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#Reservation Bill : लोकसभा में 3 के मुकाबले 323 मतों से पारित हुआ गरीब सवर्ण आरक्षण बिल

* सवर्ण वर्ग के गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने संबंधित बिल के लिए संविधान में संशोधन लोकसभा में पास. विपक्ष में मात्र 3 वोट पड़े, जबकि पक्ष में 323 मत आये. * लोकसभा में 3 के मुकाबले 323 मतों से पारित हुआ गरीब सवर्ण आरक्षण बिल. * आरक्षण बिल पर लोकसभा में हो रही […]

* सवर्ण वर्ग के गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने संबंधित बिल के लिए संविधान में संशोधन लोकसभा में पास. विपक्ष में मात्र 3 वोट पड़े, जबकि पक्ष में 323 मत आये.

* लोकसभा में 3 के मुकाबले 323 मतों से पारित हुआ गरीब सवर्ण आरक्षण बिल.

* आरक्षण बिल पर लोकसभा में हो रही वोटिंग

* केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा, आज खुशी का क्षण है कि सामान्य वर्ग के लोग जो गरीबी रेखा के आसपास जीवनयापन करनेवाले लोगों के हितों की रक्षा के लिए बिल आया है. उन्‍होंने कहा, पहले जो भी आरक्षण का कोटा बढ़ाने के लिए प्रस्ताव आया था, वह संवैधानिक प्रावधान के बगैर आये थे. इसलिए कई ऐसे मामलों में कोर्ट ने आदेश को निरस्त किया था. पीएम मोदी की नीति और नीयत अच्छी है. थावरचंद ने कहा, हम बिल देर से जरूर लेकर लाये हैं, लेकिन इसे अच्छी नीयत से आयें हैं, इसे सदन के लोग समर्थन दे.

* हुकुमदेव नारायण यादव ने बिल पर चर्चा के दौरान कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछड़ी जाति के होते हुए भी सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए आरक्षण का प्रस्ताव लेकर आये, इसके लिए उसका मैं धन्यवाद देता हूं. कांग्रेस ने हमेशा पिछड़ी जाति का विरोध किया, आज तक देश के स्तर पर और राज्य स्तर पर किसी पिछड़ों के नेता को आगे नहीं बढ़ाया.

* ओवैसी ने गरीब सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने वाली बिल को बाबा साहेब अंबेडकर जी और संविधान का अपमान बताया. उन्‍होंने कहा, इस बिल के जरिए सामाजिक न्याय नहीं हो रहा है जो कि आरक्षण का मूलभूत आधार था. क्या सवर्णों को कभी अछूत परंपरा का, पिछड़ेपन का सामना करना पड़ा?.
इन परंपराओं का सामना केवल मुसलमानों, दलितों और पिछड़े लोगों को करना होगा, इस बिल को पारित करने के लिए इंपेरिकल ऐविडेंस नहीं है.

* रामदास अट्ठावले ने कविता के माध्‍यम से कहा, आज मुझे बहुत अच्छा हो रहा है फील, क्योंकि लोकसभा में पास हो रहा है ये आरक्षण बिल, नरेंद्र मोदी जी की मजबूत हो रही है हील, क्योंकि राफेल में नहीं है कोई गलत डील, नरेंद्र मोदी जी का है अच्छा लक्षण, इसलिए सवर्णों को मिल रहा आरक्षण, राहुल जी, मोदी जी के साथ मत खेलो गलत चाल, वरना 2019 में हो जाएगा बुरा हाल, मोदी जी हैं बहुत चालाक, इसलिए संसद में बिल आया है सवर्णों और तीन तलाक.

* राष्‍ट्रीय लोकसमता पार्टी के सांसद उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, आरक्षण बिल का हमारी पार्टी समर्थन करती है, लेकिन सभी तरह के आरक्षण के प्रावधानों में पहले उनको आरक्षण की सुविधा मिले, जिन्होंने सरकारी विद्यालयों से पढ़ाई की है. अगर इसके बाद सीट बचे तो प्राइवेट स्कूल वालों के आरक्षण दिया जाए.
उन्‍होंने कहा, आरक्षण रहने से ही केवल नौकरी नहीं मिलती, आरक्षण से आर्थिक समृद्धि नहीं आती है. उन्‍होंने मांग की कि जूडिशल सर्विस और निजी क्षेत्र में भी आरक्षण को लागू किया जाए. कुशवाहा बोले, 10 फीसदी आरक्षण का तर्क क्या है. जिसकी जितनी संख्या उसी के अनुसार आरक्षण दिया जाए.

* कांग्रेस सांसद दीपेंदर हुड्डा ने कहा, कांग्रेस पार्टी आरक्षण बिल का समर्थन करती है, लेकिन मोदी सरकार की नीयत पर संदेह है. आपने चार वर्षों तक तो कुछ नहीं किया और आखिरी समय में आरक्षण बिल लाकर क्‍या साबित करना चाहते हैं, इस बिल पर हमें संशय है. आपने वादा किया था कि हर वर्ष दो करोड़ युवाओं को रोजगार दी जाएगी, यानी पांच वर्षों में 10 करोड़ युवाओं को रोजगार, लेकिन बेरोजगारी का स्‍तर इस समय बढ़ गया है.

* मोदीजी ने इस बिल को लाकर समाज को वैमनस्यता कम करने की कोशिश की : निशिकांत दूबे

* 8 जनवरी का दिन ऐतिहासिक है. नरेंद्र मोदी जी ने महिलाओं को अधिकार दिलाया है. एसटीएससी को बिना वोट की परवाह किये उचित हक दिलाया. अब गरीब सवर्णों को भी 10 प्रतिशत का आरक्षण देकर ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मंत्र को सार्थक कर दिया : निशिकांत दूबे (झारखंड के गोड्डा से सांसद)

* आरजेडी ने सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण का विरोध किया.
आरजेडी के सांसद जय प्रकाश नारायण यादव ने मोदी सरकार से कहा, दलितों-अतिपिछड़ों को 85 फीसदी आरक्षण दीजिए, बाकी आप ले जाइए.
* जयप्रकाश नारायण यादव ने कहा, जिस तरीके से सदन में संशोधन बिल लाया गया है, हम उसका विरोध करते हैं.

* सरकार ने सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए जो संविधान संशोधन बिल लाया है उसका समर्थन समाजवादी पार्टी करती है : धर्मेंद्र यादव (समाजवादी पार्टी सांसद)
* पांच साल प्रचंड बहुमत की सरकार चलाने के बाद आखिरी समय में आरक्षण देने का फैसला सवालों के घेरे में है : धर्मेंद्र यादव

* दलित और ओबीसी के आरक्षण में छेड़छाड़ किये बिना अगर सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण मिलता है तो उससे किसी को क्या दिक्कत हो सकती है : रामविलास पासवान
* रामविलास पासवान ने कहा, निजी क्षेत्रों में भी लोगों को आरक्षण दिया जाए, इंडियन जूडिशल सर्विस में पारदर्शिता की जरूरत.

* हमारी पार्टी हमेशा गरीब सवर्णों को 15 प्रतिशत आरक्षण की मांग करते आयी है : रामविलास पासवान

* रामविलास पासवान ने आरक्षण बिल को नौवीं सूची में डाल देने की बात कही. उन्‍होंने कहा, अगर नौवीं अनुसूची में नहीं रखा गया तो हमेशा कोर्ट में विवाद होता रहेगा.

* ओबीसी कमिशन को हमारी सरकार ने संवैधानिक दर्जा दिया, राम मंदिर पर भी पीएम मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करने की बात कही, संविधान को मानने की बात कही थी : रामविलास पासवान
* केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कहा, सरकार को हमेशा दलित विरोधी कहा जाता था, लेकिन सरकार ने एससी-एसटी ऐक्ट में सुधार करके लोगों को मजबूत किया.
* मैं आरक्षण पर इस बिल का समर्थन करता हूं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई देता हूं : रामविलास पासवान

* ऊंची जाति के लोग जो गरीब हैं उनके लिए भी समान अवसर होना चाहिए : केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान

* 10 प्रतिशत आरक्षण का फैसला सबका साथ सबका विकास की दिशा में बड़ा कदम है : रामविलास पासवान

* तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने गरीबों के आरक्षण पर चर्चा के दौरान महिला आरक्षण का मुद्दा उठाया. उन्‍होंने कहा, हमारी पार्टी गरीब सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण का समर्थन करती है.

* शिवसेना के सांसद आनंदराव ने सवर्ण गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले का समर्थन किया है. उन्‍होंने कहा, फैसला देर से ही सही, लेकिन दुरुस्त है.

* AIADMK के एम थंबी दुरई ने कहा, आरक्षण सामाजिक न्याय के लिए दिया जाता है और हमारी पार्टी का स्टैंड है.

* थंबी दुरई ने लोकसभा में कहा, आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है, लेकिन फिर भी अगर आर्थिक आधार पर आरक्षण की जरूरत पड़ रही है तो इसका मतलब है कि सरकारी योजनाएं सही से लागू नहीं की गई हैं.

* कांग्रेस ने 2014 के अपने घोषणापत्र में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण का समर्थन करने की बात कही थी : जेटली

* सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि 50 प्रतिशत आरक्षण जातिगत आधार पर है : जेटली
* 50 प्रतिशत लिमिट की धारण गलत है : जेटली
* गरीब सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले से सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्‍लंघन नहीं हुआ है : जेटली
* संसद से पास होने के बाद आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक हो सकता है : जेटली

* जेटली ने लोकसभा में कहा कि यह पहला मौका है जब गरीबों के हक में आरक्षण का फैसला किया जा रहा है तो, कम्‍यूनिस्‍ट इसके विरोध में खड़ा है.

* जेटली ने कहा, अभी तक आरक्षण को लेकर सही दिशा में काम नहीं हो पाया.
* जेटली ने संविधान संसोधन पर कहा, राज्‍यों के पास जानें की कोई जरूरत नहीं है.

* वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में चर्चा के दौरान विपक्ष पर तंज कसा और कहा कि आरक्षण पर जुमले की शुरुआत विपक्ष ने ही की.

-सभी पार्टियों ने आरक्षण देने की कोशिश की-जेटली

-सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ों को अधिकार देने की कोशिश

-बिल पास कराने के लिएराज्योंके पास जाने की जरूरत नहीं -जेटली

-मंत्री ने कहा बिल में शब्द कम पर लाभ बहुत ज्यादा

– अभी जो आरक्षण का लाभ ले रहे हैं, उनके अतिरिक्त सामान्य वर्ग के गरीब तबके के लोग जो हिंदू, मुस्लिम, ईसाई या किसी भी धर्म के होंगे उन्हेंइसका लाभ मिलेगा-


-निजी संस्थाओं में भी लागू होगा आरक्षण-

– बिल को प्रस्तुत कर रहे हैं मंत्री थावरचंद गहलोत

-लोकसभा में 124वें संविधान संशोधन सवर्ण आरक्षण बिल पर चर्चा शुरू-

-सवर्ण आरक्षण पर प्रतिक्रिया देते हुए समाजवादी पार्टी के नेता राम गोपाल यादव ने कहा आर्थिक आधार पर आरक्षण देने से 50 प्रतिशत की सीमारेखा पार हो जायेगी. ऐसे में ओबीसी के लिए आरक्षण को बढ़ाना चाहिए क्योंकि उनकी जनसंख्या ज्यादा है.-

-वही नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि साढ़े चार साल में उन्हें आरक्षण की याद नहीं आयी, असल में उन्हें आरक्षण देना नहीं है, बल्कि इसका फायदा लेना है कि हम तो देना चाहते थे, पर संसद ने पास नहीं किया-

