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मुंगेर में आठ वर्षों से बंद पड़े सभी सिनेमा हॉल, फिल्म देखने के लिए खगड़िया-बेगूसराय जाने की मजबूरी

मुंगेर में वर्षों से सिनेमा हॉल में ताला लटका पड़ा है. शहर की दीवारों पर बेगूसराय व खगड़िया के सिनेमा हॉल के पोस्टर लग रहे. सिनेमा हॉल पर मनोरंजन कर बकाया होने के कारण एक के बाद एक सिनेमा हॉल बंद होते चले गये.

मुंगेर मुख्यालय में कभी पांच-पांच सिनेमा हॉल हुआ करता था. लेकिन वर्षों से इन सिनेमा हॉल में ताला लटका पड़ा है. इसके कारण मुंगेर के लोग बड़े पर्दे पर सिनेमा देखने को तरस गये है. पूरे देश में द कश्मीर फाइल्स फिल्म की चर्चा है. बिहार सरकार ने भी इस फिल्म को टैक्स फ्री कर दिया है, लेकिन मुंगेर के लोग सिनेमा हॉल बंद रहने से इस फिल्म काे नहीं देख पा रहे हैं. इसकी टीस हमेशा मुंगेर के सिने प्रेमी एवं फिल्मी क्षेत्र से जुड़े लोगों को रहेगी. हद तो अब यह हो रही है कि बेगूसराय और खगड़िया में स्थित सिनेमा हॉलों की पोस्टर मुंगेर के दीवारों पर लगाये जा रहे हैं.

2014 से बंद पड़े हैं मुंगेर के सिनेमा हॉल

मनोरंजन कर का बकाया, सुरक्षा मानकों की अनदेखी और चलचित्र प्रदर्शन अधिनियम उल्लंघ के कारण 2014 में जिला मुख्यालय स्थित नीलम, कोणार्क, वैद्यनाथ और विजय सिनेमा हॉल बंद हो गया. जबकि इससे पहले ही सिद्धार्थ सिनेमा आपसी खींच-तान में बंद हो गया था. हालांकि उस समय कोणार्क, वैद्यनाथ और नीलम सिनेमा हॉल के संचालकों ने लाइसेंस नवीकरण को लेकर जिला प्रशासन को आवेदन दिया था. लेकिन आवेदन के साथ भवन निर्माण विभाग, अग्निशमन विभाग और सिनेमैटोग्राफी डिवीजन कोलकाता से भी मनोरंजन कर का अनापत्ति प्रमाण पत्र संलग्न नहीं किया गया था. इसके कारण दिसंबर 2013 में तत्कालीन डीएम के निर्देश पर तत्कालीन सदर एसडीओ डॉ कुंदन कुमार ने तत्काल प्रभाव से सभी सिनेमा हॉल संचालकों को सिनेमा हॉल बंद करने के आदेश दे दिया था. प्रशासनिक सूत्रों की मानें तो सभी सिनेमा हॉल पर मनोरंजन कर भी काफी बकाया हो गया था. इसके कारण एक के बाद एक सिनेमा हॉल बंद होते चले गये.

कहते हैं मुंगेर के सिने प्रेमी

सिनेमा प्रेमी जयकिशोर संतोष ने बताया कि यह मुंगेर और मुंगेर वासियों के लिए दुर्भाग्य की बात है कि यहां पर एक भी सिनेमा हॉल नहीं है. कभी यहां पांच-पांच सिनेमा हॉल हुआ करता था. लेकिन सभी में आज ताला लटका हुआ है. 90 प्रतिशत मुंगेर के लोग वर्षों से बड़े पर्दे पर सिनेमा का मनोरंजन नहीं कर पा रहे हैं. बड़े पर्दे पर सिनेमा देखने के लिए पटना व भागलपुर जाना पड़ता है. विक्की कुमार ने कहा कि जब कभी बेहतर फिल्म रिलीज होती है तो उसे मोबाइल पर ही देख कर संतोष करना पड़ता है. क्योंकि हर किसी के बस में नहीं है कि वह बाहर जाकर फिल्म देखें. मुंगेर में मनोरंजन के लिए कम से कम दो सिनेमा हॉल का होना जरूरी है.

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पड़ोसी जिले के सिनेमा हॉल का लगने लगा है पोस्टर

सड़क पुल चालू होने के बाद बेगूसराय व खगड़िया की दूरी काफी कम हो गयी है. मुंगेर में सिनेमा हॉल नहीं होने का फायदा अब इस दोनों जिलों को मिलने लगा है. सिनेमा हॉल मालिक ने इसका फायदा उठाने के लिए अब मुंगेर में प्रचार-प्रसार करना शुरू कर दिया. शहर के दीवारों पर अब बेगूसराय और खगड़िया के सिनेमा हॉल का पोस्टर सटा दिखने लगा है. बड़ी संख्या में लोग फिल्म देखने के लिए इन जिलों में जा रहा है. हाल ही में रिलीज अक्षय कुमार की बच्चन पांडे, जूनियर एनटीआर, रामचरण, अजय देवगन अभिनीत ट्रीपल आरआरआर फिल्म लोगों ने गंगा पार जा कर देखी. शहर तभी डेवलप माना जाता है जब वहां मनोरंजन का कोई साधन हो.

किसी सिनेमा हॉल में बजने लगी शहनाई, तो कहीं लटका है ताला

मुंगेर में बड़े पर्दे पर सिनेमा देखने वालों की बड़ी संख्या थी. इसके कारण मुंगेर में एक के बाद एक पांच सिनेमा हॉल खुले थे. लेकिन वक्त के बहाव में सभी सिनेमा हॉल एक के बाद एक बंद हो गये. जिला मुख्यालय स्थित वैद्यनाथ सिनेमा हॉल जहां सिनेमा देखने की होड़ लगी रहती थी. वर्षों इंतजार के बाद जब जिला प्रशासन से अनुमति नहीं मिली, तो सिनेमा हॉल को रिमॉडलिंग कर उसे अत्याधुनिक विवाह भवन का स्वरूप दे दिया गया. यही हाल रेलवे सिनेमा हॉल जमालपुर का भी हुआ, जो आज विवाह भवन बना गया है. इतना ही नहीं मुंगेर की बेहतरीन कोर्णाक सिनेमा हॉल, नीलम सिनेमा हॉल, सिद्धार्थ टॉकिज एवं विजय टॉकिज में आज भी ताला लटका हुआ है. पर्दे पर जमा धूल भी वर्षों से साफ नहीं किया गया है. जबकि कुर्सियों को जंग खा रहा है.

Published By: Anand Shekhar

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