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केरल सरकार सबरीमाला तीर्थयात्रियों के साथ ‘डकैतों” जैसा व्यवहार कर रही है : अल्फोन्स

निलक्कल/पंबा (केरल) : केंद्रीय मंत्री अल्फोन्स कन्नंतनम ने सोमवार को केरल सरकार पर आरोप लगाया कि वह सबरीमाला मंदिर परिसर को युद्ध क्षेत्र बना रही है और तीर्थयात्रियों के साथ ‘डकैतों’ जैसा व्यवहार कर रही है. मंदिर में सुविधाओं का जायजा लेने के बाद यहां पहुंचने पर संवाददाताओं के साथ बातचीत में मंत्री ने कहा, […]

निलक्कल/पंबा (केरल) : केंद्रीय मंत्री अल्फोन्स कन्नंतनम ने सोमवार को केरल सरकार पर आरोप लगाया कि वह सबरीमाला मंदिर परिसर को युद्ध क्षेत्र बना रही है और तीर्थयात्रियों के साथ ‘डकैतों’ जैसा व्यवहार कर रही है.

मंदिर में सुविधाओं का जायजा लेने के बाद यहां पहुंचने पर संवाददाताओं के साथ बातचीत में मंत्री ने कहा, उन्होंने धारा 144 (निषेधाज्ञा) लगा दी. तीर्थयात्रियों के साथ डकैतों जैसा व्यवहार किया जा रहा है. बुनियादी सविधाएं कहां है… यह दयनीय है.

उन्होंने कहा, राज्य सरकार ने मंदिर परिसर को युद्ध क्षेत्र में बदल दिया है. श्रद्धालु कोई आतंकवादी नहीं हैं, वे बस तीर्थयात्री हैं. उच्चतम न्यायालय ने 28 सितंबर को सभी आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत दी थी. उस आदेश को लागू करने के राज्य सरकार के निर्णय को लेकर भाजपा, राष्ट्रूीय स्वयंसेवक संघ और दक्षिणपंथी संगठनों के कार्यकर्ताओं के विरोध के बाद मंदिर परिसर में प्रतिबंध लगाये गये हैं.

अलफोन्स ने कहा, राज्य सरकार को जिम्मेदारी लेनी चाहिए… केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने 100 करोड़ रुपये मुहैया कराये हैं… उन्होंने एक भी रुपया खर्च नहीं किया है. केन्द्रीय मंत्री ने सोमवार सुबह निलक्कल आधार शिविर, पंबा और ‘सन्निधानम’ का दौरा किया.

इससे पहले रविवार देर रात मंदिर परिसर में एकत्र करीब 200 लोगों को गिरफ्तार किया गया. वे पुलिस प्रतिबंधों के खिलाफ ‘नाम जपम‘‘ (भगवान अयप्पा का नाम जाप) कर रहे थे. पुलिस ने रविवार रात में भी 68 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया था.

मंत्री ने कहा कि माकपा की अगुवाई वाली एलडीएफ सरकार ने यहां आने वाले सभी तीर्थयात्रियों के जीवन को खतरे में डाल दिया है. उन्होंने कहा, यह सोवियत संघ के स्टालिन काल जैसा है. मंत्री ने कहा, सबरीमाला देश में बड़े तीर्थस्थानों में से एक है;

यहां हर कोई शांतिपूर्वक रहता है. यह सरकार यह सुनिश्चित करने में लगी है कि लोगों को अपनी आस्था को व्यक्त करने का अधिकार नहीं है. उन्होंने सवाल किया, सरकार की मंशा क्या है? वे यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि तीर्थयात्रियों को बुनयादी सुविधा ना मिलो. कानून और व्यवस्था का क्या हो रहा है? धारा 144? क्या यह लोकतंत्र है?.

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