14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सुप्रीम कोर्ट ने कहा-जनहित में अदालतों में सीसीटीवी लगाने की जरूरत, गोपनीयता की आवश्यकता नहीं

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मंगलवारको कहा कि अदालतों में गोपनीयता की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि वहां कुछ भी गोपनीय नहीं होता है. न्यायालय ने इस टिप्पणी के साथ ही अदालतों में सीसीटीवी जल्दी लगाने की हिमायत की है. शीर्ष अदालत ने कहा कि अदालतों में सीसीटीवी कैमरों को लगाना व्यापक जनहित, अनुशासन […]

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मंगलवारको कहा कि अदालतों में गोपनीयता की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि वहां कुछ भी गोपनीय नहीं होता है. न्यायालय ने इस टिप्पणी के साथ ही अदालतों में सीसीटीवी जल्दी लगाने की हिमायत की है. शीर्ष अदालत ने कहा कि अदालतों में सीसीटीवी कैमरों को लगाना व्यापक जनहित, अनुशासन और सुरक्षा के लिए उचित होगा. न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति उदय यू ललित की पीठ ने इस मामले में अपने पहले आदेशों के अनुपालन में प्रगति के बारे में केंद्र से रिपोर्ट तलब की है.

पीठ ने कहा, कौन सी निजता? यह गोपनीयता का मामला नहीं है. हमें यहां गोपनीयता की जरूरत नहीं है. न्यायाधीशों को अदालत की कार्यवाही में गोपनीयता की आवश्यकता नहीं है. यहां कुछ भी निजी नहीं होता है. हम सभी यहां आपके सामने बैठ रहे हैं. केंद्र की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल पिंकीआनंद ने कहा कि विधि एवं न्याय मंत्रालय को वित्तीय योजना के लिए प्रस्ताव को मंजूरी देनी है जो किसी भी समय मिल सकती है. उन्होंने कहा कि सीसीटीवी लगाना और अदालती कार्यवाही की वीडियो रिकार्डिंग महत्वपूर्ण है और यह सभी के लिए हितकर है.

पीठ ने इस मामले की सुनवाई 23 नवंबर के लिए स्थगित करते हुए कहा, इसमें विलंब मत कीजिये. यह कदम व्यापक जनहित, अनुशासन और सुरक्षा के लिए है. आप 23 नवंबर तक रिपोर्ट दाखिल करें. शीर्ष अदालत ने 14 अगस्त को सभी अदालती कार्यवाही में पारदर्शिता लाने के लिए उच्चतम न्यायालय परिसर और उच्च न्यायालयों तथा न्यायाधिकरणों सहित सभी अदालतों में वीडियो रिकार्डिंग के साथ सीसीटीवी लगाने की हिमायत की थी. शीर्ष अदालत ने अमेरिका की उच्चतम न्यायालय में न्यायिक कार्यवाही का उदाहरण देते हुए कहा कि ये सब सार्वजनिक रूप से और यहां तक कि यूट्यूब पर भी उपलब्ध हैं.

न्यायालय ने इसके साथ ही यह स्पष्ट किया था कि सीसीटीवी कैमरे अथवा आडियो रिकार्डिंग की फुटेज सूचना के अधिकार कानून के तहत उपलब्ध नहीं करायी जायेगी और संबंधित अदालत की अनुमति के बगैर किसी को भी नहीं दी जायेगी. शीर्ष अदालत ने पहली बार अदालतों के अलावा सीसीटीवी के दायरे में न्यायाधिकरणों को भी शामिल किया था.

न्यायालय ने अदालती कार्यवाही में पारदर्शिता लाने के लिए इसकी आडियो और वीडियो रिकार्डिंग करने का अनुरोध करते हुए प्रद्युमन बिष्ट की याचिका पर यह आदेश दिया था. न्यायालय ने पहले 22 मार्च को प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की दो जिला अदालतों में आडियो रिकार्डिंग की सुविधा के बगैर ही सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश दिया था.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें