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रांची : एक दिन में जांची 60 कॉपी, रिजल्ट में गड़बड़ी होना तय!

रिजल्ट समय पर देने के दबाव में परीक्षकों से नौ घंटे तक जांच करवायी कॉपी रांची : राज्य में इंटरमीडिएट की पढ़ाई का सिस्टम फेल है. इंटरमीडिएट की पढ़ाई अलग-अलग स्तर से होती है. इसमें न तो शिक्षकों की योग्यता में समानता है और न ही पढ़ाई की प्रक्रिया में. इसकी मार विद्यार्थियों को झेलनी […]

रिजल्ट समय पर देने के दबाव में परीक्षकों से नौ घंटे तक जांच करवायी कॉपी
रांची : राज्य में इंटरमीडिएट की पढ़ाई का सिस्टम फेल है. इंटरमीडिएट की पढ़ाई अलग-अलग स्तर से होती है. इसमें न तो शिक्षकों की योग्यता में समानता है और न ही पढ़ाई की प्रक्रिया में. इसकी मार विद्यार्थियों को झेलनी पड़ती है.
शिक्षकों की कमी का असर पठन-पाठन के साथ-साथ उत्तर पुस्तिका के मूल्यांकन पर भी पड़ता है. वर्ष 2018 के मैट्रिक व इंटर की उत्तरपुस्तिका का मूल्यांकन दो मई से शुरू हुआ. झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) ने एक दिन में 30 व अधिकतम 40 कॉपी जांचने का निर्देश दिया.
प्रारंभ में निर्देश के अनुरूप कॉपी की जांच शुरू हुई. उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन की रफ्तार व शेष बची हुई कॉपियों को देखते हुए जैक ने दो शिफ्ट में मूल्यांकन का निर्देश जारी किया. दो शिफ्ट में कॉपी की जांच के लिए मूल्यांकन का समय बढ़ा दिया गया.
कॉपी की जांच के लिए पूर्व में निर्धारित समय दस से चार बजे तक को बढ़ा दिया गया. कुछ मूल्यांकन केंद्र पर अाठ से पांच बजे, तो कुछ पर नौ से छह बजे तक कॉपी की जांच करायी जाने लगी. इसके साथ ही 30 व 40 कॉपी जांच रहे परीक्षक, 60 कॉपी तक जांचने लगे. कई विषयों जिनमें परीक्षकों की संख्या कम थी, उनमें अंत-अंत तक प्रतिदिन 70 से अधिक कॉपियों की जांच करायी जाने लगी.
मूल्यांकन शुरू होने पर खोजते हैं परीक्षक : मैट्रिक की परीक्षा मार्च, तो इंटर की परीक्षा अप्रैल के प्रथम सप्ताह में समाप्त हो गयी. इसके बाद एक माह तक मूल्यांकन कार्य शुरू नहीं किया गया.
राज्य में उपलब्ध शिक्षक व उत्तरपुस्तिका का आकलन ठीक से नहीं किया गया. इस कारण मूल्यांकन शुरू होने के बाद तय प्रक्रिया में बदलाव करना पड़ा. वैसे विषय जिनमें शिक्षकों की कमी है या फिर शिक्षक नहीं हैं, उसके लिए मूल्यांकन शुरू होने के बाद परीक्षक खोजने की प्रक्रिया शुरू हुई.
राज्य के हाइस्कूलों में वर्ष 2015 में संताली के दर्जन भर शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी. रांची के स्कूलों में संताली की पढ़ाई नहीं होती है, इसके बाद भी प्रति वर्ष संताली की कॉपी मूल्यांकन के लिए रांची लायी जाती है.
मूल्यांकन शुरू होने के बाद परीक्षक खोजा जाता है. देश में सबसे पहले मैट्रिक का रिजल्ट देने वाला झारखंड इस वर्ष पीछे हो गया. वर्ष 2011 में रांची में राष्ट्रीय खेल के आयोजन के कारण परीक्षा विलंब से शुरू हुई थी, इसके बाद भी 25 मई को मैट्रिक का रिजल्ट जारी कर दिया गया था.
मूल्यांकन की कहानी, एक परीक्षक की जुबानी : राजधानी के एक मूल्यांकन केंद्र पर उत्तरपुस्तिका जांचने वाले एक परीक्षक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि मूल्यांकन शुरू होने के 15 दिनों तक नियम के अनुरूप 30 से 40 कॉपी की जांच की गयी.
जिस रफ्तार में मूल्यांकन कार्य हो रहा था, उससे कई विषयों की कॉपी की जांच समय पर नहीं हो पाती. इसके बाद परीक्षकों को दो शिफ्ट में कॉपी जांच का आदेश दिया गया. जो परीक्षक अब तक 30 से 40 कॉपी की जांच कर रहे थे, वे अब 60 से 70 कॉपी तक जांचने लगे. शिक्षा विभाग के पदाधिकारी से लेकर जैक के लोग मूल्यांकन केंद्रों का दौरा करने लगे. तेजी से कॉपी जांचने को कहा जाने लगा. प्रावधान के अनुरूप एक दिन में 30, अधिकतम 40 कॉपी की हो सकती है जांच
क्या पड़ता है असर
मूल्यांकन की गुणवत्ता होती है प्रभावित
परीक्षक स्टेपवाइज नहीं कर पाते हैं मूल्यांकन
अंकों के योग में हो सकती है गड़बड़ी
बिना मूल्यांकन के छूट सकते हैं उत्तर
जेइइ मेंस में पास, पर रसायन में नौ अंक
गोड्डा जिले के एक परीक्षार्थी को वर्ष 2018 के इंटर साइंस के रसायन विषय की परीक्षा में नौ अंक मिले हैं, जबकि वह जेइइ मेंस में सफल हुआ है.
जेइइ एडवांस की परीक्षा में शामिल हुआ है. वह रसायन में अपने प्राप्तांक को लेकर परेशान है. उसने इसकी जानकारी स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग को दी है. विभाग की ओर से इस संबंध में जैक से बात की गयी है. अगर स्क्रूटनी के बाद विद्यार्थी के अंक में बढ़ोतरी भी होती है और समय रहते इसकी प्रक्रिया पूरी नहीं की जाती है, तो उसका नामांकन तकनीकी शिक्षण संस्थान में नहीं हो पायेगा.

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