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कैदी करेंगे मरीजों का इलाज, भोपाल सेंट्रल जेल में शुरू हुआ पैरामेडिकल कोर्स

भोपाल : जिंदगी लेने वाले हाथ अब लोगों की जिंदगी बचाने का काम करते हुए नजर आयेंगे. मध्यप्रदेश की सरकार ने इस योजना पर काम भी शुरू कर दिया है. राजधानी भोपाल में स्थित सेंट्रल जेल से सरकार ने यह योजना शुरू की है. इस योजना के तहत जेल में सजा काट रहे कैदियों को […]

भोपाल : जिंदगी लेने वाले हाथ अब लोगों की जिंदगी बचाने का काम करते हुए नजर आयेंगे. मध्यप्रदेश की सरकार ने इस योजना पर काम भी शुरू कर दिया है. राजधानी भोपाल में स्थित सेंट्रल जेल से सरकार ने यह योजना शुरू की है. इस योजना के तहत जेल में सजा काट रहे कैदियों को पैरामेडिकल कोर्स कराया जा रहा है. इस कोर्स का उद्देश्य जेल में बंद कैदियों को अपने और अपने परिवार की दशा सुधारने के लिए प्रेरित किया जा सके, ताकि रिहा होने के बाद उन्हें नौकरी के लिए भटकना नहीं पड़े. तीन माह की अवधि वाला यह कोर्स जेल में लॉन्च कर दिये गये हैं. इसके तहत जेल की चार महिला सहित 42 कैदियों को कोर्स कराया जा रहा है.

भोपाल केंद्रीय जेल के अधीक्षक दिनेश नरगावे ने कहा सेंट्रल जेल देश की पहली ऐसी जेल है, जहां जेल के बंदी पैरामेडिकल का कोर्स कर रहे हैं. ये कैदी एक जून से कोर्स कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कोर्स कर रहे इन कैदियों की सप्ताह में दो दिन क्लास जेल में ही लगती है और बाकी दिन प्रैक्टिस जेल के अंदर बने अस्पताल में डॉक्टर प्रमेंद्र शर्मा की निगरानी में होती है. इसके लिए हमने जेल में डिजिटल बोर्ड भी लगा दिया है.

उन्होंने कहा कि इस कोर्स को कराने के लिए हमने भोपाल की पीपुल्स यूनिवर्सिटी के साथ समझौता किया है और उसने हमें एफिलिएशन दी है. यह कोर्स नि:शुल्क कराया जा रहा है. यदि हमारी यह पहल सफल हो जाती है, तो इसके बारे में एक योजना बनाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार को पत्र लिखेंगे, ताकि प्रदेश की अन्य जेलों में भी इस तरह की पहल चालू की जा सके.

42 कैदियों ने लिया एडमिशन

पैरामेडिकल कोर्स के लिए अब तक 42 कैदियों ने एडमिशन लिया है. इसमें चार महिला कैदी शामिल हैं. यह कोर्स करने वाले अधिकतर कैदी हत्या के दोषी हैं और उन्हें आजीवन कारावास की सजा मिली है. इसके अलावा अन्य कैदी भी ऐसे ही कोर्स करने में अपनी रुची दिखा रहे हैं.

कैदी को 10वीं पास होना अनिवार्य

इस कोर्स में उन कैदियों को शामिल किया जा रहा है, जो कम से कम पांच साल की सजा काट चुके हों, उनका आचरण अच्छा रहा हो और जो आदतन अपराधी न हों. इसके साथ-साथ कोर्स करने वाले कैदी को कम से कम 10वीं पास होना अनिवार्य है. इस कोर्स को करने वाला कोई भी कैदी प्रोफेशनल हत्यारा नहीं हैं. इनमें से अधिकतर 10 से 11 साल सजा काट चुके हैं.

सीख रहे हैं इंजेक्शन लगाना

यह कोर्स नि:शुल्क कराया जा रहा है. वर्तमान में ये कैदी ड्रेसिंग एवं इंजेक्शन लगाना सीख रहे हैं, कुछ दिनों बाद मरीजों को ड्रिप चढ़ाना सीखेंगे. इसके साथ-साथ कैदियों को जेल में अंग्रेजी लिखना, पढ़ना एवं बोलना भी सिखाया जा रहा है. इसके लिए सेंट जोसेफ स्कूल की एक सेवानिवृत्त शिक्षिका एवं उनके पति की सेवाएं ली गयी हैं.

Prabhat Khabar Digital Desk
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