17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

उपराष्ट्रपति ने कहा – अंग्रेजीयत बीमारी है न कि अंग्रेजी भाषा, हमें अपनी धरोहर पर गर्व करना चाहिए

पणजी : उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को कहा कि अंग्रेजीयत रुग्णता है, अंग्रेजी भाषा नहीं और देश को अपनी समृद्ध धरोहर पर गर्व होना चाहिए. नायडू का बयान कुछ उन टिप्पणियों के आलोक में आया है जिसके बारे में कहा जाता है कि उपराष्ट्रपति ने ऐसा कहा था. मीडिया के एक वर्ग में उन्हें […]

पणजी : उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को कहा कि अंग्रेजीयत रुग्णता है, अंग्रेजी भाषा नहीं और देश को अपनी समृद्ध धरोहर पर गर्व होना चाहिए. नायडू का बयान कुछ उन टिप्पणियों के आलोक में आया है जिसके बारे में कहा जाता है कि उपराष्ट्रपति ने ऐसा कहा था.

मीडिया के एक वर्ग में उन्हें इसी महीने नयी दिल्ली में हिंदी दिवस के एक कार्यक्रम के दौरान यह कहते हुए उद्धृत किया गया था, अंग्रेजी ब्रिटिश लोगों द्वारा अपने पीछे छोड़ी गयी रुग्णता है. उन्होंने कहा, कहीं, मैं मातृभाषा की रक्षा करने और उसे बढ़ावा देने के बारे में बोल रहा था और मीडिया के एक वर्ग ने लिखा कि मैंने कहा कि अंग्रेजी एक बीमारी है, जबकि मैंने यह नहीं कहा कि अंग्रेजी बीमारी है. उन्होंने कहा, अंग्रेजी रुग्णता नहीं है, बल्कि अंग्रेजीयत बीमारी है जो हमें ब्रिटिश लोगों से मिली है. नायडू ने यहां गोवा के राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान के चौथे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही.

उन्होंने कहा, ब्रिटिश चले गये, लेकिन उन्होंने हीनता ग्रंथि पैदा की है. उन्होंने एक सोच दी कि ब्रिटेन महान है, विदेशी महान हैं और हम कुछ नहीं हैं. उपराष्ट्रपति ने कहा, हमें इस मानसिकता से अवश्य ही बाहर आना चाहिए. हमें अपनी धरोहर, अपने अतीत और इस देश के महान नेताओं पर गर्व महसूस होना चाहिए. उन्होंने स्मरण किया कि भारत ने कभी किसी देश पर हमला नहीं किया, जबकि आक्रांताओं ने उसे तहस-नहस कर दिया. उन्होंने कहा, उन्होंने (आक्रांताओं ने) हम पर शासन किया, हमें नष्ट किया. उन्होंने हमें बस आर्थिक रूप से नष्ट ही नहीं किया, बल्कि उन्होंने मानसिक रूप से हमें क्षीण बना दिया. कुछ लोग उसी बीमारी से ग्रस्त हैं.

उन्होंने विद्यार्थियों को भारत की संस्कृति का संरक्षण करने और प्रकृति का सम्मान करने की सलाह भी दी. उपराष्ट्रपति ने कहा, प्रकृति का संरक्षण महत्वपूर्ण है. प्रकृति का सम्मान भी बहुत महत्वपूर्ण है. साझा करना और देखभाल करना भारतीय दर्शन का मूल है और हमें उस दर्शन का संरक्षण करना चाहिए. हमें औपनिवेशक मानसिकता त्यागनी चाहिए.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें