नयी दिल्ली :अगले लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष की बढ़ती एकता के बीच भाजपा दलित-ओबीसी विधेयकों का समर्थन कर और असम एनआसी के खिलाफ अभियान के जरिये अपना समर्थन आधार मजबूत करने की उम्मीद कर रही है. भाजपा के कई पदाधिकारियों और नेताओं का कहना है कि असम एनआरसी को लेकर बढ़ते विवाद से अवैध बांग्लादेशी आव्रजकों का मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर छा सकता है. इससे भाजपा को चुनाव में खासकर पूर्वी राज्यों के साथ ही हिंदी क्षेत्रों में फायदा मिलने की उम्मीद है. इसलिए, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह संसद से लेकर सड़क तक इस मुद्दे को उठा रहे हैं. शाह अपने इस कैंपेन में भाजपा को अकेले राष्ट्रीय सुरक्षा का ख्याल रखने वाली, जबकि विपक्ष को वोट बैंक को तरजीह देने वाला साबित करने में जुटे हुए हैं.
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भाजपा एड़ी चोटी का जोर लगा रही है कि 2014 में मिले दलितों के भरपूर वोट 2019 के चुनाव में पूरी तरह बरकरार रहे. पार्टी प्रबंधकों ने कहा कि दलितों के प्रति अत्याचार से जुड़े कानून को ‘कमजोर करने’ वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने वाला विधेयक लोकसभा में पेश करने से इस समुदाय के वर्गों का दिल जीतने की उसकी कोशिशों को बढ़ावा मिलेगा. खासतौर पर उत्तर प्रदेश में समुदाय का समर्थन उसके लिए अहम है, जहां धुर विरोधी दल सपा और बसपा ने उसके खिलाफ हाथ मिला लिया है. भाजपा को मौजूदा माॅनसून सत्र में विधेयक संसद में पारित कराने की उम्मीद है.

