नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन के विश्वप्रसिद्ध महाकाल मंदिर में स्थापति शिवलिंग में हो रहे क्षरणको रोकने के लिए शुक्रवार को बड़ा फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा है कि शिवलिंग का जलाभिषेक आरओ के पानी से हो और इसके लिए सिर्फ आधा लीटर पानी का ही इस्तेमाल किया जाये. कोर्ट के आदेश के बाद अब कोई भी श्रद्धालु सिर्फ आरओ के पानी से ही महाकाल का जलाभिषेक कर पायेगा और प्रति भक्त सिर्फ आधे लीटर पानी का ही इस्तेमाल हो सकेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला उस याचिका पर सुनाया है जिसमें शिवलिंग पर लगातार पानी चढ़ने, भांग श्रृंगार और पंचामृत (दूध, दही, शहद, चीनी और घी) की वजह से शिवलिंग को नुकसान का हवाला देते हुए भक्तों के मंदिर के गर्भगृह में जाने और शिवलिंग को छूने पर रोक लगाने की मांग की गयी थी. उज्जैन की याचिकाकर्ता सारिका गुरु द्वारा दायर की गयी याचिका के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की देहरादून, भोपाल और इंदौर की टीमें गठित कर महाकाल शिवलिंग की क्षरण की जांच के लिए टीम भेजी थी.टीम ने हाल ही में महाकाल मंदिर का दौरा किया था. टीम ने शिवलिंग को नुकसान से बचाने के लिए अपनी सिफारिश में कुछ चीजों को चढ़ाये जाने पर प्रतिबंध लगाने की बात कही थी.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि भस्म आरती के दौरान शिवलिंग को सूखे सूती कपड़े से पूरी तरह ढका जायेगा. अभी तक सिर्फ 15 दिन के लिए शिवलिंग को आधा ढका जाता था. अभिषेक के लिए हर श्रद्धालु को निश्चित मात्रा में दूध या पंचामृत चढ़ाने की इजाजत होगी. शिवलिंग पर चीनी पाउडर लगाने की इजाजत नहीं होगी, बल्कि खांडसारी के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जायेगा. शिवलिंग को नमी से बचाने के लिए ड्रायर व पंखे लगाए जायेंगे और बेलपत्र व फूल-पत्ती शिवलिंग के ऊपरी भाग में चढ़ेंगे, ताकि शिवलिंग के पत्थर को प्राकृतिक सांस लेने में कोई दिक्कत न हो. शाम 5 बजे के बाद अभिषेक पूरा होने पर शिवलिंग की पूरी सफाई होगी और इसके बाद सिर्फ सूखी पूजा होगी. अभी तक सीवर के लिए चल रही तकनीक आगे भी चलती रहेगी, क्योंकि सीवर ट्रीटमेंट प्लांट बनने में एक साल लगेगा. मामले की अगली सुनवाई 30 नवंबर को होगी.