23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

जानिए प्रश्नोत्तर शैली में, क्या है नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के लागू होने के बाद भारत में अवैध रूप से रह रहे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के धार्मिक अल्पसंख्यकों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी) को नागरिकता प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है. मूल नागरिकता कानून की शर्तों समेत मौजूदा प्रावधानों के तमाम बिंदुओं पर दोनों सदनों में […]

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के लागू होने के बाद भारत में अवैध रूप से रह रहे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के धार्मिक अल्पसंख्यकों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी) को नागरिकता प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है. मूल नागरिकता कानून की शर्तों समेत मौजूदा प्रावधानों के तमाम बिंदुओं पर दोनों सदनों में विस्तृत चर्चा के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी मिल चुकी है. इस नये कानून पर अब भी तमाम तरह की चर्चाएं और सवाल उठ रहे हैं. नागरिकता संशोधन के कुछ ऐसे ही सवालों के जवाब को रेखांकित करते हुए प्रस्तुत है आज का इन-डेप्थ पेज…

Qक्या नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) भारतीय नागरिकों (हिंदू, मुस्लिम और अन्य) पर कोई प्रभाव डालेगा?

नहीं, इस कानून का भारतीय नागरिकों से कोई लेना-देना नहीं है. भारतीय नागरिक पहले की तरह संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों के तहत स्वतंत्र हैं. नागरिकता संशोधन अधिनियम इन अधिकारों को निरस्त नहीं कर रहा है और न ही वह ऐसा कर सकता है. असल में इस कानून को लेकर लोग गलतफहमी में हैं. यह कानून भारतीय नागरिकों, जिनमें मुस्लिम भी शामिल हैं, पर कोई प्रभाव नहीं डालता.

Qयह कानून किसके ऊपर लागू होता है?

पाकिस्तान, बांग्लादेश आैर अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के शिकार हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई मतावलंबी, जो 31 दिसंबर, 2014 तक पलायन कर भारत आ गये हैं, उनके ऊपर यह कानून लागू होता है. यह कानून, न ही इन तीन देशों से आनेवाले मुस्लिम नागरिकों पर लागू होता है, न ही इनके अलावा अन्य देशों से आनेवाले किसी भी विदेशी नागरिक पर.

Qयह कानून हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई केलिए कैसे लाभकारी है?

अगर उनके पासपोर्ट और वीजा जैसे यात्रा दस्तावेज सही क्रम में नहीं हैं या उपलब्ध नहीं हैं और यहां तक कि वापस अपने देश भेज दिये गये थे, तब भी वे भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं.

दूसरा, विदेशियों के लिए भारतीय नागरिकता प्राप्त करने का कानून, जिसके तहत उनके भारत में रहने की निर्धारित अवधि 1+11 वर्ष है, उन्हें घटाकर 1+5 वर्ष कर दिया गया है. तीसरा, इन समुदायों के खिलाफ अवैध प्रवासन या नागरिकता के संबंध में सभी कानूनी कार्रवाई बंद करने का प्रावधान भी किया गया है. चौथा, उपरोक्त तीन देशों के इन समुदायों का व्यक्ति भारत में प्रवेश की तिथि से ही भारतीय नागरिक माना जायेगा.

Qक्या उपरोक्त तीनों देशों के मुस्लिम कभी भी भारतीय नागरिकता नहीं प्राप्त कर पायेंगे?

नहीं, ऐसा नहीं है. उन्हें भारतीय नागरिकता लेने के लिए वर्तमान कानूनी प्रक्रिया प्राकृतिककरण (नागरिकता अधिनियम की धारा-6) या पंजीकरण (अधिनियम की धारा-5) का पालन करना होगा. सीएए किसी भी तरीके से इसमें संशोधन या बदलाव नहीं करता है. बीते कुछ वर्षों में इन तीन देशों से पलायन करनेवाले सैकड़ों मुस्लिमों को भारतीय नागरिकता दी गयी है.

योग्य पाये जाने पर भविष्य के सभी प्रवासियों को उनकी संख्या या धर्म के बावजूद भारतीय नागरिकता मिल सकती है. वर्ष 2014 में भारत-बांग्लादेश सीमा मुद्दों के निपटारे के बाद लगभग 15,000 बांग्लादेशी नागरिकों को भारतीय नागरिकता दी गयी थी, जिनमें हजारों विदेशी मुस्लिम थे.

Qक्या इन तीन देशों के अवैध प्रवासी मुस्लिमों को इस विधेयक के तहत स्वत: निर्वासित कर दिया जायेगा?

नहीं, सीएए का भारत से किसी भी विदेशी प्रवासी के निर्वासन से कोई लेना-देना नहीं है. किसी भी विदेशी नागरिक के निर्वासन प्रक्रिया, चाहे वह किसी भी धर्म या देश का हो, वह विदेशी अधिनियम, 1946 और/ या पासपोर्ट (भारत में प्रवेश के लिए) अधिनियम, 1920 के तहत पूरी की जाती है. यह दो कानून विदेशियों के भारत में प्रवेश, उनके यहां रहनेे और देश से बाहर जाने को अधिनियमित करता हैं, चाहे वे किसी भी धर्म या देश के हों. इस प्रकार भारत में रह रहे किसी भी अवैध विदेशी नागरिक पर सामान्य निर्वासन प्रक्रिया लागू होगी.

