10.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

अगला उपराष्ट्रपति सरकार का या विपक्ष का? केआर नारायणन की तरह बनेगी सर्वसम्मति या होंगे चुनाव?

नयी दिल्लीः राष्ट्रपति चुनावों के लिए नामांकन की प्रक्रिया पूरी होने के एक दिन बाद चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति चुनावों की तारीखों का भी एलान कर दिया. राष्ट्रपति चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गंठबंधन (एनडीए) सरकार एक उम्मीदवार पर सर्वसम्मति बनाने में नाकाम रही. अब सवाल है कि क्या उपराष्ट्रपति चुनावों […]

नयी दिल्लीः राष्ट्रपति चुनावों के लिए नामांकन की प्रक्रिया पूरी होने के एक दिन बाद चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति चुनावों की तारीखों का भी एलान कर दिया. राष्ट्रपति चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गंठबंधन (एनडीए) सरकार एक उम्मीदवार पर सर्वसम्मति बनाने में नाकाम रही. अब सवाल है कि क्या उपराष्ट्रपति चुनावों में भी सरकार और विपक्ष आमने-सामने होंगे?

आमतौर पर राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनावों में सर्वसम्मति बनाने की कोशिश होती है. पहले यह परंपरा थी कि राष्ट्रपति सरकारी पक्ष का होता था और उपराष्ट्रपति विपक्षी दलों की पसंद का. अब यह परंपरा टूट रही है. इन दिनों सरकार और विपक्ष के बीच तनाव जिस स्तर पर है, ऐसा तनाव पहले कभी नहीं था. इसलिए इस बात की संभावना बहुत कम लग रही है कि उपराष्ट्रपति चुनाव भी सर्वसम्मति से होंगे.

राष्ट्रपति चुनाव 2017 : एनडीए के राष्ट्रपति प्रत्याशी रामनाथ कोविंद, दबे-कुचलों की बुलंद आवाज

इस बार राष्ट्रपति चुनावों की तारीखों के एलान के बाद लंबे अरसे तक सरकार या विपक्ष की ओर से किसी उम्मीदवार की घोषणा नहीं हुई. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में 17 विपक्षी दलों ने एक बैठक की. बैठक में कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ. तय हुआ कि जब तक सरकार कोई फैसला नहीं ले लेती, विपक्ष अपनी ओर से कोई घोषणा नहीं करेगा.

विपक्षी दलों ने साफ कर दिया कि वह चाहती है कि देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर जिस व्यक्ति का चयन हो, वह सर्वसम्मति से चुना जाये. और सर्वसम्मति बनाने की जिम्मेवारी सरकार की है. इसके बाद ही सरकार ने राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी के चयन के लिए तीन मंत्रियों राजनाथ सिंह, अरुण जेटली और वेंकैया नायडू की एक समिति बनायी. इन्हें ही विपक्षी दलों से बातचीत कर सर्वसम्मति बनाने की जिम्मेवारी भी दी गयी.

तीनों वरिष्ठ मंत्रियों ने सभी विपक्षी दलों के नेताअों से मुलाकात की. सोनिया गांधी से सरकार के नुमाइंदों की मुलाकात पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सरकार के पास इस वक्त राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी का नाम ही नहीं है. ऐसे में सरकार को समर्थन देने या नहीं देने का कोई सवाल ही नहीं है.

राष्ट्रपति चुनाव 2017 : मोदी-शाह के धोबियापछाड़ से विपक्ष चित्त, एकजुट होने से पहले ही हारा

बाद में सरकार ने बिहार के राज्यपाल डॉ राम नाथ कोविंद को अपना राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया. सभी विपक्षी दलों को इसकी भी जानकारी दी गयी. लेकिन, तब विपक्ष ने कहा कि सरकार ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार पर बात नहीं की, अपना फैसला सुनाया है. ऐसे में सरकार के उम्मीदवार को समर्थन देने का सवाल ही नहीं उठता. और अंततः कांग्रेस ने मीरा कुमार को डॉ कोविंद के मुकाबले में उतार दिया.

ज्ञात हो कि वर्ष 1992 में डॉ केआर नारायणन अंतिम बार सर्वसम्मति से उपराष्ट्रपति चुने गये थे. हालांकि, उनके खिलाफ काका जोगिंदर सिंह मैदान में थे, लेकिन वह विपक्ष के अधिकृत उम्मीदवार नहीं थे. कुल 702 वोटों में से डॉ नारायणन को 700 वोट मिले थे, जो दर्शाता है कि सरकार के साथ-साथ विपक्ष ने भी एकजुट होकर उनका समर्थन किया. इससे पहले वर्ष 1987 में डाॅ शंकर दयाल शर्मा निर्विरोध उपराष्ट्रपति चुने गये थे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें