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जनरल रावत ने कहा- सेना सीमा पर किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार

नयी दिल्ली : भारत के पहले ‘चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ’ (सीडीएस) नियुक्त किये गये जनरल बिपिन रावत ने मंगलवार को कहा कि पाकिस्तान, चीन से लगी सीमा पर पैदा होने वाली किसी भी चुनौती से निपटने के लिए सेना बखूबी तैयार है. जनरल रावत ने मंगलवार को थल सेना प्रमुख पद से सेवानिवृत्त होने से […]

नयी दिल्ली : भारत के पहले ‘चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ’ (सीडीएस) नियुक्त किये गये जनरल बिपिन रावत ने मंगलवार को कहा कि पाकिस्तान, चीन से लगी सीमा पर पैदा होने वाली किसी भी चुनौती से निपटने के लिए सेना बखूबी तैयार है.

जनरल रावत ने मंगलवार को थल सेना प्रमुख पद से सेवानिवृत्त होने से कुछ घंटे पहले इस बात का भी जिक्र किया कि थल सेना का पुनर्गठन एवं आधुनिकीकरण सेना प्रमुख के उनके कार्यकाल के दौरान सबसे बड़ी उपलब्धियों में शामिल रही. उन्होंने 31 दिसंबर 2016 को 27वें थल सेना प्रमुख के तौर पर कार्यभार संभाला था और शानदार करियर के बाद इस पद से सेवानिवृत्त हुए हैं. एक दिन पहले सोमवार को वह भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) नियुक्त किये गये. रस्मी विदाई के बाद संवाददाताओं से बातचीत में जनरल रावत से पूछा गया कि तीन साल के उनके कार्यकाल में क्या जवान पाकिस्तान और चीन से लगी सीमा पर चुनौतियों का सामना करने के लिए बखूबी तैयार और साजो सामान से लैस हैं. उन्होंने कहा, ‘हां, मैं कहूंगा…बखूबी तैयार.’

रायसीना हिल परिसर में साउथ ब्लॉक के प्रांगण में उन्हें ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ प्रदान किया गया. थल सेना प्रमुख बनने से पहले कई वर्षों तक उन्होंने पाकिस्तान से लगी नियंत्रण रेखा (एलओसी) और चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तथा पूर्वोत्तर में विभिन्न जिम्मेदारियां संभाली थी. यह पूछे जाने पर कि थल सेना प्रमुख के तौर पर तीन साल के अपने कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि वह क्या मानते हैं, इस पर जनरल रावत ने कहा, मेरा ध्यान सेना के पुनर्गठन, आयुध प्रणाली के आधुनिकीकरण और गैर संपर्क युद्ध पर रहा. और मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया. उनके कार्यकाल में सेना को एम 777 अमेरिकी अल्ट्रा लाइट होवित्जर और के-9 वज्र सहित महत्वपूर्ण हथियार प्रणाली और सिग सौएर असॉल्ट राइफलों से लैस किया गया.

शिमला के सेंट एडवर्ड स्कूल और खड़कवासला स्थित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के पूर्व छात्र जनरल रावत भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) देहरादून से दिसंबर 1978 में भारतीय थल सेना की 11वीं गोरखा राइफल्स में शामिल हुए थे. यह पूछे जाने पर कि क्या कोई ऐसा काम रहा जो पूरा नहीं हो पाया, इस पर जनरल रावत ने कहा, कई काम अब तक अधूरे हैं. काम शुरू हो गया, लेकिन अगले प्रमुखों पर काम पूरा कराने की जिम्मेदारी होगी. जनरल रावत के स्थान पर मंगलवार को जनरल मनोज मुकुंद नरवाने ने थल सेना के 28वें प्रमुख के रूप में कार्यभार संभाला.

Prabhat Khabar Digital Desk
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