Qक्या इन तीन देशों के अलावा अन्य देशों में उत्पीड़नका सामना कर रहे हिंदू और अन्य समुदाय इस कानून के तहत आवेदन कर सकते हैं?

नहीं, उन्हें भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए सामान्य प्रक्रिया के तहत आवेदन करना होगा, जैसे दूसरे विदेशी नागरिक करते हैं, पंजीकरण या प्राकृतिककरण के जरिये. नागरिकता संशोधन अधिनियम के बाद भी उन्हें नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत किसी तरह की वरीयता नहीं दी जायेगी.

Qक्या यह विधेयक उत्पीड़न के अन्य स्वरूप जैसे, नस्ल, लैंगिक, राजनैतिक, भाषा आदि पर भी लागू होता है?

नहीं, इस विधयेक का उद्देश्य एकदम स्पष्ट है. यह कानून केवल पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के छह अल्पसंख्यक समुदायों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई), जो अपने देश में धार्मिक उत्पीड़न का शिकार हैं, केवल उन्हें नागरिकता देने की बात करता है. अन्य विदेशी नागरिक जो अपने देश में किसी भी कारण से सताये जा रहे हैं, अगर वे नागरिकता अधिनयम, 1955 के तहत आनेवाले न्यूनतम मानक को पूरा करते हैं, तो प्राकृतिककरण या पंजीकरण के तहत भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं.

Qकेवल ये तीन देश ही क्याें? और अन्य देशों के धार्मिक अल्पसंख्यक क्यों नहीं?

क्योंकि इन देशों में ही हिंदुओं समेत अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के व्यापक, व्यवस्थित और संस्थागत उत्पीड़न का ट्रैक रिकॉर्ड रहा है.

Qश्रीलंका के तमिलों काे इसमें क्याें नहीं शामिल किया गया?

1- वहां युद्ध समाप्त हुए एक दशक से अधिक का समय हो चुका है. 2- धार्मिक आधार पर वहां कभी उत्पीड़न नहीं हुआ. यह नस्लीय तर्ज पर था. दशकों के गृह युद्ध के बाद श्रीलंकाई लोगों ने तमिलों के साथ होनेवाले संस्थागत भेदभाव को समाप्त कर दिया है.

Qसंयुक्त राष्ट्र के तहत शरणार्थियों की देखरेख का जिम्मा क्या भारत का नहीं है?

प्रत्येक देश के प्राकृतिककरण के अपने नियम हैं, लिहाजा भारत नागरिकता देने के लिए बाध्य नहीं है. सीएए के तहत भारत अन्य शरणार्थियों को वापस नहीं भेज रहा है. वह संयुक्त राष्ट्र के नियमों के तहत उन्हें शरण देगा, इस आशा के साथ कि एक दिन जब स्थितियां बेहतर होंगी तो वे अपने देश लौट जायेंगे. लेकिन भारत इस बात से अच्छी तरह वाकिफ है कि इन तीन देशों में अल्पसंख्यकों के लिए स्थिति कभी भी बेहतर नहीं होनेवाली है.

Qपाकिस्तानी के बलोच, अहमदिया, म्यांमार के रोहिंग्या को इस दायरे में क्यों नहीं आना चाहिए?

उन सभी को मौजूदा कानून के तहत ही नागरिकता लेनी होगी. विशेष श्रेणी के तहत नहीं.

Qक्या सीएए का एनआरसी से लेना-देना है?

सीएए का एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन) से कोई लेना-देना नहीं है. एनआरसी के कानूनी प्रावधान 2004 दिसंबर से नागरिकता कानून, 1955 का हिस्सा हैं.

Qसीएए से क्या बांग्लादेशी हिंदू प्रवासियों की संख्या बढ़ेगी?

बांग्लादेश से अल्पसंख्यकों का बड़ी संख्या में पहले ही पलायन हो चुका है. हाल के वर्षों में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के मामलों में बहुत कमी आयी है. ऐसे में बांग्लादेशी शरणार्थियों के पलायन की संभावना बहुत कम है. हालांकि, सीएए के तहत लाभ केवल उन्हीं अल्पसंख्यक प्रवासियों को दिया जायेगा, जो 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आ चुके हैं.

Qनागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 में किसे छोड़ा गया है?

नागरिकता संशोधन कानून में विदेशी मुस्लिम प्रवासियों को शामिल नहीं करने पर विपक्ष समेत कुछ लोगों द्वारा सवाल खड़ा किया जा रहा है. इस पर सरकार का कहना है कि चूंकि, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश इस्लामिक गणराज्य हैं, जहां पर मुस्लिम आबादी बहुसंख्यक है, ऐसे में इस समुदाय को प्रताड़ित अल्पसंख्यक की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता. हालांकि, सरकार ने यह आश्वासन दिया है कि सरकार अन्य समुदाय के लोगों के आवेदन पर भी केस-टू-केस आधार पर विचार करेगी.

