नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार अपने बुजुर्ग माता – पिता को असहाय स्थिति में छोड़ने वाले बच्चों को मिलने वाली जेल की सजा तीन महीने से बढ़ाकर छह महीने करने पर विचार कर रही है. माता – पिता और वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल और कल्याण कानून , 2007 की समीक्षा कर रहे सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण मंत्रालय ने बच्चों की परिभाषा को विस्तार देने की भी सिफारिश की है.
मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि बच्चों की परिभाषा में दत्तक या सौतेले बच्चों , दामाद और बहुओं , पोते – पोतियों , नाती – नातिनों और ऐसे नाबालिगों को भी शामिल करने की सिफारिश की गयी है जिनका प्रतिनिधित्व कानूनी अभिभावक करते हैं. मौजूदा कानून में सिर्फ सगे बच्चे और पोते – पोतियां शामिल हैं. मंत्रालय ने माता – पिता और वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल और कल्याण कानून , 2018 का मसौदा तैयार किया है.
कानूनी रूप मिलने के बाद यह 2007 के पुराने कानून की जगह लेगा. कानून में मासिक देख – भाल भत्ता की 10,000 रुपये की अधिकतम सीमा को भी समाप्त कर दिया गया है. यदि बच्चे माता – पिता की देखभाल करने से इनकार कर देते हैं तो वह कानून का सहारा ले सकते हैं.