोप लगाया गया है. […]

नयी दिल्ली: सीबीआई ने निदेशक रंजीत सिन्हा ने मासं निर्यातक से अपने संबंधों से इनकार करते हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ मिथ्या साक्ष्य का मामला दर्ज कराने की बात कही. उन्होंने साफ किया कि उनके और विवादास्पद मांस निर्यातक मोइन कुरैशी के बीच कोई बातचीत नहीं हुई थी जैसा कि आरोप लगाया गया है.

सिन्हा ने कहा कि वह अगले सप्ताह मामला दायर करेंगे क्योंकि भूषण द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोप आयकर जांच मामले में ‘‘औंधे मुंह गिरे’’ हैं. उन्होंने कहा, ‘‘ यह रंजीत सिन्हा का सवाल नहीं बल्कि सीबीआई निदेशक के पद के सम्मान और गरिमा का सवाल है.’’ सिन्हा ने यहां कहा, ‘‘ मैंने उच्चतम न्यायालय में जाने का फैसला किया था.
मैं महत्वपूर्ण नहीं हूं बल्कि मेरा संगठन महत्वपूर्ण है. प्रमुख जांच एजेंसी की गरिमा बहाल करने के लिए मैं उच्चतम न्यायालय का आभारी हूं.’’उन्होंने भूषण द्वारा लगाए गए इन आरोपों को भी खारिज किया कि कुरैशी संभवत: सीबीआई निदेशक और कोयला घोटाला आरोपी के बीच एक संपर्क सूत्र था.भूषण ने आरोप लगाया था कि 15 महीनों की अवधि में कुरैशी के साथ सिन्हा की 90 मुलाकातें हुईं और यह भी दावा किया कि कोयला घोटाले से जुडे विभिन्न मामलों में एजेंसी को जांच बंद कराने को राजी करने में वह एक संपर्क सूत्र थे.
अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने उच्चतम न्यायालय को शुक्रवार को कुरैशी के संबंध में आयकर महानिदेशक (जांच) द्वारा तैयार की गयी रिपोर्ट से अवगत कराया था.रोहतगी ने उच्चतम न्यायालय में कहा था, ‘‘ कोई बातचीत नहीं हुई (कुरैशी और सिन्हा के बीच ). मौजूदा सीबीआई निदेशक को लेकर कुछ परोक्ष जिक्र हो सकता है लेकिन कोई सीधी बातचीत नहीं हुई.’’ कोयला मामलों की सुनवाई कर रही विशेष अदालत द्वारा यह टिप्पणी किए जाने पर भी सिन्हा ने आपत्ति जतायी थी कि जांचकर्ताओं को सीबीआई अकादमी में उचित प्रशिक्षण और रिप्रेफेशर कोर्स करवाया जाना चाहिए ताकि वे अपने जांच कौशल को मांज सकें.
उच्चतम न्यायालय ने कोयला ब्लाक आवंटन मामलों की सुनवाई कर रही विशेष अदालत से कहा था कि वह घोटाले की जांच कर रहे अधिकारियों के खिलाफ व्यक्तिगत टिप्पणियां नहीं करे और कानून की बात तक सीमित रहे.न्यायाधीश एम बी लोकुर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने विशेष अदालत द्वारा की गयी टिप्पणियां को नामंजूर करते हुए कहा था, ‘‘ यह : सुनवाई अदालत : कानूनी मुद्दों तक रहेगी और कोई व्यक्तिगत टिप्पणी न करें.’’न्यायालय ने इसके साथ ही कोयला मामलों की जांच कर रहे किसी भी अधिकारी के शीर्ष अदालत की मंजूरी के बिना जांच से हटने पर भी रोक लगा दी थी.सिन्हा ने दावा किया था कि ‘‘निहित स्वार्थो’’ द्वारा झूठे आरोप लगाकर सीबीआई की छवि को नुकसान पहुंचाने के संगठित प्रयास हो रहे हैं.

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