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स्काईमेट ने दी खुशखबरी : झूम के बरसेगा मॉनसून, नहीं पड़ेगा सूखा, सरकार-किसान दोनों खुश

नयी दिल्ली : मौसम की भविष्यवाणी करने वाली सबसे प्रामाणिक निजी एजेंसी स्काईमेट ने बढ़ती महंगाई का दबाव झेल रही सरकार और किसानों के लिए अच्छी खबर दी है. एजेंसी ने कहा है कि इस साल मॉनसून सामान्य रहेगा. सूखा भी नहीं पड़ेगा. स्काईमेट के मुताबिक, वर्ष 2018 मेंमॉनसूनअपने समय पर आयेगा और जून-सितंबर के […]

नयी दिल्ली : मौसम की भविष्यवाणी करने वाली सबसे प्रामाणिक निजी एजेंसी स्काईमेट ने बढ़ती महंगाई का दबाव झेल रही सरकार और किसानों के लिए अच्छी खबर दी है. एजेंसी ने कहा है कि इस साल मॉनसून सामान्य रहेगा. सूखा भी नहीं पड़ेगा. स्काईमेट के मुताबिक, वर्ष 2018 मेंमॉनसूनअपने समय पर आयेगा और जून-सितंबर के बीच 100 फीसदी बारिश होगी. सामान्य से ज्यादा बारिश की संभावना 20 फीसदी है, भारी बारिश की संभावना 5 फीसदी, जबकि सूखा पड़ने की संभावना नहीं के बराबर है.

स्काईमेट ने कहा है कि पूरे सीजन के लिए 96 से 104 फीसदी बारिश होने की संभावना 55 फीसदी है. रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि वाराणसी, गोरखपुर, लखनऊ, शिमला, मनाली, देहरादून, श्रीनगर सहित पूर्वी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल और जम्मूएवं कश्‍मीर के इलाकों में सामान्य से ज्यादा बारिश की उम्मीद है. यहां भारी बारिश की भी संभावना है. वहीं, दिल्ली, अमृतसर, चंडीगढ़, आगरा, जयपुर और जोधपुर के इलाकों में सामान्य बारिश की ही उम्मीद है.

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मध्य भारत में मुंबई, पुणे, नागपुर, नासिक, इंदौर, जबलपुर, रायपुर और आस-पास के इलाकों में भारी बारिश की उम्मीद है. दूसरी तरफ, अहमदाबाद, बड़ोदरा, राजकोट और सूरत जैसे शहरों में सामान्य बारिश हो सकती है. लेकिन, दक्षिण भारत के चेन्नई, बंग्लुरु, तिरुवनंतपुरम, कोन्नूर, कोझिकोड, हैदराबाद, कर्नाटक के तटीय इलाकों विजयवाड़ा, विशाखापत्तनम में इस बार माॅनसून सामान्य या सामान्य से कुछ कम रह सकता है.

यहां बताना प्रासंगिक होगा कि भारत में होने वाली कुल बारिश की 70 फीसदी वर्षा जून से सितंबर के 4 महीनों के मॉनसून सीजन में होती है. यही बारिश देश भर की कुल कृषि की 50 फीसदी सिंचाई जरूरतें पूरी करती है. भारत में खरीफ फसल मुख्यतः मॉनसून वर्षा पर ही निर्भर है.

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स्काईमेट ने कहा है कि इस बार मॉनसून के शुरुआती महीने यानी जून में औसत 164 मिलीमीटर वर्षा के मुकाबले 111 प्रतिशत 182 मिलीमीटर वर्षा होने की संभावना है. उसके बाद प्रशांत महासागर की सतह का तापमान धीरे-धीरे बढ़ेगा और ला नीना की स्थिति कमजोर होगी, जिससे बाकी के तीन महीनों में मॉनसून के प्रदर्शन पर हल्का असर दिख सकता है.

अगस्त के आखिरी दिनों में बारिश में कुछ और कमी आने की संभावना है. जुलाई में औसत 289 मिलीमीटर वर्षा के मुकाबले 280 मिलीमीटर, जबकि अगस्त में 261 मिलीमीटर की तुलना में 250 मिलीमीटर वर्षा होने की संभावना है. चार महीनों के अपने आखिरी चरण यानी सितंबर में मॉनसून वर्षा तेज होगी और दीर्घावधि औसत के 173 मिलीमीटर से अधिक 175 मिलीमीटर बारिश दर्ज की जायेगी

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