नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग को निर्देश देते हुए टिप्पणी की है कि आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं के अभ्यर्थी अपनी उत्तर पुस्तिका की जांच करने के योग्य हैं. न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को पलटते हुए उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग को यह आदेश दिया है, जिसमें इलाहाबाद हाईकोई ने यह आदेश दिया था कि आयोजित परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिका को अभ्यर्थी नहीं देख सकते हैं.
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अभी हाल ही में अपेक्स कोर्ट के फैसले पर पीठ ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि अभ्यर्थी उत्तर पुस्तिका की जांच करने के योग्य नहीं है. शीर्ष अदालत की ओर से यह आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ मृदुल मिश्रा की ओर से दाखिल याचिका पर दिया गया है.
याचिकाकर्ता वकील मीनेष दुबे ने शीर्ष अदालत को बताया कि हाईकोर्ट ने अपेक्स कोर्ट के उस फैसले की सुनवाई के दौरान यह आदेश विवादित दिये, जिसमें यह कहा गया है कि सूचना के अधिकार कानून के तहत आयोजित प्रतियोगी परीक्षार्थी अपनी उत्तर पुस्तिका की जांच के योग्य नहीं हैं.
याचिकाकर्ता के वकील की इस दलील पर अपनी सहमति जाहिर करते हुए पीठ ने कहा कि हमारे विचार से अभ्यर्थियों को उत्तर पुस्तिकाओं की जांच करने की अनुमति दी जाती है. हालांकि, पीठ ने यह भी कहा कि अभ्यर्थियों के द्वारा की जाने वाली उत्तर पुस्तिकाओं की जांच का सरकार के कार्यकलापों पर न पड़े और न ही यह किसी जनहित से जुड़ा हुआ हो.
अदालत ने कहा कि यह अतिगोपनीय और संवेदनशील सूचनाओं से जुड़ा मामला है, जिसे बेवजह उठाया जा सकता है, लेकिन जो पहले से ही आदित्य बंदोपाध्याय के मामले में सचेत हो गये हैं, जिसे श्रेणीबद्ध तरीके से आयोजित किया गया और परीक्षक की पहचान को उजागर नहीं किया गया. इसलिए याचिका के हिसाब से अभ्यर्थी उत्तर पुस्तिका की जांच करने के योग्य हैं और वे अपनी उत्तर पुस्तिका की जांच कर सकते हैं.