Qभारत में कैसे मिलती है नागरिकता?

भारत में नागरिकता संबंधित प्रावधानों का जिक्र नागरिकता अधिनियम, 1955 में किया गया है. इसके मुताबिक भारत में नागरिकता प्राप्त करने के पांच तरीके हैं- भारत में जन्म से, वंश के आधार पर, पंजीकरण के माध्यम से, प्राकृतिककरण (भारत में विस्तारित निवास) से और भारत में किसी क्षेत्र विशेष के शामिल करने से.

Qक्या अवैध प्रवासी को मिल सकती है भारतीय नागरिकता?

अवैध प्रवासियों को भारत में नागरिकता प्राप्त करने की इजाजत नहीं है. जो विदेशी नागरिक वैध यात्रा दस्तावेजोंं, जैसे- वीजा और पासपोर्ट के बगैर भारत में प्रवेश करते हैं या इन दस्तावेजों की निर्धारित अवधि समाप्त होने के बाद निवास कर रहे हैं, उन्हें अवैध प्रवासी माना जाता है. अवैध प्रवासियों पर मुकदमा चलाया जा सकता है और उन्हें निर्वासित या फिर कैद किया जा सकता है.

Qपूर्वोत्तर में नागरिकता संशोधन का विरोध क्यों हो रहा है?

पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आये गैर-मुस्लिम अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने के नियमों में ढील से पूर्वोत्तर में विरोध प्रदर्शन हो रहा है. पूर्वोत्तर के राज्यों असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नगालैंड और अरुणाचल में प्रदर्शनकारियों का कहना है कि बांग्लादेश से बड़ी संख्या में अवैध प्रवासी इन राज्यों में बस रहे हैं. इससे इनकी संस्कृति और पहचान को खतरा है.

क्या नये नियम आने के बाद भारतीय मुस्लिम नागरिकों की नागरिकता धीरे-धीरे खत्म कर दी जायेगी?

सीएए किसी भी भारतीय नागरिक पर लागू नहीं होता है. सभी भारतीय नागरिक संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों का इस्तेमाल करने को स्वतंत्र हैं. इसमें सीएए किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं करता है. यह किसी भी भारतीय नागरिक को उसकी नागरिकता से वंचित नहीं करता है. यह एक विशेष कानून है, जो तीन पड़ोसी देशों में विषम परिस्थिति का सामना कर रहे उपरोक्त छह समुदाय के विदेशी लोगों के भारतीय नागरिकता प्राप्त करने से जुड़ा है.

क्या पूरे देेश में लागू होंगे नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के प्रावधान?

संशोधन अधिनियम में यह स्पष्ट है कि इसके प्रावधानों को देश के कुछ हिस्सों में लागू नहीं किया जायेगा. यह क्षेत्र हैं- संविधान की छठीं अनुसूची में शामिल असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के अनुसूचित जनजाति क्षेत्र, बंगाल पूर्वी सीमा विनियम 1873 के अंतर्गत ‘इनर लाइन’ परमिट वाले राज्य. छठीं अनुसूची में शामिल जनजाति क्षेत्र में शामिल हैं- कार्बी अंगलोंग (असम), गारो हिल्स (मेघालय), चकमा जिला (मिजोरम) और त्रिपुरा आदिवासी जिले. इनर लाइन परमिट भारतीय नागरिकों को अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नागालैंड समेत कुछ क्षेत्रों में यात्रा को प्रतिबंधित करता है.

संविधान का अनुच्छेद-14क्यों खास है?

नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 को संविधान के अनुच्छेद-14 के तहत देखना महत्वपूर्ण है. अनुच्छेद-14 कानून के समक्ष समानता और सभी व्यक्तियों को कानून के समान संरक्षण की गारंटी देता है. भारत नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत जन्म, वंश, पंजीकरण और प्राकृतिककरण के आधार पर किसी व्यक्ति को नागरिक के रूप में मान्यता प्रदान करता है. इसका संविधान के भाग-दो में अनुच्छेद पांच से नौ के अंतर्गत विस्तृत विवरण है.

संविधान में अनुच्छेद-14 महत्वपूर्ण है. यह कहता है कि किसी व्यक्ति की कानून के समक्ष समानता को राज्य दरकिनार नहीं कर सकता या भारतीय क्षेत्र में सभी को कानून का समान संरक्षण प्राप्त है. समानता का अर्थ है कि राज्य बिना भेदभाव के हर वर्ग के लोगों के साथ व्यवहार करेगा. अनुच्छेद-14 के तहत वर्णित अधिकार निरपेक्ष हैं. ये मौलिक अधिकार केवल भारतीयों के लिए ही नहीं, बल्कि ‘किसी भी व्यक्ति’ के लिए हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें