नयी दिल्ली : दुनियाभर के 153 देशों के 11,000 से अधिक वैज्ञानिकों ने वैश्विक जलवायु आपातकाल की घोषणा की है. वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि उन मानव गतिविधियों में व्यापक और स्थायी बदलाव के बिना बहुत बड़ा नुकसान होना तय है जिनका योगदान ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन से संबंधित अन्य कारकों में होता है.
जलवायु आपातकाल की घोषणा ऊर्जा उपयोग, पृथ्वी के तापमान, जनसंख्या वृद्धि, भूमि क्षरण, पेड़ों की कटाई, ध्रुवीय बर्फ द्रव्यमान, उत्पादन दर, सकल घरेलू उत्पाद और कार्बन उत्सर्जन सहित एक व्यापक क्षेत्र को कवर करने वाले सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटा के 40 से अधिक वर्षों के वैज्ञानिक विश्लेषण पर आधारित है.
अमेरिका के ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी (ओएसयू) के कॉलेज ऑफ फॉरेस्ट्री में इकोलॉजी के एक प्रोफेसर विलियम जे रिप्पल ने कहा, 40 साल से चल रही प्रमुख वैश्विक वार्ताओं के बावजूद, हमने हमेशा की तरह व्यापार करना जारी रखा है और इस संकट को दूर करने में असफल रहे हैं. रिप्पल ने एक बयान में कहा, जलवायु परिवर्तन आ गया है और कई वैज्ञानिकों की अपेक्षा से भी कहीं तेज गति से बढ़ रहा है.