नयी दिल्ली : आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को सरकारी नौकरी और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने से संबंधित बिल आज लोकसभा में पेशकिया गया. दोपहर बाद लोकसभा में इसपर च्रर्चा होगी. लोकसभा में मंत्री थावरचंद गहलोत ने बिल पेश किया. यह 124वां संविधान संशोधन विधेयक है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोमवार को ही इसे मंजूरी प्रदान की है. विधेयक पेश किये जाने के दौरान समाजवादी पार्टी के कुछ सदस्य अपनी बात रखना चाह रहे थे लेकिन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने इसकी अनुमति नहीं दी.

उल्लेखनीय है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सामान्य श्रेणी में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण को सोमवार को मंजूरी दी. सूत्रों के अनुसार, यह कोटा मौजूदा 50 प्रतिशत आरक्षण से अलग होगा. सामान्य वर्ग को अभी आरक्षण हासिल नहीं है. समझा जाता है कि यह आरक्षण आर्थिक रूप से पिछड़े ऐसे गरीब लोगों को दिया जाएगा, जिन्हें अभी आरक्षण का फायदा नहीं मिल रहा है .आरक्षण का लाभ उन्हें मिलने की उम्मीद है जिनकी वार्षिक आय आठ लाख रूपये से कम होगी और 5 एकड़ तक जमीन होगी .

भाजपा ने अपने सांसदों को व्हिप जारी कर मंगलवार को संसद में मौजूद रहने को कहा है. इस बिल को पारित करने के लिए सरकार को दो-तिहाई सदस्यों का समर्थन जरूरी है. लोकसभा से पास होने के बाद इसे राज्यसभा भेजा जाएगा. भाजपा के साथ ही कांग्रेस ने भी शनिवार को अपने सांसदों को व्हिप जारी कर उनसे सोमवार और मंगलवार को संसद में मौजूद रहने को कहा था.

इधर बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि सरकार ने जो आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को आरक्षण देने का फैसला किया है, यह फैसला मुझे सही नीयत से लिया गया फैसला नहीं लगता. इसके पीछे सरकार की वोट की राजनीति छिपी है. यह एक राजनीति स्टंट मालूम होता है. अच्छा होता सरकार इस संबंध में फैसला अपना कार्यकाल खत्म होने के ठीक पहले नहीं बल्कि पहले लेती.

गौरतलब है कि लोकसभा चुनावों से पहले एक बड़ा कदम उठाते हुए केंद्रीय कैबिनेट ने ‘‘आर्थिक रूप से कमजोर’ तबकों के लिए नौकरियों एवं शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण को सोमवार को मंजूरी दे दी. भाजपा के समर्थन का आधार मानी जाने वाली अगड़ी जातियों की लंबे समय से मांग थी कि उनके गरीब तबकों को आरक्षण दिया जाए. भाजपा ने मोदी सरकार के इस कदम को ‘‘ऐतिहासिक’ करार दिया जबकि विपक्ष ने इसके समय पर सवाल उठाया. कांग्रेस ने इसे ‘‘चुनावी जुमला’ करार दिया. बहरहाल, विपक्षी पार्टियों ने सरकार के इस कदम को अपना समर्थन व्यक्त किया है.

इस विधेयक के जरिए पहली बार गैर-जातिगत एवं गैर-धार्मिक आधार पर आरक्षण देने की कोशिश की गई है. प्रस्तावित आरक्षण अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) को मिल रहे आरक्षण की 50 फीसदी सीमा के अतिरिक्त होगा, यानी ‘‘आर्थिक रूप से कमजोर’ तबकों के लिए आरक्षण लागू हो जाने पर यह आंकड़ा बढकर 60 फीसदी हो जाएगा. इस प्रस्ताव पर अमल के लिए संविधान संशोधन विधेयक संसद से पारित कराने की जरूरत पड़ेगी, क्योंकि संविधान में आर्थिक आधार पर आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है. इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 में जरूरी संशोधन करने होंगे.

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