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कुलभूषण जाधव मामलाः अगर ICJ का फैसला नहीं माना तो पाकिस्तान का क्या होगा, अब क्या करेगा

भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव मामले में इंटरनेश्नल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) से पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी है. आईसीजे ने जाधव की फांसी पर रोक का फैसला बरकरार रखा और इस पर पाकिस्तान को पुनर्विचार करने के लिए भी कहा. कुलभूषण जाधव फिलहाल पाकिस्तान की जेल में बंद हैं. नीदरलैंड्स के द हेग स्थित […]

भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव मामले में इंटरनेश्नल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) से पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी है. आईसीजे ने जाधव की फांसी पर रोक का फैसला बरकरार रखा और इस पर पाकिस्तान को पुनर्विचार करने के लिए भी कहा. कुलभूषण जाधव फिलहाल पाकिस्तान की जेल में बंद हैं. नीदरलैंड्स के द हेग स्थित आईसीजे ने न सिर्फ भारत के हक में फैसला सुनाया बल्कि पाकिस्तान को कड़ी फटकार भी लगायी. बावजूद इसके पाकिस्तानी मीडिया इस मामले में अपनी ही पीठ थपथपा रहा है.

बीबीसी के मुताबिक, आईसीजे का यह फैसला पाकिस्तान के लिए शर्मिंदगी भरा है. बीबीसी के मुताबिक, आईसीजे ने कहा कि पाकिस्तान सूरज को चांद और चांद को सूरज बना देता है. शायद ही आईसीजे के इतिहास में किसी देश के बारे में इतना खुला और इतना साफ फैसला दिया गया हो.

हर दूसरे पैराग्राफ में कोर्ट ने पाकिस्तान को गलत करार दिया है, पाकिस्तान के लिए लगभग बेइज्जती भरे शब्द इस्तेमाल किए हैं. पाकिस्तान ने कोई भी ऐसा सबूत कुलभूषण जाधव के मामले में नहीं दिखाया, जिसमें उन्होंने उनकी एक चींटी को भी मारा हो.

फैसले के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि आईसीजे का फैसला बरी करने, रिहा करने और कुलभूषण को वापस भारत भेजने का नहीं है. वह पाकिस्तान के लोगों के खिलाफ अपराधों के लिए दोषी है. पाकिस्तान कानून के अनुसार आगे बढ़ेगा. वहीं पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले को ‘पाकिस्तान की जीत’ बताया है.

पाकिस्तान अब क्या कर सकता है?

16 जज इस मामले की सुनवाई कर रहे थे, जिसमें से 15 ने भारत के पक्ष में फैसला सुनाया. अब जो सबसे बड़ा सवाल है कि अगर पाकिस्तान ने आईसीजे का फैसला नहीं मानता है तो क्या होगा. इसका जवाब है कि खासतौर पर जाधव के मामले में सैद्धांतिक तौर पर पाकिस्तान आईसीजे का फैसला मानने के लिए बाध्य होगा क्योंकि भारत ने वियना संधि का हवाला देकर अपील की थी.

इस संधि पर पाकिस्तान ने भी हस्ताक्षर किया है और जिन देशों ने इस संधि पर साइन किए हैं वे आईसीजे के फैसला मानने को बाध्य हैं. इस बीच, पाकिस्तान ने कुछ ऐसे संकेत दिए हैं जिससे माना जा रहा है कि यह मामला संयुक्त राष्ट्र तक जा सकता है. बता दें कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 94 में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों को उन मामलों में आईसीजे के निर्णयों का पालन करना होगा जिनमें वे पक्षकार हैं. भारत और पाकिस्तान ने इस पर हस्ताक्षर किए हैं.

सुरक्षा परिषद का रोल अहम

अगर कोई देश फैसला मानने से इनकार करता है तो फिर संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद का रोल अहम हो जाता है. फिर मामले में वोटिंग होती है. ऐसे में केवल सुरक्षा परिषद पाकिस्तान को फैसला मानने के लिए मजबूर कर सकती है. लेकिन परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में चीन भी है, जो पाकिस्तान का साथ दे सकता है. पाकिस्तान ने कहा कि वह कुलभूषण जाधव मामले में ‘कानून के अनुसार’ आगे बढ़ेगा.

आईसीजे के फैसले की अहम बातें

पहली बात तो वियना समझौते के मुताबिक, जाधव को काउंसलर एक्सेस देने की बात कही गयी है. यानी इस्लामाबाद स्थित इंडियन हाई कमिशन के एक अधिकारी को अकेले में कुलभूषण से मिलने का हक है. उस वक़्त वहां आईएसआई और पाकिस्तान आर्मी के लोग मौजूद नहीं रह सकते.

उन्हें ये मुलाक़ात जल्द से जल्द करने का हक है ताकि वो जाकर पूछें कि क्या उन्हें किसी तरह की यातना दी गयी है, कहां पकड़ा गया है, क्यों पकड़ा गया है और क्या पाकिस्तानी प्रोपेगेंडा में कुछ सच भी है या सारा झूठ है. दूसरा आईसीजे ने कहा है कि ट्रायल नए तरीक़े से होना चाहिए. मतलब फिर से पुराने ट्रायल पर विचार और इसकी समीक्षा होनी चाहिए. इसका मतलब ये है कि अब सिविलि कोर्ट में जाकर ट्रायल होना चाहिए. जहां जाधव को सही तरीक़े से कानूनी मदद मिल सके

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