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‘सुपरबग’ से सबसे ज्यादा मौतें भारत में, 2050 तक 2.4 मिलियन लोगों की जा सकती है जान, जानें इसके बारे में
जॉन्स होपकिन्स विवि के स्कूल ऑफ मेडिसिन व सीडीडीईपी की रिपोर्ट भारत में सुपरबग का खतरा बढ़ता जा रहा है. इससे जुड़ी जॉन्स होपकिन्स यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिसिन और द सेंटर फॉर डिजीज डायनमिक्स, इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी (सीडीडीइपी) की एक रिपोर्ट सामने आयी है. रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के बाकी देशों के मुकाबले सुपरबग […]
जॉन्स होपकिन्स विवि के स्कूल ऑफ मेडिसिन व सीडीडीईपी की रिपोर्ट
भारत में सुपरबग का खतरा बढ़ता जा रहा है. इससे जुड़ी जॉन्स होपकिन्स यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिसिन और द सेंटर फॉर डिजीज डायनमिक्स, इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी (सीडीडीइपी) की एक रिपोर्ट सामने आयी है.
रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के बाकी देशों के मुकाबले सुपरबग की वजह से ज्यादा मौतें भारत में हो रही हैं. उच्च आय वाले देशों की तुलना में भारत में यह बैक्टीरिया के कारण करीब दोगुना लोगों की जान ले रहा है. इस पर एंटीबायोटिक्स का भी असर नहीं होता है और ये छोटी सी बीमारी को भी बड़ा बना देती हैं. सुपरबग पर हुई अध्ययन में भारत के 10 बड़े अस्पतालों में चार हजार मरीजों को शामिल किया गया था. जिनमें से चार अस्पताल दिल्ली के थे. इन पर की गयी अध्ययन से पता चला कि सुपरबग से भारत में ज्यादा लोग संक्रमित है.
ये आंकड़ा अमीर देशों से अधिक है. अध्ययन के मुताबिक, सुपरबग की वजह से 2015 में भारत में मृत्यु दर 13 प्रतिशत था. मारने वालों में ज्यादातर मरीज बूढ़े थे या फिर उन्हें सुपरबग की जानकारी आइसीयू में भर्ती होने के बाद मिली थी, जबकि विकसित देशों में यह आंकड़ा दो से सात प्रतिशत तक ही है. सीडीडीइपी के डारेक्टर रमनान लक्ष्मीनारायण ने कहा कि ग्राम नेगेटिव बैक्टीरिया का मृत्युदर ज्यादा (17.7 फीसदी) और ग्राम पॉजिटिव बैक्टीरिया का मृत्यु दर (10.8 फीसदी) है.
10 अस्पतालों में 4000 मरीजों पर अध्ययन
क्या है सुपरबग
सुपरबग एक तरह का बैक्टीरिया है, जिन पर कई बार कोई एंटीबायोटिक दवा असर नहीं करती है. यही वजह है कि इसे एड्स और एचआइवी से कम खतरनाक नहीं माना जाता. इसमें मरीज की मामूली सी भी बीमारी बहुत बड़ा रूप ले लेती है. ये संक्रमण दो प्रकार का होता है. एक मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट और दूसरा एक्सट्रीमली ड्रग रेसिस्टेंट.
2030 तक चार गुना खतरनाक : 2030 तक सुपरबग संक्रमण की दर वर्तमान दर से चार गुना बढ़ने की उम्मीद है. इससे ज्यादा देश प्रभावित होंगे.
2050 तक 2.4 मिलियन लोगों की जा सकती है जान
रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में 2.4 मिलियन लोग 2050 तक सुपरबग संक्रमण से मर सकते हैं, जब तक कि एंटीबायोटिक दवाओं के अनावश्यक उपयोग को कम करने के लिए प्रयास नहीं किये जाते हैं.
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