नयी दिल्ली: सिविल सेवा की परीक्षा में इस बार मुस्लिम समुदाय से 51 अभ्यर्थियों का चयन होने से उत्साहित भारतीय हज समिति ने राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में अगले साल से यूपीएससी की मुफ्त कोचिंग शुरू करने का निर्णय लिया है. हज समिति के मुंबई स्थित मुख्यालय में पिछले सात वर्षों से छात्रों को यूपीएससी की मुफ्त कोचिंग दी जा रही है. इस साल यहां कोचिंग ले रहे छात्रों में से दो का चयन इस प्रतिष्ठित सेवा के लिए हुआ है.
हाल ही में हज समिति ने राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के हज भवनों में सिविल सेवा परीक्षा की मुफ्त कोचिंग की सुविधा उपलब्ध कराने से जुड़ा एक प्रस्ताव केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय को भेजा था, जिसे मंत्रालय ने स्वीकार कर लिया है. अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि भारतीय हज समिति की मदद से यूपीएससी की कोचिंग करने वाले दो बच्चों का इस बार चयन हुआ है. अगले साल से सरकार राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के हज भवनों में यूपीएससी के लिए मुफ्त कोचिंग शुरू करेंगे.
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उन्होंने कहा, ‘पिछली बार मुस्लिम समुदाय से 52 अभ्यर्थियों का सिविल सेवाओं के लिए चयन हुआ और इस बार 51 का चयन हुआ.’ नकवी ने कहा कि इस परिणाम से हज समिति और दूसरे सभी संस्थानों का हौसला बढ़ा है कि वे यूपीएससी कोचिंग के लिए लड़के-लड़कियों की मदद के लिए आगे आयें.
भारतीय हज समिति के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मकसूद अहमद खान ने कहा, ‘मुंबई स्थित हज समिति के मुख्यालय में हम पिछले सात वर्षों से हर साल 40 बच्चों को मुफ्त में सिविल सेवा की कोचिंग देते हैं. अब तक हमारे कई छात्रों का चयन हो चुका है. इस साल भी हमारे दो छात्रों का चयन हुआ.’
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उन्होंने कहा, ‘हमने मंत्रालय से आग्रह किया था कि राज्यों के हज भवनों में सिविल सेवा की मुफ्त कोचिंग की सुविधा शुरू की जाये. खुशी की बात है कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्री (नकवी) ने सहमति जतायी है. अगले साल से हम इसे शुरू करना चाहते हैं. राज्यों के हज बोर्डों के साथ मिलकर हम इस योजना को लागू करेंगे.’
इस बार सिविल सेवा परीक्षा में कुल चयनित 980 उम्मीदवारों में 51 मुस्लिम हैं. आर्थिक रूप से पिछड़े मुस्लिम परिवारों के प्रतिभावान लड़के-लड़कियों को सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में मदद करने वाले संगठन ‘जकात फाउंडेशन ऑफ इंडिया’ के अध्यक्ष सैयद जफर महमूद का कहना है, ‘2017 में करीब पांच लाख अभ्यर्थी प्रारंभिक परीक्षा में बैठे और इनमें मुस्लिम अभ्यर्थियों की संख्या मुश्किल से दो फीसदी ही रही होगी. सिविल सेवा परीक्षा में मुस्लिम समाज के बच्चों की भागीदारी और बढ़गयी, तो (चयनित अभ्यर्थियों का) 51 का आंकड़ा 100 तक भी पहुंच सकता है.’