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कर्नाटक में सत्ता संघर्ष को लेकर पूरी तरह सुप्रीम कोर्ट में चला ड्रामा

नयी दिल्ली : कांग्रेस और जद ( स ) गठबंधन का कर्नाटक में सत्ता पाने और भाजपा को रोकने के लिये राजधानी में कल रात भर सुप्रीम कोर्ट में कानूनी संघर्ष चलता रहा. स्थिति यह थी कि इस तरह से कोर्ट में आधी रात को हो रही दुर्लभतम सुनवाई के लिये खबरनवीसों की फौज भोर […]

नयी दिल्ली : कांग्रेस और जद ( स ) गठबंधन का कर्नाटक में सत्ता पाने और भाजपा को रोकने के लिये राजधानी में कल रात भर सुप्रीम कोर्ट में कानूनी संघर्ष चलता रहा. स्थिति यह थी कि इस तरह से कोर्ट में आधी रात को हो रही दुर्लभतम सुनवाई के लिये खबरनवीसों की फौज भोर होने तक वहीं डटी रही.

कर्नाटक का सत्ता संघर्ष बेंगलुरू से दिल्ली पहुंचने और राज्यपाल के निर्णय से राहत के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाये जाने की संभावना रात में करीब दस बजे साफ होने लगी थी. कुमारस्वामी के नेतृत्व वाले जद ( स )- कांग्रेस गठबंधन द्वारा रात में ही राज्यपाल के फैसले को चुनौती देने की संभावनायें बलवती होने के साथ ही शीर्ष अदालत और प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के निवास के बाहर मीडिया का जमावड़ा शुरू हो गया था.

दोनों ही स्थानों पर विभिन्न चैलनों की ओबी वैन और मीडियाकर्मियों के दलबल प्रतिपल कोई न कोई नयी जानकारी के लिये बेचैन थे. मीडियाकर्मी नये घटनाक्रम की जानकारी के लिये प्रधान न्यायाधीश के निवास पर अपने अपने सूत्रों से संपर्क कर रहे थे. इसी बीच , खबर मिली कि कोर्ट देर रात पौने दो बजे इस मामले में सुनवाई करेगा. यह खबर मिलते ही प्रधान न्यायाधीश के निवास के बाहर एकत्र मीडियाकर्मियों का जमावड़ा चंद मिनटों में ही खत्म हो गया. अब मीडियाकर्मियों , प्रेस फोटोग्राफरों और चैनलों की ओबी वैन के लिये उच्चतम न्यायालय परिसर के बाहर एकत्र होने की बारी थी.

कोर्ट परिसर में गतिविधियां तेज थीं और सुरक्षाकर्मी भी मुस्तैद थे. न्यायमूर्ति ए के सिकरी के कोर्ट रूम में मुकदमे की सुनवाई के लिये सिर्फ उन्हें पत्रकारों को प्रवेश की अनुमति दी गयी जिनके पास शीर्ष अदालत द्वारा जारी प्रवेश पत्र थे. मुकदमे की सुनवाई के बारे में क्षण क्षण की जानकारी जानने के उत्सुक मीडियाकर्मी न्यायमूर्ति सिकरी के न्यायालय से बाहर निकलने वाले वकीलों को घेर रहे थे.

शीर्ष अदालत के द्वार पर वरिष्ठ अधिवक्ता डा अभिषेक मनु सिंघवी के पहुंचते ही संवाददाताओं ने ताजा जानकारी प्राप्त करने के लिये उन्हें घेर लिया. परंतु जद ( स ) कांग्रेस की ओर से बहस करने वाले अभिषेक सिंघवी ने कोई भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया. हालांकि , चंद क्षणों बाद ही वह पीछे मुड़े और प्रेस फोटोग्राफरों को मुस्कुराते हुये विजयी होने का संकेत दिया. इसके साथ ही कैमरों के फ्लैश चमकने लगे.

इसके थोड़ी देर बाद ही अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल , अतिरिक्त सालिसीटर जनरल मनिन्दर सिंह और तुषार मेहता , पूर्व अटानी जनरल मुकुल रोहतगी के साथ ही कई अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता और दूसरे वकीलों के दल ने न्यायालय परिसर में प्रवेश किया. एक बार फिर कैमरे के फ्लैश चमके. देर रात दो बजे , न्यायमूर्ति ए के सिकरी , न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की विशेष खंडपीठ ने सुनवाई शु्रू की और साथ ही मीडियाकमी अपनी अपनी खबरें भेजने और सुनवाई के संभावित नतीजों को लेकर चर्चा करने में व्यस्त हो गये.

न्यायालय की कार्यवाही खत्म होने के साथ ही स्ट्रीट लाइट बुझ गयीं और वकीलों का बाहर आना शुरू हो गया. इसके साथ ही मीडियाकर्मियों और खबरिया चैनलों में वकीलों की प्रतिक्रिया और टिप्पणी प्राप्त करने की होड़ लग गयी परंतु उन्हें इसमें विशेष सफलता नहीं मिली.

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