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जज ने कहा- नरेंद्र मोदी की सरकार भारत को इस्लामिक देश होने से बचाए

शिलांग : केंद्र की मोदी सरकार भारत को इस्लामिक देश होने से बचाए. यह अपील एक जज ने की है. दरअसल , मेघालय हाई कोर्ट के जज ने एक मामले की सुनवाई के दौरान ऐसी टिप्पणी की जिसका केस से कोई संबंध नहीं था. सुनवाई के दौरान जज ने कहा कि भारत को हिंदू राष्ट्र […]

शिलांग : केंद्र की मोदी सरकार भारत को इस्लामिक देश होने से बचाए. यह अपील एक जज ने की है. दरअसल , मेघालय हाई कोर्ट के जज ने एक मामले की सुनवाई के दौरान ऐसी टिप्पणी की जिसका केस से कोई संबंध नहीं था. सुनवाई के दौरान जज ने कहा कि भारत को हिंदू राष्ट्र होना चाहिए. जज इतने में ही नहीं रुके उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ममता बनर्जी से यह सुनिश्चित करने की अपील की कि देश कहीं इस्लामिक नहीं बन जाए.

यहां चर्चा कर दें कि हाईकोर्ट के न्यायमूर्तियों के लिए बनी आचार संहिता में राजनीतिक बयानों की इजाजत नहीं दी गयी है. हालांकि, मेघालय हाई कोर्ट के जस्टिस एस आर सेन ने सरकार से ऐसे नियम बनाने की अपील की है, जिसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार जैसे पड़ोसी देशों में रहने वाले मुस्लिम समुदाय और समूह भारत आकर नहीं बस सकें.

न्यायमूर्ति ने कहा कि मैं साफ तौर पर कहना चाहता हूं कि कोई भारत को इस्लामिक देश बनाने का प्रयास नहीं करे. यदि यह इस्लामिक देश हो गया तो, भारत और दुनिया में बरबादी आ जाएगी. मुझे यकीन है कि मोदीजी की सरकार मामले की गंभीरता को समझेगी और आवश्‍यक कदम उठाने का काम करेगी. आगे उन्होंने कहा कि हमारी सीएम ममता बनर्जी जी राष्ट्रहित में हर तरह से उसका समर्थन करने का काम करेंगी.

न्यायमूर्ति सेन ने मोदी सरकार से अपील की कि वह भारत में कहीं से भी आकर बसे हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी, इसाई, खासी, जयंतिया और गारो समुदाय के लोगों को भारत का नागरिक घोषित करे. उन्होंने अपनी अपील में यह भी जोड़ दिया कि आने वाले समय में इन समुदाय के जो भी लोग भारत आएं, उन्हें भारत की नागरिकता प्रदान की जाए. जज ने आगे कहा कि वे भारत में बसे शांतिप्रिय मुसलमानों के विरोधी नहीं हैं.

उनके अनुसार वे उन मुसलमान भाइयों और बहनों के विरोधी नहीं है जो सदियों से यहां रहते आ रहे हैं और भारत के कानून का पालन कर रहे हैं. वे यहां शांति से रह रहे हैं इसलिए उन्हें यहां रहने की इजाजत दी जाए. हालांकि उन्होंने सरकार से यह सुनिश्चित करने की अपील की कि सभी भारतीय नागरिकों की खातिर एकसमान कानून बनाया जाए, ताकि उन पर देश के कानून और संविधान का पालन करने का दबाव हो. न्यायमूर्ति सेन ने कहा कि भारत के कानून और संविधान का विरोध करने वाले किसी व्यक्ति को भारत का नागरिक नहीं माना जा सकता है. हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि पहले हम भारतीय हैं और फिर अच्छे मनुष्य की श्रेणी में आते हैं. इसके बाद जिस समुदाय से भी हमारा संबंध है, वह उसके बाद आता है.

यहां आपको बता दें कि न्यायमूर्ति सेन की उम्र 61 वर्ष है और उनका जन्म शिलांग में हुआ है. जनवरी 2014 में वे मेघालय हाई कोर्ट के जज बने हैं.

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