डुमरांव. वीर कुंवर सिंह कृषि महाविद्यालय के अंतिम वर्ष के छात्र बागवानी विभाग के तहत गहन अनुभव शिक्षण कार्यक्रम से गुजरते हुए करके सीखने का एक शानदार उदाहरण स्थापित कर रहे हैं. उक्त बातें वीर कुंवर सिंह कृषि महाविद्यालय डुमरांव के प्राचार्य डॉ. पारस नाथ कहीं.
उन्होंने छात्रों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि, यह पहल छात्रों को केवल तकनीकी दक्षता ही नहीं देती, बल्कि उनमें आत्मविश्वास, नवाचार की सोच और समाज को आगे बढ़ाने का जुनून भी पैदा करती है, प्राचार्य ने कहा कि इन युवाओं का यह समर्पण आने वाले समय में न केवल उन्हें कृषि-उद्यमिता की दिशा में अग्रसर करेगा, बल्कि पूरे क्षेत्र की आर्थिक प्रगति और आत्मनिर्भर भारत की राह को और भी मजबूत बनाएगा, उन्होंने कहा कि कुमारी नंदिता और डॉ. डी.के. सिंह, द्वारा निर्देशित यह पहल कक्षाओं को नवाचार और उद्यम की जीवंत प्रयोगशालाओं में बदल रहे हैं. जिसको लेकर तीस उत्साही छात्रों ने न केवल खाद्य प्रसंस्करण के विज्ञान में बल्कि उद्यमिता और विपणन की कला में भी महारत हासिल करने के लिए अपनी कमर कस ली है.
डॉ. पारस नाथ ने कहा कि ताजे स्क्वैश के बर्तन की तरह उबलती अपनी रचनात्मकता के साथ, युवा कृषि-नवप्रवर्तकों को खराब होने वाले उत्पादों की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है, जिससे उन्हें ऑफ-सीजन के दौरान भी उपलब्ध कराया जा सके, प्राचार्य ने कहा कि जब कीमतें अक्सर आसमान छूती हैं, कुरकुरे सुनहरे आलू के चिप्स और केले के चिप्स तैयार करने से लेकर ताज़ा नींबू और अनानास स्क्वैश तक, छात्रगण सीख रहे हैं, ताकि रोजमर्रा की कृषि उपज को मूल्यवर्धित बाजार-तैयार सामान में कैसे बदला जाए. उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों का मानना है कि यह कौशल उन्हें ग्रामीण अर्थव्यवस्था को ऊपर उठाने में सक्षम कृषि-उद्यमियों के रूप में उभरने के लिए सशक्त बनाएंगे.
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वहीं संरक्षक कुमारी नंदिता ने कहा, प्रसंस्करण न केवल फसल के बाद के नुकसान को कम करता है बल्कि किसानों के लिए आय के नए रास्ते भी खोलता है, हमारे छात्र एक मजबूत व्यावहारिक नींव के साथ कृषि व्यवसाय में कदम रखने का आत्मविश्वास हासिल कर रहे हैं और कार्यक्रम को गेम-चेंजर के रूप में देखा जा रहा है, जो छात्रों को प्रतिस्पर्धी बाजार की मांगों को पूरा करने के लिए उद्यमशीलता की दृष्टि और आधुनिक कौशल से लैस करता है, खाद्य प्रौद्योगिकी को व्यावसायिक कौशल के साथ एकीकृत करके, उभरते बागवान कृषि में आत्मनिर्भर भारत में योगदान देने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि परिसर में उत्साह स्पष्ट है, क्योंकि छात्र गर्व से मूल्यवर्धित उत्पादों के अपने पहले बैच का प्रदर्शन कर रहे हैं, जिससे वीर कुंवर सिंह कृषि महाविद्यालय से उभरने वाले भविष्य के स्टार्टअप और ग्रामीण उद्यमों की उम्मीदें जगी हैं.
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