जयपुर: एनपीपी पार्टी से भाजपा में शामिल हुए आदिवासी नेता और विधायक किरोड़ी लाल मीणा, राज्यसभा के सांसद भूपेंद्र यादव और वयोवृद्व नेता मदन लाल सैनी ने आज भाजपा उम्मीदवार के रूप में राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया. मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के विरोधी माने जाने वाले किरोड़ी मीणा कल ही भाजपा में शामिल हुए थे. उनका अचानक भाजपा में चौंकाने वाला फैसला माना जाता है और इसे राजस्थान में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी से जोड़ कर देखा जा रहा है. भाजपा अध्यक्ष अमित शाही की पहल पर उन्हें पार्टी में खुद मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने पार्टी में शामिल कराया था.
भाजपा के प्रवक्ता ने बताया कि तीनों नेताओं का भाजपा कार्यालय में स्वागत किया गया, उसके बाद राजस्थान विधानसभा में तीनों नेताओं ने राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल किया. किरोड़ी मीणा वर्ष 2008 में भाजपा छोड़कर एनपीपी में शामिल हो गये थे. मीणा कल दो अन्य विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गये. मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और अन्य नेताओं की मौजूदगी में भाजपा मुख्यालय में कल एनपीपी के प्रदेशाध्यक्ष किरोड़ी मीणा दो अन्य विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हुए थे. उसके बाद एनपीपी का भाजपा में विलय का पत्र विधानसभा अध्यक्ष को सौंपा था.
भाजपा मुख्यालय पर विधायकों की बैठक में राज्यसभा से भाजपा सांसद भूपेंद्र यादव, झुंझुनू से भाजपा नेता मदन लाल सैनी और भाजपा में शामिल हुए किरोड़ी मीणा का नाम राज्य सभा चुनाव के लिए तय किया गया था. विपक्षी कांग्रेस ने पहले ही राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनाव के लिए उम्मीदवार नहीं उतारने की घोषणा की थी. भाजपा के सांसद भूपेंद्र यादव और कांग्रेस के दो सांसद अभिषेक मनु सिंघवी और नरेंद्र बुढानिया का राज्यसभा का कार्यकाल तीन अप्रैल 2018 को पूरा हो रहा है. राज्यसभा चुनावों के लिए आज नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि है. नामांकनों की जांच 13 मार्च को होगी जबकि नाम वापसी की अंतिम तिथि 15 मार्च है. 23 मार्च को सुबह नौ बजे से चार बजे तक मतदान होगा और मतगणना उसी दिन पांच बजे की जायेगी.
किरोड़ी मीणा की राज्यसभा उम्मीदवार क्यों?
भारतीय जनता पार्टी को हाल में राज्य में हुए उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट लगातार अपनी जड़ें प्रदेश की राजनीति में मजबूत कर रहे हैं. राज्य में कम से कम 45 विधानसभा सीटें आदिवासी बहुल हैं, जिसमें 29 सीटों पर मीणा की बहुलता है. ऐसे में इस समाज के सबसे बड़े नेताओं में शामिल किरोड़ी मीणा को खुश करना भाजपा के लिए विधानसभा चुनाव में लाभदायक साबित हो सकता है. किरोड़ीलाल मीणा पहले भाजपा में ही थे और कई बार विधायक व मंत्री रहे हैं लेकिन नाखुशी वश उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी.