नयी दिल्ली : राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में सोमवार को याचिकाओं पर शीघ्र सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट ने इन्कार कर दिया.
चीफजस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस संजय किशन कौल की पीठ ने कहा कि उसने पहले ही अपीलों को जनवरी में उचित पीठ के पास सूचीबद्ध कर दिया है.
अखिल भारतीय हिंदू महासभा की ओर से शीघ्र सुनवाई के संबंध में अधिवक्ता बरुण कुमार के अनुरोध को खारिज करते हुए पीठ ने कहा, ‘हमने आदेश पहले ही दे दिया है. अपील पर जनवरी में सुनवाई होगी. अनुमति ठुकरायी जाती है.’
शीर्ष अदालत ने इससे पहले राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले को जनवरी के पहले सप्ताह में उचित पीठ के पास सूचीबद्ध किया था. वह पीठ मामले पर सुनवाई की तारीख के बारे में फैसला करेगी.
उत्तर प्रदेश सरकार और रामलला की ओर से उपस्थित क्रमश: सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने लंबे समय से मामले के लंबित रहने का हवाला देते हुए अपीलों को शीघ्र सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया था.
इससे पहले 2:1 के बहुमत से तीन जजों की पीठ ने 1994 के एक फैसले में शीर्ष अदालत द्वारा की गयी उस टिप्पणी पर पुनर्विचार करने से इन्कार कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि मस्जिद इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है.
यह मुद्दा अयोध्या भूमि विवाद मामले पर सुनवाई के दौरान उठा था.
तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने तब कहा था कि दीवानी वाद पर साक्ष्यों के आधार पर फैसला किया जायेगा.
पीठ ने यह भी कहा था कि इस मामले में पिछले फैसले की कोई प्रासंगिकता नहीं है.
इलाहाबाद हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ कुल 14 अपील दायर हैं. हाइकोर्ट ने चार दीवानी मुकदमों पर अपने फैसले में 2.77 एकड़ जमीन को तीनों पक्षों (सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला) के बीच बराबर-बराबर बांटने का आदेश दिया था.