अरुण जेटली को भाजपा का ‘थिंक टैंक’ माना जाता था, जिन्होंने पार्टी के नीति-निर्माण में अहम भूमिका निभाई. अरुण जेटली पार्टी के प्रखर प्रवक्ता भी रहे थे. हिंदी और अंग्रेजी पर अद्भुत पकड़ रखने वाले अरुण जेटली एक दिग्गज राजनेता तो थे ही वे एक शीर्षस्थ वकील भी थे.
अरुण जेटली ने दिल्ली यूनिवर्सिटी में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की सदस्यता ली. छात्र जीवन में वे जेपी आंदोलन से भी प्रभावित हुए और इमरजेंसी के दौरान जेल भी गये. जेल से निकलने के बाद उन्होंने जनसंघ ज्वाइंन कर लिया था. 1991 में वे भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी में सदस्य रहे और 1999 में वे भाजपा के वरिष्ठ प्रवक्ता बने. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वे 1999 में सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्वतंत्र प्रभार के मंत्री बनाये गये थे. साथ ही वे विनिवेश राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार भी बनाये गये थे. वर्ष 2000 में उन्हें राम जेठमलानी के इस्तीफे के बाद केंद्रीय कानून मंत्री भी बनाया गया था. 2002 में वे पार्टी के महासचिव बनाये गये थे. वे 2009 से 2014 तक राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे. 2014 में जब भाजपा की सरकार बनी तो वे नरेंद्र मोदी सरकार में काफी शक्तिशाली थे और वित्तमंत्री का पद संभाला. संसद में पार्टी रणनीति तय करने में भी उनकी अहम भूमिका होती थी.
एक दिग्गज कानूनविद के रूप में कैरियर
अरुण जेटली ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से कानून की शिक्षा प्राप्त की थी और 1987 से उन्होंने देश के कई हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस की. 1990 में उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट ने वरिष्ठ वकीलों की श्रेणी में शामिल किया. वीपी सिंह की सरकार ने उन्हें 1989 में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल बनाया था. उन्होंने बोफर्स स्कैंडल की जांच में भी पेपरवर्क में अहम भूमिका निभाई भी.
महंगे पेन और लक्जरी गाड़ियों के थे शौकीन
अरुण जेटली को महंगे पेन, घड़ियों और लक्जरी गाड़ियां रखने का शौक था. वे हमेशा इन चीजों को खरीदते थे. यह भी कहा जाता है कि अरुण जेटली के मीडिया के साथ बहुत खास संबंध थे.