नयी दिल्ली : नेटवर्क 18 के पूर्व प्रमुख राघव बहल ने हाल में अंगरेजीबिजनेस अखबार फिनांसियल एक्सप्रेस को दिये एक इंटरव्यू में कहा है कि एकअखबार का स्वामित्व हासिल करने के उनके सपने की अब मौत हो चुकी है.उन्होंने कहा है कि भविष्य डिजिटल मीडिया का है और वे इसी क्षेत्र मेंअपना पांव पसारेंगे.
नेटवर्क 18 के एमडी का पद हाल में ही छोड़ने के बाद बहल और उनकी पत्नी रितु कपूर पिछले कुछ दिनों तक अमेरिका के सिलिकन वैली की यात्रा पर थे. देश के मीडिया जगत की शीर्ष हस्तियों में शुमार इस दंपती ने यह यात्रा नयी चीजें व मीडिया व तकनीक के विषय में जानकारियां हासिल करने के उद्देश्य से की. उन्होंने अखबार से बातचीत में इस यात्रा को लर्निग ट्रिप का नाम दिया है.
डिजिटल मीडिया में प्रवेश की तैयारी 2012 में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने नेटवर्क 18 के विस्तार के लिए 4000 करोड़ रुपये का निवेश किया.इस तरह धीरे-धीरे इस समूह के हाथ में इस मीडिया कंपनी का पूरा नियंत्रण आने के बाद बहल को प्रबंध निदेशक का पद छोड़ना पड़ा. हालांकि बहल को समूह छोड़ने के बाद 700 करोड़ रुपये मिले. 18 सालों तक नेटवर्क 18 से जुड़े रहे बहल के पास मीडिया इंडस्ट्री में निवेश के लिए पर्याप्त पैसा है और ऐसे में वह इस क्षेत्र में जल्द ही अपनी दूसरी पारी की शुरुआत करने की तैयारी में हैं. दूसरी पारी में वे डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में प्रवेश करने वाले हैं. उनका मानना है कि पश्चिम की तरह भारत में भी प्रिंटेड अखबारों का भविष्य बहुत लंबा नहीं है.
बहल को 18 अंक से विशेष लगाव सिलिकन वैली की अपनी यात्रा में बहल व उनकी पत्नी ने यह सीखा कि कैसे डिजिटल मीडिया को शुरू किया जाये और उसे कैसे आगे बढ़ाया जाये. डिजिटल मीडिया में प्रवेश वे क्विंटेलियन मीडिया प्राइवेट लिमिटेड नामक अपनी नयी कंपनी के बैनर तले करेंगे. उनकी नयी कंपनी नये समय के अनुसार, आधुनिक तकनीक से संचालित मल्टी मीडिया कंटेंट कंपनी होगी. क्विंटलियन का अर्थ 10 का 18 गुणक (स्कवॉयर) होता है. दरअसल अपनी कंपनी के लिए यह शब्द भी उन्होंने इसलिए चुना क्योंकि वे खुद के लिए 18 नंबर को लकी मानते हैं.
कर्ज वापसी का दबाव नहीं रहने पर आप खो देते हैं पकड़
बहल ने अपने साक्षात्कार में उन गलतियों व उससे मिली सीख का भी उल्लेख किया है, जो उन्होंने नेटवर्क 18 में किया. इस साक्षात्कार में अपने नये मीडिया बिजनेस में उन गलतियों से बचने के बारे में उन्होंने बात की. वे कहते हैं कि नेटवर्क 18 में सबसे बड़ी भूल यह हुई कि उन्हें शुरुआती सालों में ही उसके लिए निवेशक मिल गया था.
शुरुआत में निवेशक मिल जाना एक बहुत अच्छी स्थिति नहीं थी. वे कहते हैं किसी नये निजी उद्यम में शुरुआत में अगर आप किसी को इक्विटी दे देते हैं, तो आप पर खुद के लिए बाकी जीवन आराम करने का दबाव बढ़ जाता है. अगर आप कोई उद्यम हाथ में पर्याप्त नकदी के बिना शुरू कर रहे हैं और उसमें कोई निवेशक आप पर बिना कर्ज वापसी का दबाव दिये या बिना शर्त के लगातार अपना निवेश बढ़ाता जाता है, तो इस तरह की स्थिति में आप धीरे-धीरे अपनी ही कंपनी पर से अपना नियंत्रण खो देते हैं.
अंत में आप अपनी ही कंपनी छोड़ देते हैं. बहरहाल, बहल अपने नये उद्यम को लेकर उत्साहित हैं. वे कहते हैं कि इसमें भी निवेशक होंगे, लेकिन उनसे व पैसों से ज्यादा हमारी प्राथमिकता बेहतर प्रतिभा व रिश्तों पर होगी. बोर्ड में इन्हें जगह दी जायेगी. हैंड डिवाइस को ध्यान में रख तैयार कर रहे हैं नया मीडिया प्लेटफॉर्म बहल ने अपने साक्षात्कार में कहा कि नेटवर्क 18 बिजनेस, सार्वजनिक नीति, सामाचार जैसे विभिन्न क्षेत्रों में प्रवेश कर गया है, जो मेरे विषय के क्षेत्र हैं. पर, अपने नये मीडिया वेंचर को वे हैंड डिवाइस को ध्यान में रख स्वरूप दे रहे हैं. बहल ने कहा है कि आज परंपरागत वेबसाइटें भी तेजी से बदल रही हैं. एक हैंड डिवाइस में मल्टी मीडिया डिवाइस की तरह काम करता है, जिसमें आप समाचार भी देख सकते हैं, सूचनाएं भी पा सकते हैं और मनोरंजन भी कर सकते हैं. अपनी अमेरिका यात्रा के बाद वे 21वीं सदी में एक आधुनिक न्यूज प्लस डिजिटल मीडिया तैयार करना चाहते हैं. यानी जहां न्यूज के अलावा अन्य दूसरी चीजें भी उपलब्ध हो.
वे कहते हैं कि पहले हमने फर्स्ट पोस्ट डॉट कॉम व मनी कंट्रोल डॉट कॉम जैसी वेबसाइटें लांच की थी, लेकिन अमेरिका के एक सप्ताह के दौरे के बाद हमारा नजरिया पूरी तरह से बदल गया है. नयी कंपनी में आधुनिकतम तकनीक व मल्टी मीडिया के लिए माहौल रहेगा. हम टेक्नोलॉजी के स्तर पर पहल करेंगे. अवश्य ही इसमें हम सर्वोत्तम कंटेंट लोगों को उपलब्ध करवायेंगे.
डिजिटल मीडिया में यूआइ व यूएक्स महत्वपूर्ण
बहल के अनुसार, उन्होंने अमेरिका यात्रा के दौरान विज्ञापन तकनीक के बारे में बहुत कुछ नया सीखा है. यह टीवी व अखबार से बहुत अलग होता है. डिजिटल विज्ञापन का चरित्र बेहद व्यक्तिगत होता है. वे कहते हैं अमेरिका यात्रा से पहले उन्हें यूआइ यानी यूजर इंटरफेस और यूएक्स यानी यूजर एक्सपिरयेंस का कोई आइडिया नहीं था. पर, आज वे जानते हैं कि किसी भी डिजिटल प्रोडक्ट की सफलता के लिए यह बहुत अहम फैक्टर हैं. बहल कहते हैं कि समाचार एक उत्पाद के रूप में एक वस्तु (कमोडिटी) बन चुका है. डिजिटल मीडिया में भी कई खिलाड़ी हैं. एक तरफ परंपरागत कंपनियां हैं, जो अपनी सामग्रियां लगभग मुफ्त में देती हैं, दूसरी तरफ स्वतंत्र डिजिटल खिलाड़ियों की ऐसी भीड़ है, जो खुद को ब्रांड के रूप में स्थापित करने की कोशिश में हैं. हाफिंग्टन पोस्ट डॉट कॉम जैसे सफल ग्लोबल उदाहरण, जो पाठकों वविज्ञापनदाताओं दोनों को लुभाती हैं, की तरह की संभावना भारत में होने के
सवाल पर वे कहते हैं कि अभी भारत में डिजिटल दर्शक बहुत बड़ा नहीं है, जो लोग विज्ञापन के बजट को नियंत्रित करते हैं, वे भी इनको लेकर थोड़ा सतर्कहैं. वे कहते हैं कि यहां भी डिजिटल प्लेयरों की भीड़ है. पर, एक नये क्षेत्र में जब बाधाएं उत्पन्न होती हैं, तो दो चीजें होती हैं – एक परंपरागत प्लेयर खुद में बदलाव लाने में सक्षम होते हैं; दूसरे कुछ ऐसा कर पाने में सक्षम नहीं होते, तो वे अपना अस्तित्व नहीं बचा पाते.
ऐसे में नये खिलाड़ियों के लिए जगह बनती है. यह स्थिति युवाओं पर भी लागूहोती है. मेरे विचार से दृष्टि, दृढ़ता व पूंजी एक अच्छे टेक्नो प्रोडक्ट का अस्तित्व बनाये रख सकती है. समाचार चैनलों के साथ भी यही हुआ. 2000 के दशक में बड़ी संख्या में चैनल खुले. आज भी 400 समाचार चैनल हैं, उनमें सेज्यादातर सफल बिजनेस मॉडल नहीं होने के कारण विफल हो गये. अगर आप इस सेक्टर में गंभीर प्लेयर की ओर देखें, तो पायेंगे कि वे काफी अच्छा कामकर रहे हैं. जैसे समाचार उद्योग में टाइम्स ऑफ इंडिया जैसे परंपरागत समूह भी सफल रहे हैं.
नेटवर्क 18 भी रहा सफल
बहल ने कहा अगर आप पिछले साल के नेटवर्क 18 के राजस्व को देखेंगे तो पायेंगे कि उसके पास 700 करोड़ रुपये का राजस्व आधार, अपने ऑपरेटिंग माजिर्न के 30 प्रतिशत के करीब है. हालांकि सीएनएन-आइबीएन पैसा नहीं बना रहा, लेकिन एक चैनल के रूप में उसका अस्तित्व है. इस समूह के 14 दूसरे चैनल अच्छा कर रहे हैं. आज तक, जी न्यूज, एबीवीपी भी अच्छा पैसा बना रहे हैं. 90 के दशक में टीवी मीडिया पर उठते थे सवाल बहल कहते हैं कि डिजिटल मीडिया के बारे में जिस तरह के सवाल आज उठाये जाते हैं, 90 के दशक की शुरुआत में टीवी मीडिया के बारे में ऐसे ही सवाल उठाये जाते थे. अकसर उनसे पूछा जाता था कि क्या कभी आप पैसा बना सकेंगे? आप लोग क्या करेंगे? प्रिंट मीडिया को देखो, उनके पास विज्ञापनदाता हैं, पाठक हैं, इस रूप में उनके पास मजबूत आधार है. लेकिन आज देखिए, टीवी ब्रॉडकास्टर टाइम्स ऑफ इंडिया से अधिक पैसे बना रहे हैं. हर उद्योग में विघटन का क्षण आता है. ऐसी स्थितियों में ही उसमें से विजेता व हारने वाले उभरते हैं.
तीन साल में बदल जायेगा डिजिटल मीडिया बहल ने अपने साक्षात्कार में मजबूती से माना है कि सोशल मीडिया डिजिटल मीडिया के लिए मित्र का काम कर रहे हैं. वे उसके भागीदार हैं. अगर मेरी खबर पर एक लाख ट्विट होता है, तो इसका अर्थ है हमने एक लाख नये पाठक जोड़ लिये हैं. बजफिड, हाफिंगटन ने मजबूत विज्ञापन राजस्व तैयार किया है और अब डिजिटल मीडिया के लिए भारत में भी यह उभर रहा है. मेरा अनुमान है कि अगले तीन सालों में भारत में बहुत बड़ी संख्या में डिजिटल मीडिया के पाठक-दर्शक तैयार हो जायेंगे. लोग हाथ में रहने वाले मल्टी मीडिया डिवाइस की ताकत से परिचित हो रहे हैं.
वर्तमान में चार करोड़ स्मार्ट फोन यूजर भारत में हैं, अगले तीन सालों में ये 30 करोड़ हो जायेंगे. ऐसे में पूरा खेल बदल जायेगा. 1999-2000 में जब हमलोगों ने सीएनबीसी टीवी – 18 शुरू किया था, तब इस चैनल का राजस्व तीन करोड़ रुपये से भी कम था, उस समय मुझसे पूछा जाता था कि 24 घंटे का न्यूज चैनल कौन देखेगा और मात्र 10 सालों में इस एक चैनल ने 400 करोड़ रुपये का राजस्व आधार तैयार कर लिया.
उत्कृष्ट पत्रकार व अच्छे इंजीनियर जोड़ेंगे
राघव बहल अपने नये मीडिया प्लेटफॉर्म के बारे में कहते हैं कि यह एक समाचार व समाचार प्लस मंच होगा. हम राजनीति, तकनीक, व्यापार, खेल के लिए उसमें काम करेंगे. हम सामान्य खबरों के साथ विश्लेषण व कमेंटरी भी करेंगे. हम इस काम में उत्कृष्ट पत्रकारों के साथ अच्छे इंजीनियरों को भी जोड़ेंगे. एक अखबार के स्वामी बनने के उनके पुराने सपने के सवाल पर वे कहते हैं कि उनका यह स्वप्न अब मर चुका है, समाचार पत्र खत्म हो रहे हैं, इसलिए यह कहानी खत्म हो गयी है. आज के समय में नया प्रिंट मीडिया लांच करने का कोई मतलब नहीं है. मैं महसूस करता हूं कि पश्चिम में समाचार पत्र जिस तरह की चुनौतियां या संकट से जूझ रहे हैं, भारतीय प्रकाशक भी उसे महसूस करेंगे.
छह माह में आ जायेगा नया मीडिया प्लेटफॉर्म बहल के अनुसार, उनका नया मीडिया प्लेटफॉर्म अगले छह महीने में आ जायेगा. अपनी सीख से अच्छी सामग्री हम लेकर आयेंगे. वे कहते हैं कि मैं किसी भ्रम में नहीं हूं और इस स्थापित करने में अगला तीन से पांच साल का समय लगेगा. अंत में रिलायंस इंडस्ट्री लिमिटेड से इस नये मीडिया वेंचर में तालमेल के सवाल पर वे कहते हैं, अपने कंटेंट प्लेटफॉर्म के लिए फोर जी सेवा के अलावा मैं उनसे कोई दूसरा तालमेल की संभावना नहीं देखता.
(फिनांशियल एक्सप्रेस डॉट काम के मूल पाठ से साभार अनूदित)