नयी दिल्ली : कांग्रेस ने केंद्रीय मंत्री वी के सिंह के इस्तीफे की मांग की. उसका कहना है कि सेना उप प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग के प्रमोशन के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय में राजग सरकार का हलफनामा सिंह में अविश्वास का प्रतीक है.
वी के सिंह ने सुहाग पर लगे बैन को उचित ठहराया
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कांग्रेस ब्रीफिंग में संवाददाताओं से कहा, ये मंत्री मंत्रिपरिषद में नहीं बने रह सकते. ये तय करना है कि उन्हें हटाया जाए या फिर वह इस्तीफा दें. पूर्व सैन्य प्रमुख वी के सिंह का उनकी जन्म तिथि को लेकर पूर्व की संप्रग-2 सरकार के साथ खासा विवाद हुआ था. एक पखवाडे पहले बनी भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के वह ऐसे पहले मंत्री हैं, जिनका विपक्ष ने इस्तीफा मांगा है.
गैरकानूनी था जनरल सुहाग पर लगा बैन
वहीं रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने रक्षा सचिव से हलफनामे के बारे में जानकारी मांगी है. जेटली ने सचिव से पूछा, हलफनामे को किसने और कब तैयार किया.
सिंह को मंत्री पद से हटाने की मांग कांग्रेस ने तब की, जब सरकार ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि अप्रैल से मई 2012 के बीच वी के सिंह ने सुहाग के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए जिन खामियों को आधार बनाया, वे सुनियोजित, अस्पष्ट और गैर कानूनी थीं.
शीर्ष अदालत को दिये हलफनामे में रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सुहाग के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई बिना किसी आधार या किसी सामग्री के रिकार्ड के बगैर थी. सिंघवी ने कहा कि सरकार द्वारा अपने मंत्री की पूर्व की कार्रवाई को गैर कानूनी, असंगत और सुनियोजित करार देना मंत्री में अविश्वास व्यक्त करना है.
उन्होंने कहा कि कोई मंत्री उसी सरकार की मंत्रिपरिषद में बना रहे, जिसने इतनी स्पष्टता से उसमें अविश्वास व्यक्त कर दिया हो. सिंघवी ने कहा कि इसके बाद एक ही विकल्प बचता है कि वह मंत्रिपरिषद में अब न रहें. देश और जनता जानना चाहते हैं कि इन सबके बाद क्या कोई मंत्री पद पर बना रह सकता है. नरेन्द्र मोदी सरकार में वी के सिंह पूर्वोत्तर मामलों के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा विदेश एवं प्रवासी भारतीय मामलों के राज्य मंत्री हैं.